सोनीपत के खरखौदा में शुरू होगी गीगा फैक्ट्री, हर साल 10 लाख यूनिट से ज्यादा उत्पादन का लक्ष्य
मारुति सुजुकी अपने पर्सनल व्हीकल, कमर्शियल व्हीकल और इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। उपभोक्ताओं को नई तकनीक के वाहन देने के लिए कंपनी हमेशा प्रतिबद्ध रहती है। अब कंपनी हरियाणा के सोनीपत जिले के खरखौदा में एशिया की सबसे बड़ी गीगाफैक्ट्री शुरू करने की तैयारी कर रही है। इस फैक्ट्री मे हर साल 10 लाख वाहनों का निर्माण होगा। फैक्ट्री में वाहन निर्माण कार्य जनवरी 2025 से शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। आइए, इस खबर को विस्तार से जानते हैं।
ग्लोबल कॉम्पिटिशन में माइल स्टोन
मारुति सुजुकी की कार्यकारी समिति के प्रमुख सदस्य राजीव गांधी के अनुसार, नया संयंत्र निवेश को अनुकूलित करने और दक्षता को अधिकतम करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा के दौर में एक माइल स्टोन है। गांधी ने 9वें भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) मैन्युफैक्चरिंग समिट में रॉकवेल ऑटोमेशन इंडिया के एमडी दिलीप साहनी के साथ एक सत्र के दौरान यह जानकारी साझा की। गांधी ने गीगाफैक्ट्री के महत्व पर चर्चा की और बताया कि कैसे मारुति का नया प्लांट अपनी विनिर्माण प्रक्रिया में क्रांति लाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक को अपनाने के लिए तैयार है। यहां आपको बता दें कि गीगाफैक्ट्री शब्द को कैलिफोर्निया में टेस्ला के विशाल प्लांट ने लोकप्रिय बनाया, जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 10-12 लाख वाहनों की है।
इन आधुनिक तकनीकों का मिलेगा समावेश
इस गीगा फैक्ट्री में मारुति इंडस्ट्री 4.0, डिजिटलीकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी एडवांस टेक्नोलॉजी को एकीकृत कर रही है। ये इनोवेशन एक कुशल संयंत्र बनाने के लिए आवश्यक हैं, जहां उत्पादित प्रत्येक यूनिट क्वालिटी और प्रोडक्टिविटी के हाई स्टैंडर्ड को पूरा करती है। स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग मारुति की नई गीगाफैक्ट्री का प्रतीक होगी।
प्लांट में सहयोगी रोबोट या कोबोट शामिल किए जाएंगे
मारुति का सोनीपत वर्तमान में प्लांट हाई-स्पीड प्रिसिज़न रोबोट से लैस है जो वेल्डिंग प्रक्रिया को पूरी तरह से स्वचालित करता है। गांधी के अनुसार, "सभी वेल्ड स्पॉट 100% ऑटोमेटिक हैं। रोबोट के जरिए न केवल स्वचालित, बल्कि एआई प्रत्येक स्पॉट की मज़बूती की भी जांच करता है, यह सुनिश्चित करता है कि यह क्वालिटी मानकों को पूरा करें।" इसके अलावा, प्लांट में सहयोगी रोबोट या कोबोट शामिल किए जाएंगे, जो निरीक्षण प्रक्रियाओं में मनुष्यों के साथ मिलकर काम करेंगे। इन कोबोट को बेमेल रंग और गायब पार्ट्स जैसे मुद्दों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है जिन्हें मानवीय आंखों से देखा नहीं जा सकता है, जिससे उत्पादित वाहनों की ओवरऑल क्वालिटी में और सुधार होगा।
प्लांट में सौरऊर्जा का होगा अधिकतम उपयोग
सोनीपत फैक्ट्री में 100 मेगावाट का सौर संयंत्र होगा, जिसमें जनवरी में उत्पादन शुरू होने पर 30 मेगावाट चालू हो जाएंगे। गांधी यह भी बताया कि मारुति ने वाहन पार्किंग क्षेत्रों में सौर पैनल लगाए हैं, जो बिजली पैदा करते हुए वाहनों को ओलावृष्टि से बचाते हैं। गांधी ने कहा, "हम अपने संचालन को और अधिक सस्टेनेबल बनाने के लिए लगातार नए तरीके खोज रहे हैं।" "सौर ऊर्जा एक पहलू है, लेकिन हम अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संपीड़ित बायोगैस और हाइड्रोजन उत्पादन पर भी विचार कर रहे हैं।"
गीगाफैक्ट्री का भविष्य
मारुति सुजुकी की गीगाफैक्ट्री एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से कहीं अधिक होने का वादा करती है; यह ऑटोमोटिव उत्पादन में वैश्विक लीडर बनने की भारत की क्षमता का प्रतीक है। प्रौद्योगिकी, स्थिरता और कौशल विकास में सही निवेश के साथ, मारुति भारतीय विनिर्माण क्षेत्र के लिए नए मानक स्थापित करने के लिए तैयार है।
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