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Montra Electric Eviator
राकेश खंडेलवाल
20 अप्रैल 2025

1 जुलाई से लागू होंगे नए ट्रैफिक नियम : रेडार बेस्ड स्पीड मॉनिटरिंग डिवाइसेज होंगे अनिवार्य

By राकेश खंडेलवाल News Date 20 Apr 2025

1 जुलाई से लागू होंगे नए ट्रैफिक नियम : रेडार बेस्ड स्पीड मॉनिटरिंग डिवाइसेज होंगे अनिवार्य

केंद्र सरकार ने रडार आधारित स्पीड माप यंत्रों के लिए बनाए नए नियम

केंद्र सरकार ने सड़क सुरक्षा को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने रेडार बेस्ड स्पीड मॉनिटरिंग डिवाइसेज के उपयोग को लेकर नए नियम अधिसूचित किए हैं, जो 1 जुलाई 2025 से प्रभाव में आएंगे। इन नियमों का उद्देश्य ट्रैफिक नियमों का निष्पक्ष और वैज्ञानिक प्रवर्तन सुनिश्चित करना है।

जानिए क्या है नया नियम?

नए नियम के अनुसार सभी रडार-आधारित स्पीड मापक यंत्रों को विधिक माप विज्ञान अधिकारियों (Legal Metrology Authorities) द्वारा सत्यापित और मुहरबंद करना अनिवार्य होगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी डिवाइस सटीक, कैलिब्रेटेड और कानूनी मानकों के अनुरूप हैं। ये नियम अंतरराष्ट्रीय मानक OIML R 91 के अनुरूप हैं और इन्हें विभिन्न हितधारकों की सलाह के बाद अंतिम रूप दिया गया है।

मिलेंगे कई तरह से लाभ

रेडार बेस्ड स्पीड मॉनिटरिंग डिवाइसेज के उपयोग के नए नियम लागू होने के बाद आम नागरिक, उद्योग जगत और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अधिक फायदा पहुंचेगा। आम नागरिकों के लिए फायदा यह होगा कि सत्यापित यंत्रों के कारण ट्रैफिक चालानों में पारदर्शिता आएगी और गलत चालान की संभावना कम होगी। यह नागरिकों का कानून पर भरोसा बढ़ाएगा। उद्योग जगत में निर्माताओं को स्पष्ट और वैश्विक मानकों के अनुरूप फ्रेमवर्क मिलेगा, जिससे घरेलू नवाचार और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सत्यापित उपकरणों से डेटा-संचालित प्रवर्तन की सुविधा मिलेगी, जिससे ट्रैफिक नियंत्रण और नियमों के पालन में पारदर्शिता आएगी।

तकनीकी और प्रशासनिक फायदे

इन रडार उपकरणों में डॉपलर तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो अलग-अलग मौसम और पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी उच्च सटीकता से वाहन की गति मापने में सक्षम होती है। नए नियमों के तहत उपकरणों में छेड़छाड़-रोधी सिस्टम, नियमित अंशांकन और स्थिरता सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा।

सरकार की दिशा में एक अहम कदम

यह पहल भारत में कानूनी मेट्रोलॉजी के आधुनिकीकरण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। यह न सिर्फ प्रवर्तन प्रणाली को मजबूत बनाएगी बल्कि सड़क सुरक्षा में सुधार, दुर्घटनाओं में कमी और बुनियादी ढांचे की रक्षा में भी सहायक होगी।

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