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Montra Electric Eviator
18 दिसंबर 2021

इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में अगले 5 सालों में 94,000 करोड़ रुपए का निवेश

By News Date 18 Dec 2021

इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में अगले 5 सालों में 94,000 करोड़ रुपए का निवेश

जाने,अगले 5 सालों में इलेक्ट्रिक व्हीकल के कारोबार बार कितना होगा निवेश 

विगत कुछ अर्से से जिस तरह से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की मुहिम केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से चल रही है उससे ईवी कारोबार में निरंतर तेजी आ रही है। एक के बाद एक ऑटोमोबाइल कंपनियों की ओर से ईवी व्यवसाय में निवेश की घोषणाएं हो रही हैं। अगर इसी तरह से ईवी की ग्रीन मोबिलिटी की क्रांति जारी रही तो आगामी 5 वर्षों में भारत में इलेक्ट्रिक कारोबार चरम पर होगा। 

यहां बता दें कि हाल ही इंडोस्पेस के साथ मिलकर जारी की गई एक रिपोर्ट में कोलियर्स ने अनुमान लगाया है कि आने वाले 5 सालों में भारतीय इलेक्ट्रिक (Electric) व्हीकल सेगमेंट में लगभग 94,000 करोड़ रुपये का निवेश हो सकता है। वहीं वर्तमान में भारत के कई राज्य ईवी कारोबार के तहत निवेश में आगे चल रहे हैं। इनमें तमिलनाडु सबसे अग्रणी है। आइए, क्या है कोलियर्स की यह रिपोर्ट और कौन-कौन से ऐसे कारण हैं जो भारत में ईवी कारोबार में निवेश के लिए कंपनियों को प्रेरित कर रहे हैं? 

जानें,क्या है इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इन फुल गियर? 

भारतीय इलेक्ट्रिक सेगमेंट में तेजी से बढ़ते कदमों के कारण इंडोस्पेस के साथ मिलकर कोलियर्स ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट का नाम इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इन फुल गियर है। इसका अभिप्राय है कि आने वाले 5 सालों में भारत में इलेक्ट्रिक कारोबार फुल स्पीड में होगा। रिपोर्ट के मुताबिक इस कारोबार में विभिन्न ऑटोमोबाइल कंपनियों की ओर से करीब 94,000 करोड़ रुपये का निवेश किए जाने का अनुमान है। 

रियल एस्टेट क्षेत्र को होगा विशेष लाभ

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन कारोबार में निरंतर तेजी के चलते रियल एस्टेट क्षेत्र को भी विशेष लाभ होगा। कोलियर्स की रिपोर्ट इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इन फुल गियर में यह खुलासा किया गया है कि ई कॉमर्स और 3 पीएल कंपनियों की ओर से अंतिम माइल तक डिलीवरी को ध्यान में रखते हुए नई इकाइयों की स्थापना होगी। वहीं औद्योगिक पार्कोँ एवं समूहों के विकास के रूप में निवेश से भारतीय रियल एस्टेट को भारी लाभ पहुंचेगा। इधर विभिन्न राज्य सरकारें इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए कई प्रकार की योजनाएं संचालित कर रही हैं। इनमें सब्सिडी दिए जाने से लेकर रजिस्ट्रेशन शुल्क और रोड टैक्स में छूट देना आदि शामिल हैं। 

ईवी क्षेत्र में निवेश के लिए तमिलनाडु सबसे आगे

ईवी के लिए कुल निवेश में करीब 34 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए तमिलनाडु सबसे आगे है और इसके बाद 12 प्रतिशत एवं 9 प्रतिशत की हिस्सेदार के साथ क्रमश: आंध्रप्रदेश और हरियाणा का नाम आता है। इधर केंद्र सरकार का वर्ष 2030 तक 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन लोगों द्वारा अपनाने का लक्ष्य है। बता दें कि इस समय भारत के 15 राज्यों ने ईवी पॉलिसी को मंजूरी दे दी है अन्य 6 राज्यों ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसके अलावा दक्षिणी राज्य एवं उत्तरप्रदेश ईवी निर्माता आधारित प्रोत्साहनों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। 

इलेक्ट्रिक वाहन हो सकते हैं गेम चेंजर 

आगामी पांच वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों की भारत में काफी तादाद रहेगी, ऐसे में ये वाहन गेम चेंजर के रूप में साबित हो सकते हैं। वहीं कोलियर्स इंडिया के सीईओ एवं एमडी रमेश नायर ने कहा है कि भारत सरकार का 2030 तक 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन का लक्ष्य है जो काफी सराहनीय है। भारत में परिवहन क्षेत्र इस समय Co2 का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है। इधर रियल एस्टेट कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण, वेयर हाउसिंग, चार्जिंग स्टेशन और डीलरशिप के अवसरों का लाभ उठा सकती हैं। सरकार के पास 2030 तक 110 GWh ईवी बैटरी के निर्माण का लक्ष्य है। अनुमान है कि पूरे भारत में लगभग 1,300 एकड़ भूमि की विनिर्माण के लिए आवश्यकता हो सकती है। 

टाटा मोटर्स ईवी क्षेत्र में 15,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी 

यह सच है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल के बढ़ते चलन के कारण कई बड़ी वाणिज्यिक कंपनियां ईवी बिजनेस में बड़ा निवेश कर रही हैं। बता दें कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स ने भी अगले साल तक 10 नये इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में उतारने की योजना बनाई है। बता दें कि अगले चार सालों में टाटा मोटर्स 10 नये इलेक्ट्रिक वाहनों को लांच करेगी। इसके लिए कंपनी 15,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इससे ना सिर्फ स्थितियों में परिवर्तन आएगा बल्कि 2022-23 तक फ्री कैश फ्लो भी जनरेट होगा। इसके अलावा टाटा मोटर्स के यात्री वाहन इलेक्ट्रिक वाहन डिवीजन में  9.1 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन पर 1 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना है। 

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