हिमाचल प्रदेश सरकार का नया नियम : वाहन से कूड़ा फेंकते पकड़े जाने पर 1500 रुपए का जुर्माना
देश में हर साल करोड़ों पर्यटक लाखों व्यावसायिक वाहनों से पर्यटन स्थलों पर जाते हैं और रास्ते में जगह-जगह खुले में कचरा फेंक देते हैं। इससे पर्यटक स्थलों का सौंदर्य बिगड़ रहा है और पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ रहा है। अब सरकार ने पर्यटन स्थलों पर बढ़ती भीड़ और पर्यावरण पर उसके गहराते प्रभाव को देखते हुए एक सख्त कदम उठाया है। राज्य सरकार ने एक नई अधिसूचना जारी करते हुए सभी व्यावसायिक वाहनों में डस्टबिन लगाना अनिवार्य कर दिया है। इस नियम का उल्लंघन करने वालों पर ₹10,000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा, वहीं वाहन से कचरा फेंकते पकड़े जाने पर अतिरिक्त ₹1,500 का दंड भी भरना होगा। आइए, इस खबर को विस्तार से जानते हैं।
सरकार के नए नियम का उद्देश्य
भारत में घूमने वाले देशी व विदेशी पर्यटक हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर व अन्य ठंडे प्रदेशों में जाना अधिक पसंद करते हैं। पर्यटकों की अधिक भीड़ के कारण पर्यटक स्थलों पर जगह-जगह कचरा फैलने की समस्या बढ़ रही है। इस समस्या से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में व्यावसायिक वाहनों में डस्टबिन रखने के नियम को अनिवार्य किया है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य राज्य में कचरा प्रबंधन को बेहतर बनाना और खासकर पर्यटन सीजन में उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट को नियंत्रित करना है।
किन वाहनों पर लागू है यह नियम?
यह नया नियम खासतौर से टूरिज्म सेक्टर को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है। इसमें शामिल हैं:
- सरकारी बसें
- निजी बसें
- टैक्सियां
- टेम्पो ट्रैवलर
- अन्य सभी व्यावसायिक परिवहन वाहन
सरकार की अधिसूचना (क्रमांक: STE-F(9)-1/2018-LOOSE) के मुताबिक, हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (HRTC) समेत सभी सार्वजनिक और निजी परिवहन सेवा प्रदाताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके वाहनों में कचरा एकत्र करने की उचित व्यवस्था हो।
क्यों जरूरी है यह कदम?
यह फैसला हिमाचल प्रदेश गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा (नियंत्रण) अधिनियम, 1995 के अनुरूप लिया गया है। इसका उद्देश्य न केवल प्लास्टिक और अन्य गैर-घुलनशील कचरे पर नियंत्रण पाना है, बल्कि लोगों को जिम्मेदार नागरिक बनने और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रेरित करना भी है।
सरकार की प्रतिबद्धता: हरित और स्वच्छ हिमाचल
हिमाचल सरकार का यह कदम राज्य को स्वच्छ, हरित और टिकाऊ पर्यटन स्थल के रूप में बनाए रखने की दिशा में एक और बड़ा प्रयास है। पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खतरों को देखते हुए यह नीति आने वाले वर्षों में देश के अन्य पर्यटन राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है।
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