इलेक्ट्रिक वाहन खरीदारों को अपनी बैटरी रखने की नहीं पड़ेगी जरूरत
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को और अधिक प्रभावी करने एवं वैटरी स्वैपिंग समस्या के ठोस समाधान की दिशा में नीति आयोग ने अगले चार महीनों में ईवी बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी पेश करने की योजना बनाई है। यहां बता दें कि देश की सार्वजनिक नीतियों के निर्माण में थिंक टैंक के रूप में नीति आयोग ने यह योजना मौजूदा दौर में ईवी बैटरी स्वैपिंग में आ रही कई प्रकार की अड़चनों को दूर करने के लिए तैयार की है। इसका मुख्य उद्देश्य फास्ट ट्रैकिंग ईवी अपनाने में कमी लाना एवं इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ता करना है। नीति आयोग की आने वाली ईवी बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी क्या होगी? आइए जानते हैं इस पॉलिसी की परिकल्पना और मुख्य बिंदु।
बैटरी स्वैप करने के समय की होगी बचत
नीति आयोग की ओर से शुरू की जाने वाली योजना के तहत जिस तरह की पॉलिसी लागू होगी उससे काफी हद तक इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों को बैटरी स्वैपिंग के समय की बचत होगी। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अभिताभ कांत ने कहा कि आयोग जो बैटरी स्वैपिंग नीति शुरू करने जा रहा है, उससे इलेक्ट्रिक खरीदारों को अपनी बैटरी नहीं रखने का विकल्प दिया जाएगा। वहीं इससे अगले 3-4 महीनों में अग्रिम लागत और फास्ट ट्रेकिंग ईवी अपनाने में कमी आएगी। उन्हे विश्वास है कि निकट भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहन आईसीई इंजन वाले वाहनों से सस्ते होंगे। प्रस्तावित नीति एक सेवा के रूप में बैटरी जैसे विघनटनकारी व्यवसाय मॉडल पेश करेगी।
ये होंगे ईवी पॉलिसी के अन्य फायदे
बता दें कि नीति आयोग की ओर से जल्द ही लाई जाने वाली ईवी पॉलिसी के कई फायदे होंगे। फिलहाल इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों खास तौर पर टू व्हीलर और थ्री व्हीलर ग्राहकों को बैटरी की आवश्यकता पड़ रही है जो कि कुल वाहन लागत की करीब 50 प्रतिशत है। इससे अपफ्रंट वाहन की लागत आईसीई समकक्षों से बहुत कम हो जाती है। इस तरह के मामलों के जानकार लोगों का कहना है कि नीति आयोग की प्रस्तावित पॉलिसी के कारण इलेक्ट्रिक व्हीकल मालिकों को चंद मिनटों में स्वैप स्टेशनों पर बैटरी स्वैप करने और उन्हे घर पर चार्ज करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस संबंध में सह संस्थापक चेतन मैनी ने कहा है कि यह नीति अग्रिम लागत और रेंज की चिंता को खत्म करेगी। अक्सर ईवी खरीदारों में यह डर बना रहता है कि चार्जिंग प्वाइंट तक पहुंचने से पहले ही बैटरी चार्ज खत्म नहीं हो जाए लेकिन नीति आयोग की प्रस्तावित पॉलिसी के लागू होने के बाद यह डर भी दूर हो जाएगा।
मीटिंग में हुई बैटरी स्वैपिंग की बारीकियों पर चर्चा
बता दें कि नीति आयोग ने फरवर माह में प्रस्तावित ईवी बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी को लेकर हितधारकों से विस्तृत चर्चा की। इन प्रतिभागियों में वाहन आईएम, बैटरी ओईएम, फाइनेंसर, थिंक टैंक, मल्टीमॉडल एजेंसियां और स्वतंत्र विशेषज्ञ एवं अन्य सलाहकार शामिल रहे। बैठक के दौरान इलेक्ट्रिक दोपहिया और तीन पहिया काइनेटिक् ग्रीन एनर्जी एंड पावर सॉल्यूशंस की सीईओ सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी ने कहा कि फेम-2 और राज्य के प्रोत्साहन के बाद ईवी की कीमतों में कमी और मूल उपकरण निर्माताओं के लिए प्रदर्शन-लिंक्ड प्रोत्साहन पीएलआई योजनाएं और घटक निर्माता, अब तेजी से ईवी परिनियोजन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र की ओर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं।
ईवी उपभोक्ता को अग्रिम लागत कम होना जरूरी
बता दें कि वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत लागत अधिक होने के कारण ज्यादा है उपभोक्ता चाहते हैं कि इसकी अग्रिम लागत कम हो। इस संदर्भ में काइनेटिक् ग्रीन एनर्जी एंड पावर सॉल्यूशंस की सीईओ सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी ने कहा है कि फेम इंडिया-2 में सब्सिडी समाप्त होने पर भी ईवी की अग्रिम लागत कम होनी चाहिए। यहां बता दें कि बैटरी स्वैपिंग का काम अभी भी विश्व स्तर पर एक प्रारंभिक चरण में ही चल रहा है। वाणिज्यिक और वाहन बेड़ा संचालन के लिए यह जमीन प्राप्त करना एवं भारत की अपनी प्रस्तावित नीति के साथ एक नेता के रूप में उभरने के लिए यह कंपनी तैयार है।
नीति आयोग का उद्देश्य बैटरी सेवा प्रदाताओं को समान अवसर प्रदान करना
यहां बता देें कि नीति आयोग ईवी के बैटरी सेवा प्रदाताओं को रोजगार के समान अवसर प्रदान करना है। बैटरी का मानकीकरण एक कुंजी है। ईवी निर्माताओं को अपने वाहनों को इस तरह से डिजायन करना होगा कि स्वैपेबल बैटरी का उपयोग किया जा सके। विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि बैटरी की अदला-बदली से रिचार्जिंग का समय करीब दो मिनट कम हो जाएगा।
बैटरी की बढ़ेगी लाइफ
बता दें कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियां चार्ज करने के दौरान निर्माता या सेवा प्रदाता संस्थाओं की देख-रेख में बैटरी चार्ज होने से बैटरी की लाइफ बढ़ जाएगी। वहीं बैटरी स्वैपिंग के समय की बात की जाए तो यह वर्तमान में आईसीई वाहनों के ईंधन टैंक को भरने में लगने वाले समय से भी यह बहुत कम होगा।
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