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29 May 2023
Automobile

भारत में इलेक्ट्रिक ट्रकों का भविष्य : 2030 तक 20 से 25% बिक्री बढ़ने की उम्मीद

By News Date 29 May 2023

भारत में इलेक्ट्रिक ट्रकों का भविष्य : 2030 तक 20 से 25% बिक्री बढ़ने की उम्मीद

भारत को इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए करना पड़ सकता है लंबा इंतजार

भारत में तेजी से बढ़ता इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का उपयोग किस ओर इशारा कर रहा है, अक्सर इसको लेकर कई लोग उलझन में ही फंसे रहते हैं। लेकिन आपको बता दें, कुछ लोगों का मानना है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का फ्यूचर बहुत ही उज्ज्वल है। भारत समेत दुनिया के कई देशों में सफल इलेक्ट्रिक व्हीकल टेक्नोलॉजी के उद्भव और वैश्विक लाभ के लिए इन टेक्नोलॉजीज को साझा करने के अभियान के कारण मैन्युफैक्चरिंग और संचालन लागत में कमी आई है।

आपको बता दें, पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स न केवल जीवाश्म ईंधन वाहनों के लिए एक स्वच्छ विकल्प साबित हुए हैं, बल्कि सबसे अधिक लागत प्रभावी भी हैं। फ्यूल की बढ़ती कीमतों को अगर देखे तो, भारत में अधिकतर लोगों ने इसी वजह से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना शुरू किया है। इलेक्ट्रिक व्हीकल टेक्नोलॉजी आज की दुनिया में पर्यावरण संरक्षण, कम परिचालन लागत और शुद्ध शून्य उत्सर्जन के साथ कई प्रकार की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह फॉसिल फ्यूल इंटरनल कंबशन इंजन (ICE) व्हीकल्स और वैकल्पिक पारंपरिक परिवहन प्रणालियों पर बड़े देशों की निर्भरता को कम कर सकता है।

इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में भारत तीसरा सबसे बड़ा मार्केट

आपकी जानकारी के लिए बता दें, जापान और जर्मनी से आगे भारत आज इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मोटर वाहन मार्केट बन गया है। ऐसे में भारत के मैन्युफैक्चरर और पॉलिसी मेकर्स की मांग को हरित विकल्पों की ओर स्थानांतरित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। ऑटोमोटिव इंडस्ट्री भारत की अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदानकर्ता है, जो इसके सकल घरेलू उत्पाद का 7.1% है और बड़ी संख्या में नौकरियां प्रदान कर सकता है। आपको बतातें चले कि, भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री लगभग 2% ही हैं, लेकिन भारत सरकार ने दोपहिया वाहनों की बढ़ती खरीद पर ध्यान केंद्रित करते हुए अगले दशक में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने का लक्ष्य रखा है।

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 2030 तक 40% से 45% तक बढ़ने की उम्मीद

Bain & Company द्वारा दिसंबर में पूर्वानुमान जारी किया था, जिसमें भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 2030 तक 40% से 45% तक बढ़ने की उम्मीद जताई गई है, और इसके बाद हर साल लगभग 13 मिलियन नए इलेक्ट्रिक वाहनों को बेचा जा सकता है। कंसल्टेंसी के अनुसार, भारत की 4 व्हीलर इंडस्ट्री 2030 तक सिर्फ 15 से 20% बढ़ने की उम्मीद है, और माना जा रहा है कि हर साल 10 लाख नए व्हीकल्स बेचे जा सकते हैं।

इस रिपोर्ट में वाणिज्यिक वाहनों के लिए कहा गया है कि, 2030 तक भारत में हल्के इलेक्ट्रिक ट्रकों को बिक्री 20 से 25% तक बढ़ सकती है और इलेक्ट्रिक बसों की बिक्री लगभग 15 से 20% तक की उम्मीद है। कंसल्टेंसी के अनुसार, ईवी सेगमेंट 2030 तक लगभग 930,000 हल्के वाणिज्यिक वाहनों और 175,000 बसों तक पहुंच जाएगा। भारी ट्रकों के लिए ईवी अपनाने की गति धीमी रह सकती है।

