सरकार लाने जा रही है नई कोऑपरेटिव टैक्सी सर्विस, ओला-उबर को मिलेगी कड़ी चुनौती
आज भारत के प्रमुख बड़े शहरों में कैब सर्विस का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में ओला-उबर जैसी कंपनियां प्रमुख प्लेयर बन चुकी हैं। इन कंपनियों को टक्कर देने के लिए अब केंद्र सरकार भी इस सेक्टर में कदम रखने जा रही है। सरकार एक नई कोऑपरेटिव-आधारित टैक्सी सेवा शुरू करने की योजना बना रही है। इस सरकारी पहल का मुख्य उद्देश्य ड्राइवरों को अधिक लाभ प्रदान करना और उपभोक्ताओं को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देना है। आइए, इस खबर को विस्तार से जानें।
सहकारी मॉडल में ड्राइवर को नहीं देना होगा भारी कमीशन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में संसद में घोषणा की कि सरकार की यह नई टैक्सी सेवा ओला और उबर जैसी प्राइवेट कंपनियों के लिए गंभीर चुनौती साबित होगी। इस सेवा का प्रमुख उद्देश्य ड्राइवरों को अधिक सशक्त और लाभकारी बनाना है। वर्तमान में, प्राइवेट कैब कंपनियां ड्राइवरों से बड़ा कमीशन वसूलती हैं, जिसके चलते उनकी आय सीमित रहती है। लेकिन सरकारी कोऑपरेटिव मॉडल में ड्राइवरों को सीधे लाभ मिलेगा और उन्हें किसी प्राइवेट कंपनी को भारी कमीशन नहीं देना पड़ेगा।
ड्राइवरों को मिलेगा ज्यादा फायदा
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने बताया कि इस कोऑपरेटिव मॉडल के जरिए टैक्सी चालकों को कई लाभ मिलेंगे, जैसे :
- कम कमीशन कटौती : ओला और उबर जैसे प्लेटफार्म्स ड्राइवरों से 20-30% तक कमीशन लेते हैं, जबकि सरकारी मॉडल में कमीशन बहुत कम होगा।
- बेहतर सामाजिक सुरक्षा : ड्राइवरों को स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा और पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं मिलेंगी।
- मुनाफे में हिस्सेदारी : सरकारी कोऑपरेटिव मॉडल में ड्राइवरों को मुनाफे का एक हिस्सा मिलेगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।
ओला-उबर को मिलेगी कड़ी टक्कर
ओला और उबर जैसी कंपनियों ने भारतीय कैब बाजार में मजबूत पकड़ बनाई है, लेकिन इन कंपनियों को कई बार ग्राहकों और ड्राइवरों की शिकायतें मिल चुकी हैं। ग्राहकों को बढ़े हुए किराए और सर्ज प्राइसिंग से परेशानी होती है, वहीं ड्राइवरों को कम कमीशन और अनफेयर ट्रीटमेंट की शिकायतें रहती हैं। सरकार की नई टैक्सी सेवा इन कंपनियों को कड़ी टक्कर दे सकती है, क्योंकि यह सेवा सस्ता किराया, पारदर्शिता और ड्राइवरों के लिए बेहतर आर्थिक अवसर प्रदान करेगी।
कैसे काम करेगा सरकारी मॉडल?
सरकार की यह नई टैक्सी सेवा कोऑपरेटिव मॉडल पर आधारित होगी, यानी ड्राइवरों को अपनी ही सेवा का मालिक बनाया जाएगा। यह सेवा पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण में होगी और इसे किसी निजी एग्रीगेटर पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। सरकार इसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से चलाने की योजना बना रही है, जिससे उपभोक्ताओं को आसानी से टैक्सी बुक करने की सुविधा मिलेगी। इससे कोई छिपे हुए चार्ज नहीं होंगे और ग्राहक को पारदर्शी कीमत पर सेवाएं मिलेंगी।
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