2030 तक 150 गीगावाट घंटे बैटरी क्षमता से भारतीय ईवी बाजार में होगा बड़ा बदलाव
भारत में ईवी को तेजी से अपनाया जा रहा है। कुल वाहन बिक्री में इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2030 तक बढ़कर 30 से 35 प्रतिशत हो सकती है। इसके साथ ही ईवी बैटरी के सेक्टर में देश लगातार प्रगति कर रहा है। आईसीआरए की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र महत्वपूर्ण वृद्धि की दिशा में अग्रसर है और अनुमान है कि 2030 तक देश में 150 गीगावाट से अधिक ली-आयन बैटरी सेल क्षमता सक्रिय हो जाएगी। लेकिन इस लक्ष्य के लिए कुछ चुनौतियां भी हैं। आइए, ट्रक जंक्शन की इस पोस्ट में आईसीआरए की रिपोर्ट के बारे में जानें।
देश में बैटरी विनिर्माण में ये हैं चुनौतियां
आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार देश में बैटरी विनिर्माण के लिए चुनौतियों को तीन कैटेगरी में बांटा जा सकता है, जो इस प्रकार है :
- तकनीकी जटिलता, उच्च पूंजी निवेश की आवश्यकता और कच्चे माल की उपलब्धता जैसी चुनौतियां भारतीय बाजार में घरेलू बैटरी विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र की पूरी तरह से स्थापना में रुकावट डाल सकती हैं।
- लिथियम और कोबाल्ट जैसे आवश्यक कच्चे माल की उपलब्धता भी एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है, खासकर देश में बैटरी रीसाइक्लिंग बुनियादी ढांचे की कमी के कारण। इन कारकों के चलते उद्योग की दीर्घकालिक स्थिरता पर संकट मंडरा रहा है।
- बैटरी सेल निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में प्रमुख चुनौतियां तकनीकी जटिलताओं और उत्पादन सुविधाओं के लिए आवश्यक पूंजी निवेश के रूप में सामने आई हैं।
अगले 5 साल में बढ़ेगी आपूर्ति
वैश्विक ईवी बैटरी आपूर्ति श्रृंखला में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है, विशेषकर अगले पांच वर्षों में, जो सरकार के समर्थन, उपभोक्ता जागरूकता में वृद्धि और नए ईवी मॉडलों के लॉन्च के कारण उत्पन्न होगी। वाहन की कुल लागत का 35-40 प्रतिशत बैटरी की कीमत होती है और इस वजह से बैटरी सेल निर्माण पर वैश्विक ध्यान केंद्रित है।
ली-आयन बैटरी के निर्माण में चीन का दबदबा
चीन वर्तमान में ली-आयन बैटरी के निर्माण व आपूर्ति श्रृंखला में प्रमुख स्थान पर है और कच्चे माल के प्रसंस्करण तथा विनिर्माण क्षमता में अग्रणी है। आईसीआरए की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 तक बैटरी पैक की कीमतों में 20 प्रतिशत की कमी आ चुकी है, क्योंकि आपूर्ति में वृद्धि हो रही है। दूसरी ओर, भारतीय ली-आयन बैटरी उद्योग वर्तमान में अपनी बैटरी सेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिकांश रूप से आयात पर निर्भर है। साथ ही देश में बैटरी पैक असेंबली की सीमित घरेलू क्षमता है। हालांकि, आने वाले वर्षों में भारत में ली-आयन बैटरी सेल की मांग में भारी वृद्धि होने की संभावना है, और रिपोर्ट का अनुमान है कि FY25 तक देश में ली-आयन बैटरी सेल की मांग 11-13 GWh और FY30 तक 60-65 GWh तक पहुंच जाएगी।
100 गीगावाट की ईवी बैटरी क्षमता के लिए ही 500-600 अरब खर्च होंगे
जनवरी 2025 में जारी एसबीआई कैपिटल मार्केट की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक 100 गीगावाट की ईवी बैटरी क्षमता प्राप्त करने के लिए ही लगभग 500-600 अरब रुपये का पूंजीगत व्यय होने का अनुमान है। इस दौरान चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए 200 अरब रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी।
बैटरी की 75 प्रतिशत जरूरतों के लिए आउटसोर्स का सहारा
ओईएम अपनी बैटरी की 75 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करने के लिए आउटसोर्स करते हैं, लेकिन बैकवर्ड इंटीग्रेशन के कारण वित्त वर्ष 30 तक यह घटकर 50 प्रतिशत तक हो जाएगी। यहां आपको बता दें कि बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक ड्राइव यूनिट, किसी भी ईवी का मुख्य आधार होते हैं और इनकी हिस्सेदारी कुल लागत में करीब 50 प्रतिशत की होती है।
कुल मिलाकर, भारतीय ईवी इंडस्ट्री कुछ चुनौतियों से मुकाबला करने के बाद ईवी व्हीकल की बिक्री और किफायती कीमत के मामले में नया माइल स्टोन स्थापित कर सकती है।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। प्रमुख ईवी मेकर में महिंद्रा, कायनेटिक, बजाज, पियाजियो, ओएसएम, यूलर, अल्टिग्रीन आदि शामिल है। इलेक्ट्रिक कमर्शियल व्हीकल मार्केट में इलेक्ट्रिक टिपर से लेकर इलेक्ट्रिक मिनी ट्रक तक विभिन्न ईवी श्रेणियां शामिल है। अगर आप भी इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर पर बेस्ट ऑफर प्राप्त करना चाहते हैं तो ट्रक जंक्शन पर विजिट करें।
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