टाटा मोटर्स 60 से 70 प्रतिशत सीएनजी वाहन उत्पादन का लक्ष्य
भारत की प्रमुख सीवी निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स (Tata Motors) आने वाले समय में प्रदूषण रहित ईंधन विकल्प इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाहनों के उत्पादन पर ज्यादा फोकस करेगी। बता देें कि डीजल और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों में निरंतर वृद्धि के मद्देनजर टाटा मोटर्स ने आगामी वर्षों में विद्युतीकरण और सीएनजी वाहनों के निर्माण में तेजी लाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में टाटा पीवी व्यवसाय के प्रमुख शैलेश चंद्र का कहना है कि कंपनी आने वाले वर्षों में विद्युतीकरण को अधिक आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाने की योजना बना रही है। कंपनी का यह भी मानना है कि भारत के ऑटोमोटिव उद्योग के तेजी से फैलाव की भविष्य की उम्मीदों के तहत समय रहते आवश्यक तैयारी जरूरी है। आइए, जानते हैं टाटा मोटर्स की इलेक्ट्रिक और सीएनजी क्षेत्र में आगे रहने की लिए क्या है आवश्यक कार्ययोजना?
5 वर्षों में 20 प्रतिशत तक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स निर्माण होगा
टाटा मोटर्स की ओर से इलेक्ट्रिक एवं सीएनजी सेगमेंट में अधिक ध्यान देने की योजना के सदंर्भ में टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स और टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के प्रबंध निदेशक का कहना है कि हम हमेशा अपनी सोच में व्यवस्थित होते हैं क्योंकि हम हमेशा गंतव्य बिंदु देखते हैं और किसी को निश्चित दृश्ता के साथ मील के पत्थर और यात्रा पर विचार करने की आवश्यकता होती है। यह यात्रा लगातार आगे भी जारी रहेगी। वहीं बता दें कि केंद्र सरकार के पास पहले से ही वर्ष 2030 तक ऑटोमोटिव सेगमेंट में 30 प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल करने के लिए एक विजन स्टेटमेंट है। उन्होंने आगे कहा है कि कंपनी के रूप में हम स्वाभाविक रूप से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर अग्रसर होंगे। इसका अर्थ यह है कंपनी भी सरकार के इसी लक्ष्य के साथ आगे बढऩे का प्रयास कर रही है।
पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों से होगा ग्राहकों का झुकाव
यहां बता दें कि मौजूदा दौर में यूके्रन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के संकट के कारण आगामी दिनों में डीजल और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि होना तय माना जा रहा है। ऐसे में यह संकट भी ग्राहकों को इलेक्ट्रिक जैसे कम खर्च वाले ईंधन के विकल्पों को चुनने के लिए मजबूर करेगा। यहां गौरतलब है कि भारत के लिए तेल का आयात पहले से ही भुगतान के संतुलन पर भारी पड़ रहा है।
टाटा मोटर्स का खुदरा नेटवर्क बढ़ेगा
बता दें कि टाटा मोटर्स की ओर से आगामी एक दशक तक सीएनजी पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। हाल की कंपनी ने इसे टियागो और टिगोर ट्रक में भी पेश किया था। कंपनी का लक्ष्य है कि 2030 तक ईवी के पोर्टफोलियो का एक हिस्सा लेने के साथ 65 से 70 प्रतिशत में सीएनजी (CNG) प्रोद्योगिकी जैसे अधिक पर्यावरण के अनुकूल विकल्प शामिल होने चाहिएं। कंपनी के मुताबिक जहां सीएनजी अब महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली तक सीमित हैवहीं इस दशक में खुदरा नेटवर्क बढ़ेगा। सीएनजी अब एक सक्रिय घटक बन गया है। टाटा मोटर्स उन जिलों को बारीकी से ट्रैक करेगा जहां सिटी गैसे पहल की योजना बनाई जा रही है और सीएनजी मॉडल लांच करते समय मांग में तेजी लाने का काम करेगी।
सीएनजी कम खर्चीला विकल्प
बता दें कि सीएनजी स्वच्छ ईंधन का एक ऐसा विकल्प है जो कम खर्चीला है। टाटा मोटर्स कंपनी का मानना है कि आईईटी कंपनियो के पास अपने कर्मचारियों को लाने-ले जाने के लिए बड़े बेड़े हैं और वे दीर्घकालीन पावर टे्रन के रूप में इलेक्ट्रिक पर भी ध्यान देते हैं। इस तरह सीएनजी और इलेक्ट्रिक क्षेत्र में कंपनी की भूमिका बढ़ेगी। इसके अलावा कंपनी के ट्रक तरलीकृत प्राकृतिक गैस और हाइड्रोजन जैसे विकल्पों का पता लगाएंगे। इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि कार व्यवसाय के पास इन ईंधनों तक पहुंच होगी। इन्हे पर्याप्त प्रासंगिक माना जाता है। ये दोनो ही पर्यावरण के लिए सहायक एवं पारिस्थितिकी तंत्र के अनुकूल हैं।
टाटा को नजर आ रही इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास में गति
टाटा मोटर्स कंपनी परंपरागत ईंधन के संकट को ध्यान में रखते हुए अब सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) उत्पादन पर अधिक फोकस कर रही है। वहीं कंपनी का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को लगातार मिल रहे समर्थन से वह खुश है। वे इस दिशा में नई तकनीक का उपयोग करने से पहले शुरूआती अपनाने वालों से प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं। टाटा पीवी व्यवसाय के प्रमुख शैलेश चंद्र का कहना है कि ईवी का संक्रमण तेजी से हो रहा है और उन्हे इन वाहनों के विकास में कोई रुकावट नहीं नजर आती। इसके अलावा भविष्य के कारखानों के नये विकल्पों एवं परिदृश्य को वे गतिशील होते देखना चाहते हैं। यहां यह भी बता दें कि जैसे-जैसे टाटा मोटर्स की उत्पाद अवधारणा और क्षमता बढ़ेेगी वैसे-वैसे निवेश करने के लिए बाजार के विकल्प खुलेंगे।
अधिक किफायती ईंधन विकल्प खोजना समय की मांग
वर्तमान में टाटा मोटर्स कंपनी सीएएफई के मानदंडों के लिए पूरी तरह से तैयार है। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी शैलेश चंद्रा कहते हैं कि चिप की आपूर्ति के साथ-साथ कीमती धातुओं की बढ़ती कीमतों के मामलों में यूके्रन का युद्ध ऑटोमोटिव उद्योग के लिए एक चुनौती हो सकता है। वहीं इसके अलावा पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी अभी कम होने की संभावना नही है। इसलिए टाटा मोटर्स का अधिक किफायती ईंधन विकल्प खोजना समय की मांग भी है।
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