क्रैश टेस्ट : ड्राइवरों की सुरक्षा होनी चाहिए पहली प्राथमिकता
हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की कि देश भर में निर्माण होने वाले सभी एन 2 और एन 3 कैटेगरी के व्हीकल में एसी केबिन 2025 के बाद अनिवार्य होंगे। सरकार के इस नियम के मुताबिक अब 3500 किलोग्राम से ज्यादा वाली सभी ट्रकों के ड्राइवर को यह सुविधा मिलने वाली है। इसी बीच ट्रक ड्राइवर के लिए एक बड़ी मांग सरकार के सामने रखी जा रही है, जिसे ड्राइवरों की सुरक्षा के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। डेमलर इंडिया के एमडी और सीईओ सत्यकाम आर्य ने कहा कि हमें ट्रक की सुरक्षा के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने चाहिए और जिस तरह कार के लिए क्रैश टेस्ट अनिवार्य हैं, ताकि कार चालकों के लिए सेफ्टी फीचर्स का पूरा ध्यान रखा जा सके। उसी तरह ट्रक चालकों के लिए भी सेफ्टी फीचर्स का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए और क्रैश टेस्ट को अनिवार्य करना चाहिए।
ट्रक जंक्शन के इस पोस्ट में हम क्रैश टेस्ट के महत्व, आवश्यकताओं और इस मांग के पूरे होने से ट्रक ड्राइवरों के जीवन पर कितना असर पड़ेगा, इसका विश्लेषण करेंगे।
भारतीय ट्रक चालकों की सेफ्टी के उठाने चाहिए जरूरी कदम
विश्व के सबसे बड़े कमर्शियल व्हीकल निर्माता कंपनी डेमलर इंडिया (भारतबेंज) के सीईओ सत्यकाम आर्य ने एक ईटी को इंटरव्यू के दौरान बताया कि भारत सरकार को ट्रक चालकों के जीवन स्तर को सुधारने और उनकी सेफ्टी के लिए बड़े व्हीकल का भी क्रैश टेस्ट अनिवार्य करना चाहिए।
आर्य ने इसके पीछे एक वैध कारण देते हुए कहा कि, भारत लगातार बड़ी संख्या में रोड एक्सिडेंट का सामना कर रहा है। विश्व में सबसे ज्यादा रोड एक्सिडेंट भारत में होते हैं। कुल 4.12 लाख सड़क दुर्घटना में 1.53 लाख लोग अपना जीवन खो चुके हैं, 3.84 लाख लोग गंभीर रूप से जख्मी है। अगर ट्रक दुर्घटना की बात की जाए तो 9.4% यानी 14,622 मृत्यु ट्रक हादसों की वजह से हुई है। यही वजह है कि यह मुद्दा बहुत गंभीर है।
कार की तरह ही ट्रक का भी होना चाहिए क्रैश टेस्ट
आर्य ने बताया, जिस तरह भारत में कार के लिए क्रैश टेस्ट और सभी सुरक्षा मानदंडों को पूरा करने की अनिवार्यता है, उसी तरह ट्रक के लिए भी पर्याप्त सुरक्षा मानदंड को फॉलो किया जाना जरूरी है। सरकार ने साल 2024 तक सड़क दुर्घटना को आधी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसके लिए भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम ( भारत एएनसीपी ) की शुरुआत की गई। जो वाहनों की सुरक्षा का आंकलन करती है। इन दुर्घटनाओं में लगभग 10% संख्या कमर्शियल व्हीकल का होता है। इसलिए हम केवल कारों की बात नहीं कर सकते, कमर्शियल व्हीकल के लिए भी कड़े सुरक्षा मानदंड होने चाहिए। एक ड्राइवर का जीवन अलग नहीं हो सकता, चाहें वह कार चलाए या कमर्शियल व्हीकल।
अभी कैसा है ट्रकों में सुरक्षा का मानदंड
वर्तमान में भारत में काउल चेसिस ट्रक की अधिकता है। ट्रक मार्केट में काउल चेसिस ट्रक का योगदान लगभग 40% है। काउल चेसिस ट्रक यानी ऐसा ट्रक है, जो केवल इंजन और चेसिस से बना हो। ये ट्रक सुरक्षा की दृष्टि से कमतर माने जाते हैं।
कैसा होना चाहिए ट्रक सुरक्षा का मानदंड
डेमलर इंडिया के सीईओ आर्य के मुताबिक ट्रकों के लिए यूरोपीय मानक ईसीई आर 29-02 का पालन किया जाना चाहिए। या ऐसे ही सुरक्षा मॉडल पर ध्यान देना चाहिए। ताकि केबिन के निचले हिस्से से विंडशील्ड के निचले हिस्से तक पर्याप्त दुर्घटना सुरक्षा मानदंडों का इस्तेमाल किया जा सके। डेमलर इंडिया की भारतबेंज सीरीज के हेवी ट्रकों को ईसीई आर 29-02 सुरक्षा मानदंडों के अनुरूप बनाया गया। कंपनी का कहना है, कि शुरुआती ट्रक मूल्य के आधार पर देखें तो अच्छी सुरक्षा मानकों वाले ट्रक 2 से 6% तक ज्यादा कीमत के होते हैं। लेकिन अगर ड्राइवर की सेफ्टी, दुर्घटना की लागत और खोए हुए जीवन का मूल्य को आंका जाए तो यह कीमत काफी कम लगेगी।
भारतीय ट्रक चालक और विदेशी ट्रक चालक का जीवन
भारतीय ट्रक चालकों और विदेशी ट्रक चालकों के जीवन में बड़ा अंतर देखने को मिलता है। विकसित देशों के ट्रक ड्राइवर का जीवन स्तर, सुरक्षा और मिलने वाली उन्हें सभी सुविधाएं उच्च स्तर की होती है। ट्रक में फ्रीज, एसी और सभी लग्जरी सुविधाएं देखने को मिलती है। साथ ही सुरक्षा मानदंड के अलावा और नियत समय तक जॉब करने की आजादी भी दी जाती है। जबकि भारत में ट्रक ड्राइवरों को 12 से 14 घंटे तक वाहन चलाना पड़ता है और वेतन भी काफी कम है। भारतीय ट्रक चालकों के जीवन स्तर को बेहतर किए जाने के लिए पर्याप्त कदम उठाने चाहिए।
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