GPS Based Toll Collection : 1 मई 2025 से देश के कुछ हिस्सों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू होगा
भारत में टोल टैक्स भुगतान प्रणाली में अब क्रांतिकारी बदलाव होने जा रहा है। जल्द ही हाईवे पर टोल बूथ दिखना बंद हो जाएंगे। फास्टैग जैसे सिस्टम पुराने हो जाएंगे। वाहनों का टोल टैक्स ऑटोमैटिक तरीके से कटेगा। वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरुरत नहीं होगी। केंद्र सरकार अब जीपीएस आधारित टोल वसूली सिस्टम लागू करने की तैयारी में है, जिससे टोल प्लाजा पर लगने वाला जाम और समय दोनों की बचत होगी। पहले चरण में ऑटोमैटिक टोल टैक्स कटने की सुविधा ट्रक, बस व अन्य भारी वाहनों पर लागू होगी। आइए, ट्रक जंक्शन की इस पोस्ट में GPS Based Toll Collection के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जानिए क्या है नया सिस्टम और कैसे करेगा काम
इस नए सिस्टम को जीपीएस आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम के नाम से जाना जाएगा। यह ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) तकनीक पर आधारित होगा। इसके तहत हर भारी वाहन में एक ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) लगाई जाएगी, जिसे जीपीएस से जोड़ा जाएगा, जो वाहन की एंट्री और एग्जिट प्वाइंट को ट्रैक करेगी। वाहन जैसे ही किसी हाइवे पर चढ़ेगा और जब वह उतरेगा, उस दूरी के आधार पर टोल अपने आप सीधे बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से कट जाएगा।
फास्टैग के बाद अब अगली पीढ़ी का टोल सिस्टम
भले ही भारत में 99% वाहन आज फास्टैग से लैस हैं, लेकिन टोल प्लाजा पर भीड़ और जाम अब भी बनी रहती है। ऐसे में यह नया बैरियर-फ्री इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम कहीं ज्यादा स्मार्ट और तेज है। इससे आपको कहीं लाइन लगने या रुकने की जरूरत नहीं होगी।
1 मई 2025 से पायलट प्रोजेक्ट होंगे शुरू
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सिस्टम 1 मई 2025 से देश के कुछ हिस्सों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा। पहले चरण में इसे ट्रक और बस जैसे भारी वाहनों के लिए लागू किया जाएगा और फिर इसे धीरे-धीरे सभी निजी वाहनों के लिए भी शुरू किया जाएगा।
GPS Based Toll Collection के फायदे?
- बिना रुके टोल भुगतान : वाहन चालक को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- जितनी दूरी, उतना टोल: हाइवे पर जितनी दूरी तय करेंगे, उतना ही टोल देना होगा।
- समय की बचत: ट्रैफिक से बचेंगे और डिलीवरी समय पर होगी।
- ऑटोमेशन से कम ह्यूमन एरर: टोल में पारदर्शिता और गड़बड़ी की संभावना भी होगी कम।
कुल मिलाकर, GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम न केवल भारत की परिवहन प्रणाली को आधुनिक बनाएगा बल्कि लॉजिस्टिक्स सेक्टर में दक्षता और रफ्तार भी लाएगा। ट्रक और बस ऑपरेटरों के लिए यह एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है, जिससे समय, पैसा और ईंधन तीनों की बचत होगी।
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