रेयर अर्थ मैग्नेट संकट : चीन के प्रतिबंध से भारत का EV और ऑटो सेक्टर मुश्किल में
अमेरिकी टैरिफ का असर विश्व के व्यापार पर दिखना शुरू हो गया है। भारत का ऑटो उद्योग भी इससे अछूता नहीं है। करीब दो महीने पहले 4 अप्रैल 2025 को चीन ने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में रेयर अर्थ मैग्नेट (Rare Earth Magnets) की आपूर्ति पर रोक लगा दी थी। इससे भारत के ऑटो और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेक्टर को गंभीर झटका लगा है। ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, गियर सिस्टम, ड्राइव ट्रेन और हाई-टेक कंपोनेंट्स के लिए जरूरी होते हैं। अगर हालात नहीं सुधरे तो कई कंपनियों को अपनी उत्पादन क्षमता घटानी पड़ सकती है या बंद करनी पड़ सकती है। यह प्रतिबंध भारत की उस महत्वाकांक्षी योजना को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, जिसके तहत वह भविष्य में वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण हब बनने की दिशा में अग्रसर है।
SIAM ने कहा- देश में वाहन उत्पादन रुक सकता है
रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति नहीं होने से बीएस-VI व्हीकल प्रोडक्शन, EV मैन्युफैक्चरिंग, क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी, एयरोस्पेस, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और ऑटोमोबाइल कंपोनेंट इंडस्ट्री पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने पिछले सप्ताह सरकारी अधिकारियों को चेतावनी दी कि यदि आने वाले हफ्तों में यह संकट नहीं सुलझा, तो रेयर अर्थ मैग्नेट के घटते भंडार के कारण वाहन उत्पादन में गंभीर रुकावट आ सकती है।
चीन ने इन रेयर अर्थ तत्वों पर लगाया प्रतिबंध
चीन ने रेयर अर्थ तत्व जैसे समारियम, गैडोलीनियम, टेरबियम, डिस्प्रोसियम, स्कैंडियम और यट्रियम पर निर्यात प्रतिबंध लगाया है, जिनका 90% उत्पादन चीन ही करता है। भारत ने वित्त वर्ष 2025 में 306 करोड़ रुपये मूल्य के 870 टन रेयर अर्थ मैग्नेट का आयात किया है। हालांकि, निर्यात परमिट के लिए लंबी और अस्पष्ट आवेदन प्रक्रिया के कारण अप्रैल में चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट का निर्यात आधा हो गया है।
कूटनीतिक बातचीत जारी
ET की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार और चीन के बीच इस मसले को सुलझाने के लिए राजनयिक बातचीत चल रही है। अब तक 17 भारतीय कंपनियों ने चीन को आयात आवेदन भेजे हैं, जिनमें से केवल 9 को चीनी दूतावास से EUC (End User Certificate) का समर्थन मिला है।
अमेरिका, जापान, जर्मनी भी संकट में
यह संकट केवल भारत तक सीमित नहीं है। चीन के इस कदम से अमेरिका, जापान और जर्मनी जैसे विकसित देशों की भी EV इंडस्ट्री पर असर पड़ा है। चीन ने 4 अप्रैल को "राष्ट्रीय सुरक्षा" का हवाला देते हुए ये प्रतिबंध लगाए थे, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लिए बड़ी चुनौती है।
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