उत्तर भारत पर फोकस बढ़ाएगा अशोक लेलैंड, अगले 2-3 साल में मजबूत पकड़ की योजना
देश की बड़ी वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनी अशोक लेलैंड आने वाले 2-3 वर्षों में उत्तर भारत में अपनी बाजार हिस्सेदारी को मजबूत करने की योजना पर काम कर रही है। कंपनी का मानना है कि इस क्षेत्र में बेहतर उपस्थिति से उसे पूरे उद्योग में और तेजी से बढ़ने का मौका मिलेगा। इसके बाद कंपनी पूर्वी भारत पर ध्यान केंद्रित करेगी, जबकि दक्षिण और पश्चिम भारत में पहले से बनी मजबूत पकड़ को बनाए रखा जाएगा।
सीवी इंडस्ट्री की कुल बिक्री में उत्तर भारत का योगदान 30% से ज्यादा
अभी वाणिज्यिक वाहन उद्योग की कुल बिक्री का करीब 30-32% हिस्सा उत्तर भारत से आता है, लेकिन अशोक लेलैंड की हिस्सेदारी यहां सिर्फ 25% है। कंपनी अब इसे बढ़ाकर 30% तक ले जाने की कोशिश कर रही है। अशोक लेलैंड के एमएंडएचसीवी (मीडियम एंड हेवी कमर्शियल व्हीकल्स) सेगमेंट के अध्यक्ष संजीव कुमार ने कहा कि, "उत्तर भारत में हमारा मतलब उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत सभी राज्यों से है।"
यह है भारत के अन्य क्षेत्रों का योगदान
दक्षिण और पश्चिम भारत से कंपनी को कुल बिक्री का 21-22% हिस्सा मिलता है। पूर्वी भारत से करीब 15% का योगदान होता है। मध्य भारत की हिस्सेदारी 8-9% के आसपास है। इस नेटवर्क विस्तार से अशोक लेलैंड की पहुंच न केवल उत्तर भारत में, बल्कि पूरे देश में और मजबूत होगी।
उत्तर भारत में 50+ नए टचपॉइंट शुरू करने की तैयारी
अशोक लेलैंड इस साल उत्तर भारत में 50 से ज्यादा नए टचपॉइंट शुरू करने की तैयारी में है। फिलहाल कंपनी के इस क्षेत्र में 291 चैनल आउटलेट्स मौजूद हैं, जो अब और बढ़ाए जाएंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक पहुंच बन सके।
कंपनी के मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स और नए प्लांट्स
कंपनी ने विजयवाड़ा में नया बस बॉडी प्लांट और लखनऊ में नया चेसिस व बस प्लांट शुरू किया है, जो अक्टूबर तक चालू हो जाएंगे। साथ ही कंपनी के पास अलवर, पंतनगर, एन्नोर, भंडारा, त्रिची और होसुर में भी उत्पादन संयंत्र हैं।
2026 तक बिक्री में बना रहेगा उछाल
संजीव कुमार के अनुसार, वाणिज्यिक वाहन उद्योग अक्सर तीन साल की ग्रोथ के बाद एक बार मंदी में जाता है। अभी लगातार चौथा साल है ग्रोथ का, हालांकि यह ग्रोथ सिंगल डिजिट (एकल अंक) में रह सकती है। ई-कॉमर्स, सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च और कृषि क्षेत्र में मजबूती से कंपनी को उम्मीद है कि बिक्री बनी रहेगी।
हालांकि कुछ चुनौतियां भी हैं जैसे सरकार द्वारा रेल फ्रेट कॉरिडोर बढ़ाने से सड़क से रेल की ओर माल ढुलाई शिफ्ट हो रही है। अंतर्देशीय जलमार्ग को भी बढ़ावा मिल रहा है। अब ट्रक ऑपरेटर अधिक टन भार वाले ट्रक पसंद कर रहे हैं, जिससे कुल बिक्री वॉल्यूम प्रभावित हो रहा है।
बस सेगमेंट में भी डिमांड तेज
अशोक लेलैंड को देश भर की राज्य परिवहन कंपनियों (STU) से मजबूत ऑर्डर मिल रहे हैं। स्कूल और स्टाफ ट्रांसपोर्ट में भी स्थिर मांग है। फिलहाल कंपनी के पास करीब 4,000 बसों का ऑर्डर पेंडिंग है।
डीजल की स्थिर कीमत बनी सहारा
पिछले 2-3 वर्षों में डीजल की कीमतें स्थिर रही हैं, जिससे बेड़े संचालकों को लागत की प्लानिंग में मदद मिली है और इससे पूरी इंडस्ट्री को स्थिरता मिली है।
कुल मिलाकर, अशोक लेलैंड उत्तर भारत में अपने नेटवर्क और बिक्री को तेजी से बढ़ाने में जुटा है। कंपनी का फोकस दीर्घकालिक विस्तार पर है, और वह तकनीकी सुधार, नेटवर्क विस्तार और डिमांड सेगमेंट्स पर पकड़ मजबूत करके आगे बढ़ने की योजना पर काम कर रही है।
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