आल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (एआईटीडब्ल्यूए) ने शुरू की लीगल हेल्पलाइन
अगर आप ट्रक, पिकअप, थ्री व्हीलर, मिनी ट्रक या अन्य कोई भी वाणिज्यिक वाहन संचालित कर रहे हैं। लांग रूट पर जाते समय आप अचानक ऐसे संकट में फंस जाते हैं। इसके लिए आपको कानूनी सहायता की जरूरत पड़ सकती है। ऐसा किसी भी ड्राइवर के साथ हो सकता है। अब आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। आल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने ऑन रोड कानूनी सहायता कार्यक्रम घोषित किया है। इसके तहत हेल्पलाइन शुरू कर दी गई है। इसमें दुर्घटना के मामलों सहित अन्य प्रकार की मुसीबत के निवारण के लिए केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से इस कानूनी सहायता कार्यक्रम को मान्यता प्रदान कर दी है। यहां बता दें कि हेल्पलाइन योजना ट्रांसपोर्टर सेक्टर के कमर्शियल व्हीकल्स के ड्राइवरों के लिए है। जानते हैं क्या है कमर्शियल वाहन चालकों के लिए कानूनी सहायता प्रोग्राम और कैसे होता है इसका संचालन?
ऑन रोड कानूनी सहायता के उद्देश्य
यहां बता दें कि ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने भारत का पहला ऑन रोड कानूनी सहायता कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें अचानक किसी संकट में फंसे कमर्शियल वाहन चालकों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें जरूरत पडऩे पर वकील भी उपलब्ध होगा। यह कानूनी सहायता कार्यक्रम 24 घंटे ऑनलाइन रहेगा। इसके अंतर्गत तत्काल स्थानीय कानूनी प्रतिनिधित्व और जरूरतमंद वाणिज्यिक वाहनों को बुनियादी अधिकारों और प्रक्रियाओं पर आधारित शिक्षा भी प्रदान की जाएगी। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर्स एसोसिएशन ने कानूनी तकनीकी मंच वकील के साथ करार किया है। इसके अलावा वाणिज्यिक वाहनों की जब्ती सहित अन्य मामलों में कानूनी सहायता प्रदान करने में तेजी लाना इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य है।
इसलिए है जरूरी कानूनी सहायता
भारतीय सडक़ों पर वाणिज्यिक वाहनों का सबसे ज्यादा परिचालन होता है। इनमें ट्रक, पिकअप, मिनी ट्रक, थ्री व्हीलर आदि वाहन ऐसे हैं जिनके चालकों के साथ अक्सर कोई ना कोई घटना/ दुर्घटनाएं होती रहती हैं। यहां बता दें कि कई बार ट्रकों को जबरन रोका जाता है। कथित भ्रष्ट अधिकारियों के कारण ट्रक देरी से चलते हैं। एआईटीडब्ल्यूए के अध्यक्ष महेंद्र आर्य ने एक विज्ञप्ति में बताया कि सडक़ परिवहन बिरादरी के कल्याण के लिए प्रशिक्षित पेशेवर का प्रभावी और समय रहते हस्तेक्षेप जरूरी है जो कानूनी अधिकारों के बारे में जानता हो। इसी को ध्यान में रखते हुए एआईटीडब्ल्यूए ने ऑन रोड कानूनी सहायता प्रोग्राम लांच किया है।
अनावश्यक ठहराव से नहीं हो नुकसान
यहां बता दें कि भारत का सडक़ परिवहन का नेटवर्क विश्व में दूसरा सबसे व्यस्त माना जाता है। इस परिवहन से 980 मिलियन टन सालाना कार्गो का परिवहन होता है। ऐसे में यदि परिवहन के संबंधित अधिकारियों और बाहरी एजेंटों की ओर से ट्रकों को जबरन रुकने जैसे हस्तक्षेपों से बचाना भी जरूरी है। यदि हस्तक्षेप को नहीं रोका गया तो इससे भ्रष्टाचार को बढावा मिलेगा और संबंधित सभी प्रकार के उद्योगों को अनुमानित 20 मिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान होगा। वहीं संभावित यात्रा की लागत पर भी बुरा असर पड़ता है।
ऐसे मिलेगी कानूनी सहायता
आपको बता दें कि संकट में फंसे ट्रक या अन्य वाणिज्यिक वाहनों के ड्राइवरों को कैसे ऑन रोड सहायता मिलेगी? एआईटीडब्ल्यूए के अनुसार संकट में यदि कोई भी वाणिज्यिक वाहन का ड्राइवर हेल्पलाइन पर कॉल करेगा तो उसे पुलिस, आरटीओ और कराधान विभागों के अतिरिक्त घटनास्थल पर मौजूद अधिकारियों से बात हो सकेगी और इनका समर्थन मिल सकेगा। इसके अलावा ऐसी घटनाओं के लिए जिन्हे स्थानीय वकील द्वारा मौके पर स मर्थन की आवश्यकता होती है,लोट्स नजदीकी कानूनी पेशेवरों से जोड़ेगा। इस संबंध में लॉयरेड के संस्थापक और सीईओ हिमांशु गुप्ता ने कहा कि हमारा उद्देश्य बिरादरी को भारी उत्पादकता नुकसान को कम करने और संभावित घटनाओं के प्रभाव को कम करना है।
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