व्यावसायिक पंजीकरण के लिए केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को मंजूरी देने के लिए लिखा पत्र
देश के बड़े शहरों में डीजल-पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के कारण वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि हुई है। ऐसे में वायु प्रदूषण को कम करने के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। सरकार भी एयर पॉल्यूशन को कम करना चाहती है, इसके लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने सहित अन्य कारगर उपाय किए जा रहे हैं। बढ़ते वायु प्रदूषण ने शहरों में लोगों को चिंतित कर दिया है। लोगों की परेशानी को समझते हुए कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने परिवहन मंत्री को पत्र लिखकर राज्य में कमर्शियल रजिस्ट्रेशन के लिए केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को मंजूरी देने का आग्रह किया है। आइए, इस खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
दिल्ली की तरह बदनाम ना हो जाए बेंगलुरु
पिछले कुछ सालों में देश की राजधानी दिल्ली के वायु प्रदूषण में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। दिल्ली के वायु प्रदूषण को देखते हुए अन्य बड़े शहरों के लोग चिंतिंत रहने लगे हैं। कर्नाटक में लोगों की परेशानी को समझते हुए स्वास्थ्य विभाग ने परिवहन विभाग को पत्र लिखा है और राज्य में भविष्य में व्यावसायिक पंजीकरण के लिए केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को मंजूरी देने का आग्रह किया है।
परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी को लिखे पत्र में स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा, "जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों के कारण वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि हुई है, जो शहरी निवासियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर रही है। बेंगलुरु की घनी आबादी और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण पॉल्यूशन का लेवल बिगड़ रहा है, अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो शहर की छवि दिल्ली जैसी हो सकती है।"
नए पंजीकृत वाणिज्यिक वाहन केवल इलेक्ट्रिक होने चाहिए
स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने अपने पत्र में सुझाव दिया कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़ाना जरूरी है। साथ ही सिफारिश की है कि सभी नए पंजीकृत वाणिज्यिक वाहन- जिनमें ऑटो, कैब, टैक्सी, गुड्स कैरियर और सॉलिड वेस्ट कलेक्शन व्हीकल शामिल हैं, पूरी तरह से इलेक्ट्रिक होने चाहिए। इसके अतिरिक्त, यह प्रस्ताव भी दिया गया कि भविष्य में सिटी ट्रांसपोर्ट बसों की सभी खरीद भी इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) तक ही सीमित होनी चाहिए।
ईवी अपनाने में ये चुनौतियां आएंगी सामने
कर्नाटक में स्वास्थ्य विभाग ने परिवहन विभाग को पत्र लिखकर कमर्शियल व्हीकल रजिस्ट्रेशन में केवल इलेक्ट्रिक को मंजूरी देने का आग्रह किया है लेकिन ईवी अपनाने में कुछ चुनौतियां अभी बरकरार है जो इस प्रकार है :
- पर्याप्त चार्जिंग स्टेशनों की कमी
- इलेक्ट्रिक वाहनों की उच्च प्रारंभिक लागत
- पर्याप्त सब्सिडी या किफायती वित्तपोषण विकल्पों की कमी
- परिवहन यूनियन और बेड़े संचालकों का विरोध
- उचित सरकारी प्रोत्साहन का अभाव
कुल मिलाकर, इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करना एक अच्छा कदम है। पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। लेकिन ज्यादा कीमत, चार्जिंग सुविधाओं का अभाव, सरकारी प्रोत्साहन की कमी जैसी चुनौतियों से निपटकर ही प्रदूषण मुक्त भारत का सपना देखा जा सकता है।
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