इस ग्रोथ में सबसे अहम भूमिका हल्के वाणिज्यिक वाहनों (LCV) की होगी
सात साल की मंदी के बाद भारतीय कमर्शियल व्हीकल इंडस्ट्री वित्तवर्ष 2025-26 में घरेलू बाजार में 10 लाख से ज्यादा कमर्शियल वाहनों की बिक्री का रिकॉर्ड बना सकती है। इससे पहले वित्तवर्ष 2019 में पूरे भारत में 1,007,319 यूनिट्स की बिक्री की गई थी। यह जानकारी क्रिसिल की रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, यह आंकड़ा प्री-कोविड से पहले वित्त वर्ष 2019 में बने पीक के बराबर होगा। FY 2026 में कमर्शियल वाहनों की मांग में तेजी आने की वजह इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और रिप्लेसमेंट मांग का बढ़ना और पीएम-ईबस सेवा स्कीम से सपोर्ट मिलना है। आइए, ट्रक जंक्शन की इस पोस्ट में Crisil रिपोर्ट के बारे में जानते हैं।
एलसीवी की रहेगी सबसे अहम भूमिका
क्रिसिल द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस ग्रोथ में सबसे अहम भूमिका हल्के वाणिज्यिक वाहनों (एलसीवी) की होगी। ई-कॉमर्स, वेयरहाउसिंग और डिलीवरी सेवाओं की बढ़ती मांग के चलते एलसीवी सेगमेंट में 4 से 6 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। इस सेगमेंट की हिस्सेदारी कुल बिक्री में करीब 62 प्रतिशत तक रह सकती है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से बढ़ेगी मांग
कमर्शियल वाहनों की मांग में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में हो रही 10-11 प्रतिशत की वृद्धि है। सड़क निर्माण, मेट्रो परियोजनाएं और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों से भी इस क्षेत्र को मजबूती मिल रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों (एमएंडएचसीवी) की बिक्री में भी इस साल 2 से 4 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। इनकी हिस्सेदारी कुल बिक्री में 38 प्रतिशत के आसपास है।
कीमतों में मामूली बढ़ोतरी, लेकिन मुनाफा स्थिर
कमर्शियल वाहन कंपनियों ने जनवरी 2025 में अपने वाहनों की कीमतों में 2-3 प्रतिशत की वृद्धि की है, ताकि लागत में हो रही बढ़ोतरी की भरपाई की जा सके। हालांकि, इनपुट लागत में गिरावट के चलते कंपनियों का ऑपरेटिंग मार्जिन 11 से 12 प्रतिशत के बीच बना रह सकता है, जो पिछले वर्ष का उच्चतम स्तर था।
ट्रकों में एसी केबिन अनिवार्य, लागत बढ़ेगी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अक्टूबर 2025 से ट्रकों में एसी केबिन को अनिवार्य कर दिया जाएगा। इससे प्रति वाहन लागत में लगभग 30,000 रुपये तक की बढ़ोतरी होने की संभावना है। कंपनियों ने पहले ही इस संभावित बोझ को ध्यान में रखते हुए कुछ हद तक कीमतों में बढ़ोतरी की है।
रिप्लेसमेंट डिमांड से भी मिलेगा सपोर्ट
वित्त वर्ष 2017 से 2019 के बीच खरीदे गए वाहनों के रिप्लेसमेंट की मांग भी इस ग्रोथ में सहयोग करेगी। इसके अलावा ब्याज दरों और महंगाई में कमी से ग्राहकों के लिए वाहन खरीदना थोड़ा आसान हो सकता है। क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने बताया, "इन्फ्रास्ट्रक्चर में हो रही प्रगति, पुरानी गाड़ियों की जगह नई गाड़ियों की मांग और सरकार की योजनाएं जैसे पीएम ई-बस सेवा, इस सेक्टर की ग्रोथ में मदद कर रही हैं।"
2025 में भी दिखा स्थिर प्रदर्शन
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में कुल 9,56,671 यूनिट्स की थोक बिक्री दर्ज की गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.2% कम रही। हालांकि, चौथी तिमाही में 1.5% की बढ़ोतरी के साथ मांग में फिर से तेजी दिखाई दी।
कुल मिलाकर, कमर्शियल व्हीकल उद्योग महामारी की सुस्ती से उबरकर अब फिर से रफ्तार पकड़ रहा है। एलसीवी और एमएचसीवी सेगमेंट की मजबूती, सरकारी निवेश और बदलती जरूरतों के चलते यह सेक्टर आने वाले समय में नई ऊंचाइयों को छू सकता है।
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