इस वर्ष अब तक सीवी उद्योग का बेहतर प्रदर्शन, रुझानों पर निर्भर करेगी अगले वर्ष की प्रगति
कमर्शियल वाहन इंडस्ट्री में इस वित्त वर्ष में अब तक कई परिवर्तन देखे गए हैं। इन बदलावों से सीवी उद्योग ने पिछले कुछ महीनों में बेहतर प्रदर्शन कर वाणिज्यिक वाहन निर्माताओं की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। बता दें कि इस वर्ष में अब तक वाणिज्यिक वाहन उद्योग में जिस तरह से उतार-चढ़ाव का दौर चला उसके बावजूद यह उद्योग लाभप्रदता की स्थिति में आ गया लेकिन इस संक्षेप समय के बाद अब सीवी उद्योग का क्या भविष्य होगा। आने वाले एक साल की उम्मीदों की बात करें तो काफी हद तक वर्तमान रुझान ही इन उम्मीदों को पूरा करने के लिए एक आशा की किरण के समान दिखाई दे रहे हैं। कोविड के नये वायरस ऑमीक्रोन के संक्रमण से उत्पन्न परिस्थितियों के बावजूद सीवी उद्योग का लचीला प्रदर्शन इस उद्योग से जुड़े उन समूहों के लिए मौजूदा दौर में उत्साह प्रदान कर रहा है जो देश के प्रमुख सीवी निर्माता हैं। बता दें कि अब तक टाटा मोटर्स, अशोक लेलैंड, वीईसीवी, मारुति एवं महिंद्रा ये पांच कंपनियां पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष के बीते कुछ महीनों में अच्छा प्रदर्शन करने वाली रही हैं। आइए जानते हैं सीवी उद्योग के लिए आने वाला वर्ष कैसा रहेगा? वहीं अब तक का समय कैसा रहा?
महीने दर महीने हुई वृद्धि
बता दें कि सीवी उद्योग में लगभग सभी निर्माताओं को इस वित्त वर्ष के कुछ महीनों में माह दर माह की वृद्धि प्राप्त हुई। भले ही इस दौरान ऑमीक्रोन का भी असर रहा हो लेकिन कठिन चुनौतियों के बीच सीवी उद्योग ने बेहतर प्रदर्शन किया है। इसमें नवीनतम प्रोद्योगिकियां, उत्पादन जीवन चक्र, गुणवत्ता नियंत्रण के साथ साइबर सुरक्षा आदि प्रमुख कारण रहे हैं।
ट्रक खंड में इन सीवी निर्माताओं का प्रदर्शन रहा श्रेष्ठ
बता दें कि बीते कुछ महीनों में ट्रक खंड में छोटे वाणिज्यिक वाहनों के अलावा मध्यवर्ती और हल्के वाणिज्यिक वाहनों की निर्माता कंपनियों का बढिय़ा प्रदर्शन रहा। सेमी कंडक्टर की कम आपूर्ति के कारण इस वर्ष के कुछ महीनों में एससीवी खंड प्रभावित हुआ था लेकिन वर्ष के अंतिम दो महीनों में फिर से इसके शुरू होने की उम्मीद है। हां, यात्री खंड ने पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि दर्ज की। वहीं भारत की शीर्ष 5 सीवी निर्माताओं का अच्छा प्रदर्शन रहा। इनमें टाटा मोटर्स, अशोक लेलैंड, वीईसीवी, मारुति और महिंद्रा शामिल हैं। महिंद्रा की वाल्यूम सेमीकंडक्टर की आपूर्ति की कमी के चलते कुछ प्रभावित रही। संभावना जताई जा रही है कि साल के आखिरी दो महीनों में यह बढ़ जाएगी क्योंकि कंपनी ने कमियों को दूर कर लिया है।
ट्रक ऑपरेटर्स की लाभ की स्थिति उपयोग पर निर्भर
यहां बता दें कि सीवी उद्योग के अंतर्गत ट्रकों की बिक्री और इनकी लाभप्रदता बाजार में मौजूदा ट्रकों के उपयोग पर निर्भर करती है। वहीं माल के परिवहन और डीजल की कीमतें भी इसमें शामिल हैं। वर्तमान में डीजल का परिचालन व्यय करीब 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक है। उधर फास्टैग संग्रहण में भी 82 प्रतिशत की वृद्धि यह दर्शाती है कि भारत में टोल बूथों पर एकत्र किए गए टोल के विशाल बहुमत में योगदान करते हैं। इस बार कोविड महामारी की तीसरी लहर का प्रभाव पहली लहर की तुलना में बहुत कम होने से माल के परिवहन में तेज वृदिध देखी गई।
31 प्रतिशत ज्यादा ई- वे बिल जारी किए
इस वर्ष सीवी उद्योग में 31 प्रतिशत ज्यादा ई-बिल जारी किए गए। पिछले वर्ष के 48 करोड़ से ई-वे बिल 31 प्रतिशत से बढ़कर 63 करोड़ रुपये तक बढ़ गए। वहीं इस वर्ष माल के ट्रांसपोर्ट की स्थिति सही रही। जुलाई से दिसंबर की अवधि में जारी किए गए ई-वे बिलों पर नजर डाली जाए तो साफ दिखाई देता है कि हर महीने 6 करोड़ रुपये के बिल पारित किए गए।
स्मॉल एंड मीडियम सीवी बेड़े में रखरखाव ज्यादा
यहां परंपरागत ईंधन डीजल और पेट्रोल से संचालित कमर्शियल वाहनों की बात करें तो इनके बेड़े में रखरखाव की अधिक जरूरत होती है। ऐसे में लाभप्रदता पर भी असर पड़ता है। अभी इस दिशा में इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण और इनके इस्तेमाल की कमी के कारण इन वाहनों का ही अधिक संचालन हो रहा है। लंबी दौड़ के लिए ईंधन की लागत करीब 60 प्रतिशत तक हो जाती है। इस तरह से वाहन मालिकों को ईएमआई चुकाने का समय और इस बीच मुनाफा कम होता है।
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