ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री में तेजी से बढ़ेगा निवेश, EV और नई तकनीक पर जोर
भारत की ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री आने वाले वर्षों में तेजी से विस्तार के लिए तैयार है। प्रमुख कंपनियां न केवल अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने जा रही हैं, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के पार्ट्स और अत्याधुनिक तकनीकों पर भी बड़ा निवेश करने की योजना बना रही हैं। रेटिंग एजेंसी ICRA की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अगले वित्तीय वर्ष में ऑटो कंपोनेंट कंपनियां 25,000 से 30,000 करोड़ रुपये तक का निवेश कर सकती हैं, जो उद्योग के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) कंपोनेंट्स के विस्तार पर खास ध्यान
आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार, इस बढ़ते निवेश के पीछे मुख्य वजह नए उत्पादों का विकास, मौजूदा प्लेटफॉर्म्स के लिए टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) कंपोनेंट्स के विस्तार पर केंद्रित योजनाएं हैं। कंपनियां अपने प्लांट्स की क्षमता बढ़ाने और नियामक बदलावों के अनुरूप अपने उत्पादन को सक्षम बनाने के लिए भी कड़ी मेहनत कर रही हैं।
ICRA की वाइस प्रेसिडेंट और सेक्टर हेड, विनुता एस के मुताबिक, “बड़ी ऑटो कंपोनेंट कंपनियां वित्त वर्ष 2025 में 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी, जबकि वित्त वर्ष 2026 में यह निवेश 25,000 से 30,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।” यह निवेश मुख्य रूप से नए उत्पादों के विकास, उत्पादन क्षमता में वृद्धि और EV टेक्नोलॉजी को अपनाने में होगा।
विकास की रफ्तार होगी धीमी, लेकिन मांग बनी रहेगी
भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री वित्तवर्ष 2024 में 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक की कमाई करने में सफल रही है। यह इंडस्ट्री अब आने वाले समय में स्थिर रफ्तार से ग्रोथ करेगी। आईसीआरए (ICRA) के अनुसार, वित्तवर्ष 2025 में इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट 7-9% और वित्तवर्ष 2026 में 8-10% रहने का अनुमान है, जो कि पिछले वर्ष की 14% की ग्रोथ रेट से कम है। हालांकि, घरेलू ऑटो कंपनियों से आने वाली मांग जो इस इंडस्ट्री के कुल राजस्व का 50% से अधिक योगदान करती है, अगले दो वर्षों में 7-10% की दर से बढ़ सकती है।
आईसीआरए के अनुसार, कंपनियां अब हाई-एंड कंपोनेंट्स और अधिक वैल्यू एडिशन पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जिससे ग्रोथ को अधिक रफ्तार मिलेगी।
यूज्ड व्हीकल की मांग में लगातार बढ़त
देश में पुरानी गाड़ियों के लिए ऑटो पार्ट्स की मांग लगातार बढ़ रही है। वित्तवर्ष 2025 में यह मांग 5-7% और 2026 में 7-9% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो वाहनों की बढ़ती संख्या और पुराने वाहनों की अधिक बिक्री के कारण हो सकता है। इसके अलावा, ऑर्गेनाइज्ड स्पेयर पार्ट्स मार्केट का विस्तार भी इस बढ़ती मांग में योगदान कर रहा है।
निर्यात सेक्टर में कुछ सुस्ती
रिपोर्ट के अनुसार, एक्सपोर्ट सेक्टर में कुछ सुस्ती देखी जा सकती है, क्योंकि ग्लोबल बाजारों में नए वाहनों की बिक्री में गिरावट देखी गई है, जिससे भारतीय कंपनियों के निर्यात पर असर पड़ सकता है। लेकिन एक सकारात्मक बात यह है कि ग्लोबल कंपनियां अपने सप्लायर बेस को डायवर्सिफाई कर रही हैं और आउटसोर्सिंग बढ़ा रही हैं, जिससे भारतीय कंपनियों को नए ऑर्डर मिलने की संभावना बढ़ी है।
आगामी वर्षों में नई दिशा तय करेगी ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री
भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री अगले कुछ वर्षों में अपनी नई दिशा तय करेगी, जहां इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट पर जोर दिया जाएगा। कंपनियों द्वारा किए जा रहे निवेश से न केवल उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि यह उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मजबूत करेगा। इस गति को देखते हुए, भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री का भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा है।
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