ऑल इंडिया टैक्सी परमिट की वैधता बढ़ने से होंगे कई फायदे, जानें टैक्सी परमिट के नियम और कौन-कौन से वाहन होते हैं शामिल
देशभर के टैक्सी चालकों और वाहन मालिकों के लिए राहत की खबर है। ऑल इंडिया टैक्सी परमिट की वैधता अब 12 साल से बढ़ाकर 15 साल की जा सकती है। इस संबंध में हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और यह मांग रखी।
उन्होंने कहा कि चूंकि वाहन स्क्रैप पॉलिसी की अवधि भी 15 साल है, इसलिए टैक्सी परमिट की वैधता भी उतनी ही होनी चाहिए ताकि वाहन मालिकों को बार-बार नवीनीकरण की परेशानी न हो। इस पर नितिन गडकरी ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस प्रस्ताव पर कार्रवाई की जाए।
ट्रक जंक्शन के इस आर्टिकल में जानिए टैक्सी परमिट बढ़ने से क्या फायदे होंगे, टैक्सी परमिट में कौन-कौन से वाहन आते हैं और इसके लिए सरकार के मौजूदा नियम क्या हैं।
परमिट की वैधता 15 साल होने से क्या होंगे फायदे?
यदि केंद्र सरकार टैक्सी परमिट की वैधता 15 साल करती है तो इससे कई फायदे होंगे जो इस प्रकार है :
- परिवहन व्यवसाय को स्थायित्व : टैक्सी ऑपरेटरों को हर 12 साल बाद परमिट नवीनीकरण नहीं कराना पड़ेगा। 15 साल तक एक ही परमिट से गाड़ी चला सकेंगे।
- वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी से तालमेल : केंद्र सरकार की वाहन स्क्रैप नीति के तहत वाहन 15 साल बाद स्क्रैप किए जाते हैं। ऐसे में परमिट की वैधता भी 15 साल हो तो संचालकों को बार-बार आवेदन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- लागत में कमी : परमिट नवीनीकरण में लगने वाली सरकारी फीस, दस्तावेज़ी प्रक्रिया और समय की बचत होगी। टैक्सी ड्राइवरों की जेब पर बोझ कम होगा।
- रोजगार में स्थायित्व : लंबे समय तक चलने वाला परमिट टैक्सी मालिकों और चालकों को मानसिक संतोष देगा और उनका व्यवसाय निर्बाध चलेगा।
- राजस्व में वृद्धि : जब टैक्सी संचालक लंबे समय तक बिना रुकावट सेवा दे पाएंगे, तो पर्यटन व व्यापारिक परिवहन में वृद्धि होगी जिससे राज्य को भी राजस्व मिलेगा।
- अनधिकृत संचालन में कमी : यदि पर्याप्त परमिट उपलब्ध होते हैं, तो लोग अवैध रूप से या बिना परमिट के टैक्सी चलाने से बचेंगे, जिससे परिवहन क्षेत्र में पारदर्शिता और नियमन बढ़ेगा।
टैक्सी परमिट में कौन-कौन से वाहन आते हैं?
टैक्सी परमिट आमतौर पर उन सभी वाहनों पर लागू होता है जिनका उपयोग व्यावसायिक रूप से यात्रियों या सामान को किराए पर ले जाने के लिए किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार के वाहन शामिल हैं:
- ऑटो रिक्शा : तीन पहियों वाले छोटे वाहन जो शहरी क्षेत्रों में छोटी दूरी की यात्रा के लिए उपयोग होते हैं।
- टैक्सी कैब/मोटर कैब: चार पहियों वाले वाहन जैसे सेडान, हैचबैक, एसयूवी आदि, जिनका उपयोग यात्रियों को किराए पर ले जाने के लिए किया जाता है।
- मैक्सी कैब: यह टैक्सी कैब से बड़े वाहन होते हैं, जिनमें अधिक यात्री बैठ सकते हैं, अक्सर शेयरिंग के लिए उपयोग होते हैं।
- ई-टैक्सी (इलेक्ट्रिक टैक्सी): इलेक्ट्रिक वाहन जो टैक्सी के रूप में संचालित होते हैं।
- बाइक टैक्सी : मोटरसाइकिल जिनका उपयोग यात्रियों को किराए पर ले जाने के लिए किया जाता है (इसके लिए 'कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट' की आवश्यकता होती है)।
- पर्यटक वाहन : लग्जरी कारें, वैन या बसें जो पर्यटकों को घूमने के लिए किराए पर ली जाती हैं। इनके लिए अक्सर 'अखिल भारतीय पर्यटक परमिट (AITP)' की आवश्यकता होती है।
- रेंट-ए-कैब: वे कंपनियां या व्यक्ति जो ग्राहकों को किराए पर वाहन उपलब्ध कराते हैं, जिसमें चालक शामिल हो सकता है या नहीं (कुछ विशिष्ट शर्तों के साथ)।
- सामान ढुलाई वाहन (Goods Carriages): वे वाहन जो व्यावसायिक रूप से सामान ढोने के लिए उपयोग होते हैं, जैसे पिकअप ट्रक, मिनी ट्रक, आदि। इनके लिए भी परमिट की आवश्यकता होती है।
टैक्सी परमिट के लिए सरकार के मौजूदा नियम क्या हैं?
