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7 फरवरी 2022

ट्रकों सहित सभी वाहनों की फिटनेस जांच होगी अनिवार्य

By News Date 07 Feb 2022

ट्रकों सहित सभी वाहनों की फिटनेस जांच होगी अनिवार्य

अगले साल अप्रैल से सरकार की फिटनेस जांच योजना होगी लागू 

केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से हाल ही एक मसौदा अधिसूचना जारी की गई है। इस मसौदा सूचना मेें कहा गया है कि अगले साल 2023 से सभी वाहनों के लिए सरकार फिटनेस जांच अनिवार्य करेगी। बता देें कि मंत्रालय ने एटीएस के जरिए वाहनों की फिटनेस जांच को चरणबद्ध तरीके से अनिवार्य करने की योजना बनाई है। इसके माध्यम से ही जनता की राय जानी जाएगी और अप्रैल 2023 से सरकार की यह योजना ट्रकों सहित अन्य भारी माल वाहक व्हीकल्स पर लागू हो जाएगी। आइए, जानते हैं क्या है केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की मसौदा अधिसूचना और इसे कब और कैसे सभी प्रकार के वाहन मालिकों के लिए लागू किया जाएगा? 

फिटनेस के लिए लगाए जाएंगे स्वचालित परीक्षण स्टेशन 

यहां बता दें कि सडक़ एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी मसौदा अधिसूचना में कमर्शियल एवं पैसेंसर वाहनों सहित सभी श्रेणी के वाहनों की फिटनेस जांच अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है। यह जांच सरकार चरणबद्ध तरीके से करेगी। वहीं फिटनेस जांच के लिए मैकेनिकल उपकरणों की मदद ली जाएगी। इसके अंतर्गत अप्रैल 2023 तक भारी मालवाहक वाहनों और यात्री मोटर वाहनों के लिए स्वचालित परीक्षण स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। इस प्रकार इन वाहनों के मालिकों को फिटेनस जांच कराने में सुविधा मिलेगी वहीं फिटनेस जांच का सरकार का उद्देश्य जल्द पूरा हो सकेगा। 

15 साल पुराने वाणिज्यिक वाहनों की भी होगी फिटनेस जांच 

बता दें कि केंद्रीय सडक़ परिहवन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी मसौदा अधिसूचना में फिटनेस जांच के लिए बाकायदा अभियान भी चलाया जाएगा। यह मसौदा अधिसूचना ऐसे समय में आई है जब पहले ही सरकार राष्ट्रीय कबाड़ नीति भी लागू कर चुकी है। ऐसे में पंद्रह साल पुराने वाणिज्यिक वाहनों की फिटनेस जांच की जाएगी और इस जांच मेंं यदि वाहन खरा नहीं उतरता है तो ऐसे वाहनों को फिटेनस प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाएंगे। वाहन फिटनेस जांच के लिए निजी कंपनियों के कर्मचारी इस कार्य के लिए  एटीएस यानि स्वचालित परीक्षण स्टेशन पर तैनात रहेंगे। 

फिटनेस जांच के दो साल बाद हो सकेगा नवीनीकरण 

यहां बता दें कि मसौदा अधिसूचना के तहत वाहनों के फिटनेस प्रमाण पत्र के नवीनीकरण के लिए दो साल का अंतर रखने का प्रस्ताव किया गया है। उदाहरण के लिए 8 साल पुराने वाणिज्यिक वाहनों के लिए फिटनेस जांच के दो साल बाद रिन्युअल प्रमाण पत्र जारी किया जा सकेगा। वहीं इससे कम पुराने वाहनों के लिए यह अंतर एक साल का रखे जाने का प्रस्ताव है। वाहनों की फिटनेस जांच के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चिन्हित करना है। 

देश में लाखों वाहनों के वैध फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में 51 लाख हल्के मोटर वाहन ऐसे हैं जो 20 साल से ज्यादा पुराने हैं लेकिन इनके पास वैध फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं हैं। वहीं 34 लाख वाहन 15 साल पुराने हैं। इसके अलावा 17 लाख वाहन मध्यम एवं भारी वाणिज्यिक वाहन  (HCV) हैं जो भी 15 साल पुराने हैं। इनके भी फिटनेस जां प्रमाण पत्र नहीं हैं। ऐसे में सरकार की ओर से आगामी वर्ष 2023 से फिटनेस जांच अनिवार्य करने की मसौदा अधिसूचना जारी करना सरकार का सही कदम कहा जा सकता है। 

लोगों को मानसिक रूप से करेंगे जागरूक 

केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से आगामी वर्ष 2023 में चलाए जाने वाले वाहन फिटनेस जांच अभियान के तहत लोगों को इसके लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाएगा। सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग सचिव गिरधर अरमाने ने कहा है कि सरकार एनजीओ आदि के जरिए जागरूकता अभियान चलाएगी। वहीं सरकार इस कार्य को आसान बनाने के लिए विशेष प्रयोजन वाहनों,राज्य सरकारों, कंपनियों और ऑटोमोबाइल संगठनों की मदद भी लेगी। 

