ई - रिक्शा से बहुत सस्ते में हो पाएगा डेंगू का रोकथाम, जानें कैसे होगा उपयोग
ई-रिक्शा भारत में प्रचलित यातायात का साधन है, जो छोटी दूरी के लिए अक्सर लोग उपयोग में लाते हैं। जब से देश में यातायात का यह साधन प्रचलित हुआ है आम लोगों को काफी राहत हुई है। ई-रिक्शा न सिर्फ तेजी से लोगों को उसके डेस्टिनेशन तक पहुंचा रहा है, बल्कि इससे डीजल, पेट्रोल की खपत में भी कमी आई है। छोटी दूरी तय करने के लिए अक्सर लोग ई-रिक्शा का उपयोग करते हैं। इससे प्रदूषण को कम करने और यातायात को सुरक्षित करने में मदद मिली है।
इसी बीच भुवनेश्वर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन द्वारा एक अनोखा और कारगर प्रयास किया जा रहा है, बीएमसी ने ई-रिक्शा के जरिए डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी की रोकथाम का सस्ता, किफायती और प्रभावी तरीका ढूंढ निकाला है।
ट्रक जंक्शन के इस पोस्ट में हम ई-रिक्शा से डेंगू के रोकथाम का अनोखा तरीका के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं।
क्यों जरुरत पड़ी ई-रिक्शा डेंगू रोकथाम योजना की
देश भर में डेंगू और मच्छरों से बचाव के लिए तरह के उपाय किए जा रहे हैं। बढ़ते मानसून के साथ बहुत सारे इलाकों में पानी के जमाव की वजह से डेंगू का खतरा बढ़ा है। डेंगू बुखार जिसका नाम सुनकर भी आजकल लोगों का दिल दहल जाता है। पिछले कुछ सालों से डेंगू का आतंक बहुत लोगों की जान ले चुका है। शुरुआत में यह नॉर्मल बुखार जैसा ही होता है, जिसकी वजह से डेंगू की पहचान कर पाना भी मुश्किल होता है। यह एक वायरस की वजह से होता है, जो डेंगू मच्छर के जरिए फैलता है। यही वजह है कि डेंगू से बचने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।
भुवनेश्वर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के एडिशनल कमिश्नर सुवेंदु साहू ने बताया कि मच्छरों के रोकथाम के लिए अभी हमारे पास जितनी सुविधाएं हैं वो पर्याप्त नहीं है। मच्छरों को रोकने के लिए हमारे पास पर्याप्त वाहनों की कमी है। यही वजह है कि हमने ई रिक्शा से डेंगू के रोकथाम की योजना पर काम कर रहे हैं। बता दें कि बीएमसी डेंगू के रोकथाम के लिए कई बड़े और भारी वाहनों का उपयोग करती है। इसके अलावा ड्रोन का भी उपयोग करती है जो काफी महंगा होता है। लेकिन ई रिक्शा के उपयोग से मच्छरों की रोकथाम एक सस्ता और प्रभावी तरीका है।
कैसे होगा मच्छरों का रोकथाम, ई-रिक्शा से कैसे होगा फायदा
मच्छरों के रोकथाम के लिए समय-समय पर बीएमसी फॉगिंग करती है। बड़े वाहनों से फॉगिंग करना ना सिर्फ महंगा पड़ता है बल्कि छोटे-छोटे जगहों, गलियों, स्लम एरिया में फॉगिंग कर पाना मुश्किल होता है। लेकिन ई रिक्शा माउंटेड फॉगिंग मशीन की मदद से आसानी से स्लम एरिया में भी फॉगिंग कर सकते हैं, केमिकल का छिड़काव होने से मच्छरों के लार्वा मर जाते हैं जिससे मच्छरों को कंट्रोल किया जा सकता है। बता दें कि बीएमसी के पास अभी एक ट्रैक्टर माउन्टेड फॉगिंग मशीन है और 7 मैनुअल फॉगिंग मशीन है।
पहले ड्रोन से होता था केमिकल का छिड़काव
मच्छरों और लार्वा को मारने और जल जमाव वाले इलाकों को डेंगू मुक्त बनाने के लिए स्लम एरिया में ड्रोन से केमिकल का छिड़काव किया जाता था। ड्रोन से केमिकल का छिड़काव ज्यादा महंगा होता है। साथ ही बीएमसी के पास पर्याप्त मात्रा में ड्रोन उपलब्ध नहीं है। लेकिन पिछले साल बड़े स्तर पर ड्रोन से केमिकल का छिड़काव हुआ। लेकिन इस बार ई रिक्शा माउंटेड स्प्रेयर की मदद से प्रभावी छिड़काव किया जाएगा। जिसके बाद ड्रोन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ई-रिक्शा के साथ फिट की फॉगिंग मशीन
स्लम एरिया और गलियों में मच्छरों के प्रभावी रोकथाम के लिए ई रिक्शा में फॉगिंग मशीन को फिट किया गया है। मानसून के आने के साथ म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की चिंता बढ़ी और मच्छरों की रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय किए जाने शुरू हो गए। इसी क्रम में ई रिक्शा को केमिकल स्प्रे के लिए उपयोग में लिया जाना एक प्रभावी तरीका है। ई रिक्शा से छोटे छोटे एरिया में काफी कम कीमत में पहुंचा भी जा सकता है और कम लागत में स्प्रे भी किया जा सकता है।
बीएमसी ने संवेदनशील जगहों को भी किया शॉर्ट लिस्ट
बीएमसी ने इस काम के लिए उन इलाकों को भी शॉर्ट लिस्ट कर लिया है, जिन इलाकों में जल जमाव होते हैं और डेंगू का खतरा बना रहता है। साथ ही स्लम एरिया को भी शॉर्ट लिस्ट किया गया है। जहां काफी संख्या में बेघर लोग रहते हैं। उन एरिया में जल जमाव की स्थिति काफी ज्यादा देखने को मिलती है। बीएमसी के इस कदम से उन क्षेत्रों में डेंगू का प्रभावी निदान किया जाना संभव हो सकेगा। इसके अलावा खुली नालियों में, खुले कचरे वाली जगहों पर भी नियमित रूप से केमिकल का छिड़काव किया जाएगा। बीएमसी ने उम्मीद जताई है कि इस बार ऐसे खुले और संवेदनशील जगहों की संख्या में कमी दिखेगी। क्योंकि ऐसे बहुत से ओपन जगहों को मिनी मार्क में या फिर छोटे मोटे घूमने और सैर करने की जगहों में कन्वर्ट कर दिया गया है।
ई रिक्शा का बढ़ता उपयोग
ई रिक्शा की मदद से ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम काफी आसान हुई हुई है। लोग काफी कम कीमत में एक जगह से दूसरे जगह पर जा पा रहे हैं। इससे प्रदूषण तो कम हुआ ही है। साथ ही यात्रियों के लिए यह एक आरामदायक एवं बेहद कम ध्वनि प्रदूषण देने वाला भी ट्रांसपोर्ट साधन है। ई रिक्शा का ज्यादा कार्यों के लिए उपयोग में आना बेहद सकारात्मक है।
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