रोड एक्सीडेंट में घायलों को मिलेगा 1.50 लाख रुपए का कैशलेस इलाज
भारत में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार की तमाम हिदायतों और सुरक्षा उपायों के बावजूद हर दिन हजारों लोग रोड एक्सीडेंट में घायल हो रहे हैं। साल 2024 में सड़क दुर्घटनाओं में करीब 1.80 लाख लोगों की जान चली गई। 66 प्रतिशत दुर्घटनाएं 18 से 34 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों के साथ हुई। सड़क दुर्घटना में घायल लोगों की मौत की पीछे सबसे बडी वजह समय पर इलाज नहीं मिलना भी है। अब केंद्र सरकार ने सड़क दुर्घटना में घायल लोगों के फ्री इलाज के लिए नई योजना शुरू की है। इस योजना का लाभ ट्रक चालक, कमर्शियल वाहन चालक सहित सभी वाहन चालकों को मिलेगी। यह स्कीम सभी तरह की सड़कों पर गाड़ियों से होने वाले एक्सीडेंट को कवर करेगी। आइए, ट्रक जंक्शन की इस पोस्ट में इस खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कैशलेस ट्रीटमेंट योजना : दुर्घटना पर पुलिस को सूचना देना अनिवार्य
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में 'कैशलेस ट्रीटमेंट' योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत सड़क दुर्घटना के पीड़ितों के सात दिनों के इलाज के लिए 1.5 लाख रुपये तक का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। लेकिन इसमें शर्त यह है कि पुलिस को दुर्घटना के बारे में 24 घंटे के भीतर सूचित किया जाना चाहिए। अगर पुलिस को दुर्घटना की सूचना नहीं है तो कैशलैस इलाज मिलने में दिक्कत आ सकती है।
सड़क दुर्घटना में मौत पर मिलेंगे 2 लाख रुपए
सरकार की इस नई घोषणा के अनुसार, सड़क दुघर्टना में मौत पर पीड़ित परिवार को 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा, "हमने कैशलेस ट्रीटमेंट के लिए नई योजना शुरू की है। इसमें पुलिस को 24 घंटे के भीतर दुर्घटना की सूचना मिलने पर मरीज को सात दिन के ट्रीटमेंट का खर्च या उपचार के लिए अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की राशि प्रदान की जाएगी। हम हिट-एंड-रन मामलों में मृतक के परिजनों को दो लाख रुपये की सहायता प्रदान करेंगे।
योजना को मार्च 2025 से पूरे देश में लागू करने की तैयारी
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 14 मार्च, 2024 को सड़क दुर्घटना से पीड़ितों को ‘कैशलेस’उपचार देने के लिए पायलट योजना शुरू की थी। योजना को बाद में छह राज्यों में लागू किया गया। अब मार्च 2025 से इसे पूरे देश में लागू करने की तैयारी है। योजना को लागू करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) की होगी। पीआईबी के अनुसार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एनएचए, स्थानीय पुलिस, सूचीबद्ध अस्पतालों, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र और सामान्य बीमा परिषद के साथ समन्वय करके कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। गड़करी के अनुसार, अगले संसद सत्र में मोटर वाहन संशोधन कानून पेश किया जाएगा।
सड़क हादसों को रोकने के लिए 3 तकनीकें अनिवार्य करने का निर्णय
केंद्रीय मंत्री गड़करी ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारी वाहनों में तीन तकनीकें अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है। इलेक्ट्रानिक स्टेबिलिटी कंट्रोल और आटोमेटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम से दो वाहनों के टकराव को रोका जा सकता है, जबकि ड्राइवर ड्राउजीनेस सिस्टम अलर्ट ऐसा आडियो सिस्टम होगा यह भांप लेगा कि ड्राइवर को झपकी या आलस आ रहा है और ड्राइवर को सतर्क कर देगा।
आईटी प्लेटफार्म की मदद से ऑपरेट होगी स्कीम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह स्कीम एक IT प्लेटफार्म की मदद से ऑपरेट होगी। इसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के ई-डिटेल्ड एक्सीडेंट रिपोर्ट (eDAR) एप्लिकेशन को NHA के ट्रांजैक्शन मैनेजमेंट सिस्टम के साथ मिलाया जाएगा।
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