भारत में ऊर्जा भंडारण को मिलेगी नई रफ्तार : 5,400 करोड़ रुपये की अतिरिक्त योजना घोषित
देश की बढ़ती बिजली मांग और 2070 तक ‘नेट जीरो’ लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने एक बड़ी घोषणा की है। केंद्र सरकार 30 गीगावाट घंटे की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) स्थापित करने के लिए 5,400 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता (VGF) देगी। इस योजना से देश को न केवल चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति में मदद मिलेगी, बल्कि यह रिन्यूएबल एनर्जी के बेहतर उपयोग और ग्रिड स्टेबिलिटी के लिए भी अहम होगी। इससे करीब 33,000 करोड़ रुपये का निजी निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है।
रिन्यूएबल एनर्जी का बड़ा लक्ष्य
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने बताया कि सरकार ने 2030 तक 393 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा (293 GW सौर और 100 GW पवन) और कुल 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। चूंकि सौर और पवन ऊर्जा अस्थायी होती है, इसलिए बिजली की निरंतर आपूर्ति और ग्रिड संतुलन के लिए ऊर्जा भंडारण प्रणाली अनिवार्य है।
योजना के मुख्य बिंदु :
- 15 राज्यों को कुल 25 गीगावाट घंटे की BESS क्षमता का आवंटन मिलेगा
- सरकारी कंपनी NTPC को 5 गीगावाट घंटे की क्षमता मिलेगी
- पहली निविदा 3 महीने में जारी की जाएगी
- इससे पहले 3,700 करोड़ रुपये की मदद से 13.2 गीगावाट घंटे की BESS प्रणाली पर काम चल रहा है
भारी निवेश की संभावना
इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस के मुताबिक, भारत के ऊर्जा भंडारण क्षेत्र में 2032 तक 4.79 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश की संभावना है। CEA का अनुमान है कि 2032 तक भारत को कुल 411 गीगावाट घंटे की भंडारण क्षमता की आवश्यकता होगी।
ग्रिड सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी
मंत्री ने बताया कि हाल ही में साइबर हमलों का सामना करने के बावजूद भारत का बिजली ग्रिड सुरक्षित रहा। इसके साथ ही, भारत अब UAE और सऊदी अरब तक समुद्र के नीचे HVDC ट्रांसमिशन केबल बिछाने की योजना पर काम कर रहा है, जिसकी लागत करीब 90,000 करोड़ रुपये आंकी गई है।
परमाणु ऊर्जा को मिलेगा बढ़ावा
सरकार अब उन राज्यों में परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं शुरू करने का सुझाव दे रही है जो भूकंप के उच्च जोखिम वाले क्षेत्र (Seismic Zone 5) में नहीं हैं। भारत में फिलहाल 8 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता है, जिसे 2032 तक 22 गीगावाट और 2047 तक 100 गीगावाट तक ले जाने का लक्ष्य है।
एयर कंडीशनर तापमान पर नया नियम
ऊर्जा बचत और जलवायु परिवर्तन की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए सरकार अब AC का तापमान 20°C से 28°C के बीच रखने का नियम लागू करने जा रही है। इसके लिए दिशा निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे।
क्यों जरूरी है यह कदम?
भारत में बिजली की अधिकतम मांग लगातार बढ़ रही है। यह मांग 2023 में 250 GW, और 2024 में 241 GW तक पहुंची थी। इस गर्मी में 270 GW तक मांग पहुंचने का अनुमान है। सरकार का दावा है कि देश की विद्युत व्यवस्था इस मांग को पूरा करने के लिए तैयार है।
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