भारत में टैक्सी परमिट से संबंधित नियम मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और संबंधित राज्य सरकारों के नियमों द्वारा शासित होते हैं। कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं :
- परमिट का प्रकार : मुख्य रूप से दो प्रकार के परमिट होते हैं :
- राज्य परमिट (State Permit): यह परमिट केवल उसी राज्य में वाहन चलाने की अनुमति देता है जहां इसे जारी किया गया है।
- राष्ट्रीय परमिट (National Permit) / अखिल भारतीय पर्यटक परमिट (AITP) : यह परमिट वाहन को एक से अधिक राज्यों में चलने की अनुमति देता है। पर्यटक वाहनों के लिए 'अखिल भारतीय पर्यटक वाहन अनुमति एवं परमिट नियम, 2021' लागू हैं, जिसके तहत ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।
- आवेदन प्रक्रिया : परमिट के लिए संबंधित राज्य के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) या संभागीय परिवहन विभाग में आवेदन करना होता है। आजकल कई राज्यों में यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी उपलब्ध है।
- पात्रता मानदंड: आवेदक को कुछ शर्तों को पूरा करना होता है, जैसे:
- न्यूनतम आयु (आमतौर पर 23 वर्ष)।
- वाहन चालक का वैध ड्राइविंग लाइसेंस।
- परिवहन व्यवसाय में अनुभव (कुछ मामलों में)।
- पर्याप्त पार्किंग स्थान की उपलब्धता (विशेषकर रेंट-ए-कैब या बड़े फ्लीट के लिए)।
- वाहनों की संख्या (जैसे रेंट-ए-कैब के लिए कम से कम 50 वातानुकूलित वाहन)।
- वाहन की शर्तें
- वाहन का पंजीकरण कमर्शियल व्हीकल के रूप में होना चाहिए। यानी व्हाइट नंबर प्लेट के बजाय येलो नंबर प्लेट अनिवार्य है।
- वाहन का वैध फिटनेस प्रमाण पत्र होना चाहिए।
- वाहन का वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (Pollution Under Control - PUC) होना चाहिए।
- वाहन का वैध बीमा होना चाहिए।
- परमिट लेने वाले व्यक्ति या संस्था को RTO से लाइसेंस प्राप्त होना चाहिए
- कई राज्यों में अब टैक्सी में पैनिक बटन और वाहन लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD) का होना अनिवार्य कर दिया गया है, खासकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए।
- वाहन का मॉडल वर्ष (कुछ राज्यों में पुराने वाहनों के लिए परमिट नहीं दिया जाता)।
- शुल्क और कर: परमिट प्राप्त करने और नवीनीकरण के लिए एक निर्धारित शुल्क और अतिरिक्त कर (जैसे यात्री कर) का भुगतान करना होता है।
- परमिट की वैधता और नवीनीकरण : परमिट की एक निश्चित वैधता अवधि होती है, जिसके बाद इसे नवीनीकृत (Renew) कराना होता है। कई राज्यों में परमिट की वैधता को बढ़ाया गया है, जैसे दिल्ली सरकार ने सीएनजी टैक्सी की परमिट वैधता 15 साल तक बढ़ाई है।
- नियमों का उल्लंघन : परमिट की शर्तों का उल्लंघन करने पर जुर्माना या परमिट रद्द करने जैसी कार्रवाई हो सकती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि टैक्सी परमिट के नियम राज्य-वार भिन्न हो सकते हैं, इसलिए किसी विशेष राज्य में आवेदन करने से पहले उस राज्य के परिवहन विभाग की वेबसाइट या कार्यालय से नवीनतम जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है।
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