साउथ-नार्थ यूपी पावर ट्रांसमिशन में नई इक्विटी निवेश करने और नये ऋण जुटाने की योजना
देश की मशहूर टाटा पावर कंपनी ने ईस्ट यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी का अधिग्रहण कर लिया है। यह कंपनी दिवालिएपन के कगार पर पहुंच गई थी। टाटा मोटर्स और आईसीआईसीआई वेंचर प्रमोटेड रिसर्जेंट पावर दिवालिया संपत्ति के 3200 करोड़ रुपये से अधिक की पेशकश के बाद साउथ ईस्ट यूपी पावर ट्रांसमिशन रिसर्जेंट होगा।
बता दें कि इस कंपनी के 26 प्रतिशत शेयरधारक टाटा पावर की दिवालिएन के चलते पहली सम्पत्ति खरीदेंगे। वहीं टाटा पावर की सहयोगी कंपनी टाटा स्टील ने चार साल पहले दिवाला कार्यवाही के तहत भूषण स्टील का अधिग्रहण किया था। यहां आपको बताते हैं टाटा पावर की समर्थित कंपनी यूपी ऊर्जा फर्म और इसकी देनदारियों के बारे में।
चार साल पहले टाटा स्टील ने भी किया था अधिग्रहण
आपको बता दें कि टाटा पावर की सहयोगी कंपनी टाटा स्टील ने भी चार साल पहले दिवालिएपन की स्थिति में पहुंची भूषण स्टील कंपनी का अधिग्रहण किया था। अदानी ट्रांसमिशन, स्टरलाइट पावर, आईईसी और पावर ग्रिड कार्प ने भी साउथ ईस्ट यूपी पावर ट्रांसमिशन नेटवर्क के निर्माण और संचालन का ठेका जीता था। यह 35 वर्षों के लिए था लेकिन परियोजना अपने स्पेनिश शेयरधारक Isolux Corsan के दिवालियान होने के कारण वित्तीय संकट में पड़ गई। इसके बाद लेनदारों ने भारतीय कंपनी को ऋणों में चूक के बाद दिवालियापन अदालत में घसीटा।
साउथ-नॉर्थ यूपी पावर ट्रांसमिशन में निवेश की योजना
बता दें कि रिसर्जेंट कंपनी साउथ-नार्थ यूपी पावर ट्रांसमिशन में नई इक्विटी निवेश करने और नये ऋण जुटाने की योजना बना रही है। ऐसा रिसर्जेंट इसलिए कर रही है ताकि परियोजना के शेष तत्वों को पूरा किया जा सके। इस बीच टाटा पावर ने कहा कि इक्विटी डालने और कर्ज जुटाने के बाद कंपनी का उद्यम मूल्य 6,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा। वहीं जानकारी के लिए बता दें कि 2019 में खरीदे गए प्रयागराज पावर प्लांट के भाग्य को पुनर्जीवित करने के बाद यह अधिग्रहण रिसर्जेंट के पोर्टफोलियो में विविधता लाएगा। पिछले नवंबर में इसने उत्तरी क्षेत्र NRSS XXXVI ट्रांसमिशन में सिस्टम सुदृढीकरण योजना का अधिग्रहण किया था।
जानें, टाटा पावर कंपनी के बारे में
टाटा पावर टाटा घराने की ही एक कंपनी है जो निजी क्षेत्र में विद्युत उत्पादन करती है। वहीं विद्युत संप्रेषण एवं वितरण का काम भी करती है। इस कंपनी का मुख्यालय मुंबई में है और इसकी स्थापना 1911 में की गई। कंपनी के सीईओ प्रवीर सिन्हा हैं वहीं सहयोगी कंपनियों में टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन है। इसका मूल संगठन टाटा समूह है।
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