बेल्जियम में एलपीजी ट्रक के सफल परीक्षण के बाद भारतीय ऑटो एलपीजी गठबंधन सक्रिय
डीजल ट्रकों पर निरंतर निर्भरता के चलते भारत को साल 2050 तक कच्चे तेल के आयात पर 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक खर्च करने होंगे। साथ ही ट्रकों से सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन के कारण वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है। अगर भारत की ट्रकिंग इंडस्ट्री डीजल की जगह एलपीजी फ्यूल को अपनाए तो देश को कई तरह से फायदा पहुंच सकता है। एलपीजी फ्यूल अपनाने से जहां विदेशी मुद्रा की बचत होगी वहीं पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। भारतीय ऑटो एलपीजी गठबंधन {The Indian Auto LPG Coalition (IAC)} ने सस्टेनेबल हैवी ड्यूटी ट्रकिंग के लिए ऑटो एलपीजी को अपनाने का आग्रह किया। आईएसी ने बेल्जियम में एलपीजी ट्रक के सफल परीक्षण के बाद भारत को भारी-भरकम ट्रकों के लिए एलपीजी का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया है। आइए, इस खबर को विस्तार से जानें।
डीजल से एलपीजी स्विच पर यह होंगे फायदे
हाल ही में बेल्जियम के मालवाहक वन ईगल (OneEagle) ने एलपीटी ट्रकों का सफल परीक्षण किया। अब भारतीय ऑटो एलपीजी गठबंधन (आईएसी) भारत में हैवी ड्यूटी ट्रकों के लिए तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) अपनाने का आग्रह कर रहा है। इस पहल का प्रमुख उद्देश्य भारत के बढ़ते वायु प्रदूषण और आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करना है। साथ ही टिकाऊ परिवहन और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देना है। वनईगल और एडवांटेज ग्लोबल के बीच साझेदारी में उत्सर्जन और लागत बचत पर वास्तविक समय के डेटा संग्रह के साथ MAN और DAF ट्रकों में LPG ईंधन प्रणालियों का परीक्षण शामिल है। आईएसी (IAC) ने विशेष रूप से सड़क माल ढुलाई में ट्रकों की अनुमानित वृद्धि को देखते हुए स्वच्छ ईंधन के उपयोग पर जोर दिया है।
वनईगल ने एडवांटेज ग्लोबल के साथ की साझेदारी
बेल्जियम की कंपनी वनईगल 145 हैवी ड्यूटी ट्रकों का संचालन करती है। अब कंपनी अपने वाहनों में ऑटो गैस फ्यूल सिस्टम का परीक्षण करने के लिए एडवांटेज ग्लोबल के साथ साझेदारी कर रही है। यह परीक्षण बेनेलक्स क्षेत्र में होगा और इसमें MAN और DAF ट्रक शामिल होंगे। परीक्षण के दौरान ऑनबोर्ड टेलीमैटिक्स द्वारा उत्सर्जन में कमी और लागत में बचत की निगरानी की जाएगी।
53 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए 3 प्रतिशत ट्रक जिम्मेदार
भारत के वाहन बेड़े में ट्रकों का हिस्सा मात्र 3 प्रतिशत है। इसके बावजूद डीजल ट्रक 53 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार माने जाते है। अगर इन ट्रकों को एलपीजी जैसे वैकल्पिक ईंधन में बदला जाता है तो वायु प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। साथ ही भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी बचाई जा सकती है। इसके अलावा, शून्य उत्सर्जन ट्रकों को बढ़ावा देकर भी सार्वजनिक स्वास्थ्य और जलवायु लक्ष्यों का समर्थन किया जा सकता है। ये वायु प्रदूषण और परिचालन लागत में कमी लाते हैं।
हैवी ड्यूटी ट्रकों में एलपीजी तकनीक को अपना हमारी जरुरत
भारतीय ऑटो एलपीजी गठबंधन के महानिदेशक सुयश गुप्ता के अनुसार, “ हैवी ड्यूटी ट्रकों में एलपीजी तकनीक को अपनाना भारत के लिए सिर्फ एक अवसर नहीं बल्कि एक जरूरत है। बेल्जियम के ट्रकों द्वारा स्थापित उदाहरण का अनुसरण करके, भारत सस्टेनेबल ट्रांसपोर्टेशन में लीडर हो सकता है, शहरी वायु गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ा सकता है और जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से निपट सकता है।”
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