पुराने कमर्शियल वाहनों की बीमा पॉलिसी के क्या हैं नियम
आजकल महंगाई के चलते लोग यूज्ड कमर्शियल वाहन खरीदने में ज्यादा रुचि लेने लगे हैं। पुराने वाहन खरीदने में पैसों की बचत होती है और लोग बचत के इन पैसों से अपने कारोबार को जमाना चाहते हैं। वहीं जब भी अक्सर लोग कोई सेकंड हैंड कमर्शियल वाहन खरीदते हैं तो बीमा पॉलिसी की शर्तों और नियमों की परवाह कम करते हैं। इससे आगे चलकर भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। खास तौर जब पुराना ट्रक या अन्य वाणिज्यिक वाहन खरीदा जाए तो बीमा पॉलिसी का ट्रांसफर बहुत जरूरी हो जाता है। यदि आपने ऐसा नहीं किया तो कई तरह के कानूनी दांव-पेंचों में उलझ कर रह जाएंगे और यूज्ड वाहन आपको फायदा देने की जगह तनाव में ला सकता है। बेहतर यही होगा कि आप ट्रक अथवा कोई भी यूज्ड कमर्शियल वाहन खरीदते हैं तो इसकी बीमा पॉलिसी भी हाथों-हाथ ट्रांसफर करवा लीजिए। इससे आप बेफिक्र रहेंगे और आपको बीमा संबंधी क्लेम के भुगतान में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आएगी। यहां ट्रक जंक्शन पर इस आर्टिकल में पुराना वाहन खरीदने पर बीमा पॉलिसी के ट्रांसफर की पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। इसे अवश्य पढ़ें और शेयर करें।
बीमा पॉलिसी ट्रांसफर नहीं कराई तो क्या होगा?
कई बार पुराना वाहन खरीदने के काफी दिन बाद भी बीमा पॉलिसी का ट्रांसफर नहीं करवा पाते हैं। ऐसे में उस वाहन का खरीदार और विक्रेता दोनों को ही भारी परेशानी पैदा हो जाती है। बीमा कंपनियों के पास इस तरह के जो केस आते हैं उनमें बीमा क्लेम के भुगतान में भी समस्या आती है। कंपनी ऐसे मामलों में बीमा क्लेम के दावे को खारिज कर देती है। इस प्रकार वाहन खरीदार और विक्रेता दोनों की ही समान रूप से जिम्मेदारी बनती है कि वे बीमा पॉलिसी को समय रहते ट्रांसफर करा लें। इससे वाहन खरीदने वाले और विक्रेता इन दोनों को ही फायदा मिलेगा।
वाहन मालिक के नाम पर ही कराएं बीमा
वाहन बीमा नियमों के अनुसार जिसने भी नया या पुराना व्हीकल खरीदा है वह इस पर स्वामित्व का अधिकार रखता है इसलिए बीमा भी उसके नाम से ही होना चाहिए। यूज्ड व्हीकल की पॉलिसी भी खरीददार के नाम होनी चाहिए। इसके बाद ही उसे बीमा क्लेम का लाभ मिल पाएगा। यहीं नहीं बीमा पॉलिसी वाहन मालिक के नाम से रजिस्टर्ड होनी चाहिए वरना कोई क्लेम नहीं ले सकता।
कमर्शियल की जगह निजी वाहन का उपयोग ना करें
यदि आप किसी तरह के कारोबार में अपने निजी वाहन का उपयोग कर रहे हैं और इससे कोई दुर्घटना हो जाती है तो बीमा कंपनी कभी भी क्लेम नहीं दे सकती। इसमें वाहन की श्रेणी का ध्यान रखा जाना चाहिए कि वह इस कैटेगरी में रजिस्टर्ड है अथवा नहीं।
एक्सीडेंट होने पर कैसे मिलेगा क्लेम?
आपके वाहन से यदि कोई हादसा हो जाता है तो तब तक गाड़ी की मरम्मत आदि नहीं कराएं जब तक कि कंपनी का सर्वेयर उस वाहन कर मौके पर निरीक्षण नहीं कर लें। कई बार लोग सर्वेयर को फोन पर बताकर गाड़ी की मरम्मत करवा लेते हैं। इसी तरह वाहन को नुकसान हुआ है या चोरी का मामला है तो पुलिस को तुरंत सूचना देना जरूरी है।
क्या आरसी भी ट्रांसफर कराएं?
पुराना वाहन खरीदते समय यह भी ध्यान रखें कि आरसी का ट्रांसफर हो पाया है अथवा नहीं। यदि आरसी ट्रांसफर नहीं हुई है तो आपके लिए मुसीबत बन सकती है। ऐसे में उस वाहन का बीमा आपके नाम हो भी गया तो आप क्लेम नहीं ले सकेंगे।
ऐसे मामलों में भी नहीं मिलेगा बीमा क्लेम
बीमा पॉलिसी के कई नियम सुनिश्चित हैं। यदि किसी हादसे के दौरान वाहन के ड्राइवर ने नशा कर रखा है तो माना जाता है कि उसने नशे की हालत में दुर्घटना की है। वहीं जब कोई सेकंड हैंड गाड़ी खरीदी गई हो और वर्तमान मालिक पहले वाले गाड़ी मालिक के नाम पर नुकसान का क्लेम करता है तो क्लेम खारिज हो जाएगा। इसका कारण यह है कि गाड़ी बेचने के बाद 14 महीने के अंदर यह पॉलिसी नये वाहन मालिक के नाम ट्रांसफर कर देनी चाहिए।
पुराना वाहन खरीदने पर बीमा की खास बातें
जब भी कोई कमर्शियल पुराना वाहन खरीदें तो उसके बीमे से संबंधित ये खास बातें जरूर याद रखें-:
- पुराना वाहन खरीदने पर जितना जल्दी हो सके उसकी मोटर बीमा पॉलिसी अपने नाम करवाएं।
- आरसी भी खुद के नाम ट्रांसफर कराएं।
- आरसी की प्रतिलिपि बीमा कंपनी के समझ पेश करें ताकि क्लेम मिलने में परेशानी नहीं हो।
- पॉलिसी अपने नाम ट्रांसफर करवाने के लिए गाड़ी खरीदने के कागज पेश करने होते हैं। इसमें गाड़ी विक्रय करने वाले के भी हस्ताक्षर होते हैं। इसके बाद ही कंपनी ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू होगी।
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