इलेक्ट्रिक वाहनों के अनुकूल नीतियां

बेहतर संचार, आपूर्ति और मांग में वृद्धि और टेक्नोलॉजी के अधिक उपयोग जैसे प्रमुख विकासों के साथ Trucking इंडस्ट्री फलफूल रही है। भारत में रोड लॉजिस्टिक मार्केट अगले 3 सालों में 8% की CAGR से बढ़कर 2025 तक 330 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। लेकिन भारतीय राजमार्गों पर ट्रकों द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को देखते हुए कि हमें यह सोचना चाहिए कि ट्रकिंग को हरा-भरा कैसे बनाया जाए।

2023 के लिए हुए आर्थिक अध्ययन के अनुमान के अनुसार, भारत में घरेलू इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट 2022 और 2030 के बीच लगभग 49% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ सकता है, जो 2030 तक 10 मिलियन यूनिट की वार्षिक बिक्री तक पहुंच जाएगा। इसके अतिरिक्त, इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री से उम्मीद की जा रही है कि, 2030 तक लगभग 50 मिलियन डायरेक्ट और इनडायरेक्ट जॉब सृजित की जा सकती है।

भारतीय सरकार ने 2030 तक देश के व्हीकल फ्लीट के 30% इलेक्ट्रिफिकेशन को प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, और EV इंडस्ट्री के विकास का समर्थन करने के लिए कई प्रोत्साहन और नीतियां पेश की गई हैं। इंडस्ट्री को इलेक्ट्रिक व्हीकल प्रोडक्ट, हाइड्रोजन अपनाने और विकसित प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में वित्तीय वर्ष 24 के लिए केंद्रीय बजट से बड़ा बढ़ावा मिला है।

भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2023-24 में 2070 तक ऊर्जा परिवर्तन और शुद्ध शून्य उत्सर्जन के उद्देश्य से प्रमुख पूंजी निवेश के लिए INR 350 बिलियन के बजट आवंटन की घोषणा की थी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि सरकार वायबिलिटी गैप फंड के माध्यम से 4,000 MWH क्षमता की बैटरी स्टोरेज सिस्टम का समर्थन करेगी। इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माताओं के लिए, सरकार ने EV निर्माण के लिए त्वरित दत्तक ग्रहण योजना - II (FAME- II) और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) जैसी पहल को  शुरू किया है। स्वच्छ-ऊर्जा वाहनों को अपनाने और बढ़ावा देने के लिए बजट ने अपने FAME-II कार्यक्रम के लिए 5,172 करोड़ रुपये आवंटित किए।

भारत को इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए करना पड़ सकता है लंबा इंतजार

परिवहन सेक्टर भारत के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 14% के लिए जिम्मेदार है। देश में यह सबसे तेजी से बढ़ने वाला ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक क्षेत्र भी है। सड़क ट्रांसपोर्ट, विशेष रूप से देश के परिवहन उत्सर्जन के 90% से ज्यादा के लिए जिम्मेदार है। इसलिए, शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए, भारत में सड़क परिवहन को कम करने की आवश्यकता है। सड़क परिवहन के इलेक्ट्रिफिकेशन से निश्चित रूप से देश के ओवरऑल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में काफी कमी आएगी। जहां 2 व्हीलर और 3 व्हीलर वाहनों, कारों और बसों के इलेक्ट्रिफिकेशन में तेजी आ रही है, वहीं हैवी लॉजिस्टिक्स सेक्टर का इलेक्ट्रिफिकेशन अभी भी भारत में पिछड़ रहा है। भारत में प्रति वर्ष 100 बिलियन किलोमीटर से अधिक की यात्रा करने वाले 2.8 मिलियन से अधिक ट्रक हैं। इस हिसाब से केवल 2% सड़क वाहनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन वे 40% से अधिक सड़क परिवहन उत्सर्जन और ईंधन की खपत के लिए जिम्मेदार हैं। इन अध्ययनों से सामने आया है कि, शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए 2070 तक इलेक्ट्रिक ट्रकों को सभी मालवाहक ट्रकों का कम से कम 8% बनाने की आवश्यकता होगी।

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