वित्तवर्ष 2026 तक सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या 72,300 तक पहुंचाने का लक्ष्य
केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग नेटवर्क को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। बंदरगाहों, हवाई अड्डों, राष्ट्रीय राजमार्गों और रेलवे संपत्ति जैसी प्रमुख जगहों पर EV चार्जिंग स्टेशनों और बैटरी स्वैपिंग सुविधाओं को स्थापित करने की योजना बनाई गई है। भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) इस दिशा में भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (AAI), राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI), बंदरगाह मंत्रालय और विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर संभावित स्थानों की पहचान कर रहा है। आइए, इस खबर को विस्तार से जानें।
2 हजार करोड़ रुपए चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग सुविधाओं पर होंगे खर्च
यह पहल प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना के तहत की जा रही है, जिसके लिए सरकार ने ₹10,900 करोड़ का बजट निर्धारित किया है। इसमें से ₹2,000 करोड़ EV चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग सुविधाओं पर खर्च किए जाएंगे। इसका उद्देश्य देशभर में चार्जिंग कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना और पारंपरिक पेट्रोल-डीजल वाहनों पर निर्भरता को कम करना है। भारत सरकार का लक्ष्य वित्तवर्ष 2026 तक देश में सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या को 32,500 से बढ़ाकर 72,300 करना है।
ट्रक यातायात वाले 20 प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग चिन्हित
फिलहाल दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, कोच्चि एयरपोर्ट, एनएच-48 (दिल्ली-जयपुर-आगरा) और एनएच-179बी (चेन्नई-त्रिची) जैसे मार्गों पर पहले से EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। अब अन्य मार्गों और स्थलों की पहचान कर उन्हें इस योजना से जोड़ा जा रहा है। सरकार ने ट्रक यातायात वाले 20 प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों को भी चिन्हित किया है, जिनमें मुंबई-पुणे और बेंगलुरु-चेन्नई जैसे व्यस्त मार्ग शामिल हैं।
कुछ क्षेत्रों में 100 प्रतिशत फंडिंग करेगी सरकार
एनएचएआई इन मार्गों पर टेंडर प्रक्रिया को स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ाएगा, जबकि एमएचआई 80% तक लागत वहन करेगा। पूर्वोत्तर, तटीय और पहाड़ी क्षेत्रों जैसे विशेष क्षेत्रों में सरकार 100% फंडिंग देने पर भी विचार कर रही है। बैटरी स्वैपिंग को लेकर भी दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं। सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए, एएआई, एनएचएआई और अन्य एजेंसियां अपने टेंडर में स्वैपिंग स्टेशनों के प्रस्ताव शामिल कर सकेंगी। कंपनियों को सेवा स्तर बनाए रखने के लिए बैटरियों का स्टॉक रखना पड़ सकता है, हालांकि बैटरी की संख्या या आकार पर कोई बाध्यता नहीं होगी।
"बैटरी-एज-ए-सर्विस" मॉडल को मिलेगा बढ़ावा
केंद्र सरकार अपनी इस पहल के तहत "बैटरी-एज-ए-सर्विस" मॉडल को भी बढ़ावा दे सकती है, जिससे वाहन खरीदारों को बैटरी के लिए अलग से भुगतान करना होगा और ईवी की शुरुआती कीमत कम हो जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मॉडल की सफलता बैटरी के मानकीकरण और विभिन्न वाहन निर्माताओं की भागीदारी पर निर्भर करेगी। यह पहल ऐसे समय पर की जा रही है जब भारत अपने बंदरगाहों और परिवहन बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास कर रहा है। सरकार का इरादा है कि व्यापारिक केंद्रों से बंदरगाहों तक निर्बाध सड़क संपर्क सुनिश्चित कर देश की आर्थिक गतिविधियों को नई रफ्तार दी जाए।
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