अब रडार सिस्टम से लैस इंटरसेप्टर वाहन से होगा गाड़ियों का चालान
नए साल 2025 में सड़कों पर यातायात नियमों को तोड़ने वाले वाहन चालकों का बचना आसान नहीं होगा। अब प्रमुख सड़कों, हाईवे, नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर रडार सिस्टम से लैस इंटरसेप्टर वाहन तैनात किए जाएंगे जो एक साथ कई यातायात नियमों के उल्लंघन का पता लगाने में सक्षम होंगे। इसका फायदा यह होगा कि यदि कोई वाहन चालक यातायात नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे बिना रोके व टोके चालान बनाया जा सकेगा और उसके घर पर भेजा जा सकेगा। सरकार की इस पहल से जहां राजस्व में वृद्धि होगी, वहीं वाहन चालक यातायात नियमों का अधिक सतर्कता से पालन करेंगे जिससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। आइए, इस खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
96 इंटरसेप्टर वाहनों में लगाई जाएगी रडार प्रणाली
महाराष्ट्र मोटर वाहन विभाग (एमएमवीडी) ने रडार प्रणाली से लैस इंटरसेप्टर वाहन खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ये वाहन एक साथ कई यातायात नियमों के उल्लंघनों का पता लगाने में सक्षम होंगे। अधिकारियों के अनुसार, महाराष्ट्र देश का ऐसा पहला राज्य होगा जहां इस तरह के रडार-माउंटेड इंटरसेप्टर वाहनों की तैनाती होगी। इससे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों ( आरटीओ ) के उड़न दस्तों द्वारा ई-चालान की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।
अधिकारियों ने आगे बताया कि रडार आधारित सिस्टम 96 इंटरसेप्टर वाहनों पर लगाया जाएगा, जिनमें से अधिकांश लगभग एक महीने पहले आ चुके हैं और फिट होने का इंतजार कर रहे हैं और फिर उन्हें आरटीओ फ्लाइंग स्क्वॉड को सौंप दिया जाएगा। जबकि 69 महिंद्रा निर्मित इंटरसेप्टर वाहन वितरित किए जा चुके हैं। नई प्रणाली की स्थापना के लिए 27 इंटरसेप्टर वाहन अभी खरीद प्रक्रिया में है।
रडार प्रणाली से एक घंटे में कट सकेंगे 800-900 चालान
महाराष्ट्र के परिवहन आयुक्त विवेक भीमनवार ने कहा, "वर्तमान स्पीड गन प्रणाली फ्लाइंग स्क्वॉड को प्रति घंटे 10-12 ई-चालान जारी करने की अनुमति देती है, जबकि रडार आधारित प्रणाली इसे प्रति घंटे 800-900 ई-चालान तक ले जाएगी। रडार प्रणाली वाहनों की गति और तस्वीरों को कैप्चर करेगी, जिससे वाहनों को रोके बिना कई अपराधों का पता लगाने में मदद मिलेगी।"
इन यातायात नियमों के उल्लंघन को तुरंत पकड़ेगी रडार प्रणाली
यह रडार प्रणाली तेज गति से वाहन चलाने, लेन में वाहन न चलाने, तीन लोगों को बैठाकर वाहन चलाने, बिना हेलमेट के दोपहिया वाहन चलाने, जरूरत से ज्यादा सवारी बैठाकर वाहन चलाने और बिना सीट बेल्ट के वाहन चलाने जैसे उल्लंघनों को तुरंत पकड़ेगी। प्रभावी कार्रवाई के लिए इंटरसेप्टर वाहनों को उच्च उल्लंघन वाले क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा।
इंटरसेप्टर वाहन की लागत 16 लाख रुपए होगी
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एमएमवीडी ने रडार प्रणाली की स्थापना के लिए अशोका बिल्डकॉन की आईटी शाखा को ऑर्डर दिया है, जिसके 2025 तक आने की उम्मीद है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जीएम (सरकारी बाजार) पोर्टल के माध्यम से खरीदे गए प्रत्येक इंटरसेप्टर वाहन की लागत 12-13 लाख रुपये है और रडार प्रणाली की स्थापना के बाद लागत बढ़कर लगभग 16 लाख रुपए हो जाएगी। उन्होंने बताया कि समझौते के तहत पांच साल के मेंटनेंस की भी व्यवस्था शामिल है। अधिकारी ने बताया कि रडार आधारित प्रणाली में इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) भी होगा, जिसमें पीसी, लैपटॉप और अन्य उपकरण शामिल होंगे, जिससे आरटीओ निरीक्षक सिस्टम के माध्यम से प्राप्त फोटो और विवरणों का उपयोग करके तुरंत ई-चालान तैयार कर सकेंगे।
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