सिंगल विंडों क्लियरेंस से रजिस्टे्रशन की सुविधा 

केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार फिटनेस जांच के लिए स्वचालित परीक्षण स्टेशन के पूर्व पंजीकरण या पंजीकरण के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम प्रदान की जाएगी। पंजीकरण अधिकारी राज्य के परिवहन आयुक्त के  स्तर या  इससे ऊपर का होगा। भारी वाणिज्यिक वाहन जैसे ट्रक, टिपर, लॉरी आदि के लिए अगले साल अप्रैल से वाहन फिटनेस जांच अनिवार्य हो जाएगी जबकि निजी वाहनों के लिए इसके बाद थोड़ा वक्त लग सकता है। 

ऑनलाइन बनवाएं ,वाहन फिटनेस सर्टिफिकेट

बता दें कि अब वाहन फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए आपको सबसे अपने क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब सरकार ने इस प्रक्रिया को बहुत आसान बना दिया है। दरअसल प्रक्रिया डिजीटल हो गई है। इसे आंशिक रूप से ऑनलाइन पूरा किया जा सकता है। हां, आपको वाहन निरीक्षण की भौतिक प्रक्रिया के लिए अपने वाहन को आरटीओ ले जाना पड़ेगा। इसके बाद वाहन फिटनेस आवेदन की प्रक्रिया आप सीधे ऑनलाइन पूरी कर सकते हैं। 

फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन ऐसे करें 

 

  • वाहन नागरिक सेवा के अंतर्गत संबंधित आवेदक को अधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।  यह इस प्रकार है। vahan.parivahan.gov.in/ इसके बाद पंजीकरण संख्या, राज्य औरआरटीओ का नाम दर्ज किया जाना चाहिए। वहीं फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करें। 
  • आवेदक को अपने वाहन के चेसिस नंबर के अंतिम 5 अंक दर्ज करने चाहिएं और विवरण सत्यापित करें विकल्प पर क्लिक करें। 
  •  आवेदक अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर पर प्राप्त ओटीपी दर्ज करे।  इसके बाद  सत्यापन पूरा होने के बाद वाहनों के सभी आवश्यक विवरण भरने के लिए आगे बढ़ें। 
  • आवेदन पत्र के साथ शुल्क की रसीद जनरेट की जाएगी। निरीक्षण के लिए अपने वाहन और इन दस्तावेजों के साथ आरटीओ पर जाएं। 

वाहन फिटनेस सर्टिफिकेट क्यों है जरूरी ? 

बता दें कि वाहन सर्टिफिकेट यूं तो सभी प्रकार के वाहनों के लिए जरूरी होता है लेकिन कमर्शियल वाहनों के लिए यह बहुत जरूरी है। वाणिज्यिक वाहनों का संचालन करना सीधे तौर पर ट्रांसपोर्ट बिजनेस के तहत आता है। भारत में लाखों लोगों की आजीविका इस व्यवसाय से चलती है। बता दें कि वाणिज्यिक वाहनों से कई बार यातायात को भी खतरा हो सकता है वहीं इन वाहनों से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। ऐसे में परिवहन विभाग ने इन वाहनों के संचालन के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिए। आरटीओ ने मोटर वाहन अधिनियम 1989 के एक भाग के रूप में एक फिटनेस प्रमाण पत्र की अवधारणा को शुरू किया है।  

जानें, वाहन फिटनेस प्रमाण पत्र की उपयोगिता  

यहां बता दें कि फिटनेस प्रमाण पत्र की क्या उपयोगिता होती है। यह प्रमाण पत्र जारी होने से पहले वाहन जिन निरीक्षणों से गुजरता है वे किसी भी मुद्दे की पहचान करते हैं। बाद में बार-बार टूटने जैसी समस्या पैदा हो सकती है ऐसे में एक वाहन जिसे फिटनेस सर्टिफिकेट के तौर पर सम्मानित किया जाता है उसे भारतीय सडक़ों  पर चलने का पूरा अधिकार होता है। वह सडक़ परिवहन के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसका अभिप्राय यह भी है कि वाहन का उत्सर्जन अनुमेय सीमा के भीतर है और इससे पर्यावरण को कोई बड़ा नुकसान नहीं हो रहा है।  वहीं वाहन सर्टिफिकेट के बाद संबंधित वाहन तकनीकी रूप से ठीक आकार में है और उसके यांत्रिक दोषों के चलते सडक़ पर लोगों के लिए सुरक्षा खतरा पैदा करने की संभावना काफी कम है। यह भी बता दें कि कमर्शियल वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट केवल दो साल के लिए मान्य होता है। 

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