Posted On : 10 November, 2021
क्या आप नया इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने जा रहे हैं, यदि हां, तो जरा ठहरिए। बस दो साल और इंतजार कर लें आपको बचत ही बचत होगी। बता दें कि केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ते करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। हाल ही केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भरोसा दिया है कि आने वाले दो साल के अंदर इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें डीजल और पेट्रोल वाहनों के बराबर हो जाएंगी। मौजूदा समय में ये वाहन पेट्रोल और डीजल के वाहनों के मुकाबले काफी महंगे हैं। इससे लोग इन्हे खरीदने से पहले कई बार सोचते हैं। इधर सरकार फेम स्कीम के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए सब्सिडी भी दे रही है। आइए, आपको बताते हैं इलेक्ट्रिक वाहनों को आम जन के बजट के अनुकूल सस्ते करने के लिए सरकार क्या-क्या प्रयास कर रही है?
इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ते करने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में केंद्रीय सडक़ एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने द सस्टेनेबिलिटी फाउंडेशन , डेनमार्क की ओर से कराए गए एक वेबिनार में कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल को चलाने की लागत पेट्रोल वाहनों की तुलना में बहुत कम है। इसलिए बहुत जल्द ही इन्हे बड़े स्तर पर अपनाया जाएगा। इससे इनकी कीमतों में कमी आएगी। उन्होंने दावा किया कि दो साल बाद पेट्रोल और इलेक्ट्रिक गाडिय़ां एक ही कीमत पर बिकनी शुरू हो जाएंगी। इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को लेकर अभी लोग कई कारणों से झिझक रहे हैं। जब ये वाहन डीजल और पेट्रोल वाहनों के बराबर कीमत पर मिलने लगेंगे तो इनका इस्तेमाल भी अधिक होने लगेगा।
इलेक्ट्रिक वाहन ( electric vehicle ) ही नहीं इनकी बैटरी को भी सस्ता करने के लिए सरकार प्रयासरत है। केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने यह भी कहा है कि मौजूदा समय में ई व्हीकल पर लगने वाला जीएसटी केवल 5 प्रतिशत है लेकिन इसकी बैटरी की लागत ज्यादा होने से यह महंगी है। इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम बैटरी काम आती है। इस बैटरी का उत्पादन भारत में वर्तमान में 81 प्रतिशत के लगभग हो रहा है। सरकार का प्रयास है कि यह बैटरी लोगों को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराई जाए। इस पर अनुसंधान किया जा रहा है। हमारा लक्ष्य है कि 2030 तक 30 प्रतिशत प्राईवेट कार, 70 प्रतिशत कमर्शियल कार और 40 प्रतिशत बसें इलेक्ट्रिक हो जाएं।
यहां बता दें कि जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की सेल बढ़ेगी तो इन वाहनों को चार्ज करने के लिए चार्जिंग स्टेशनों की जरूरत भी उसी तेजी के साथ बढ़ेगी। ऐसे में सरकार यह भी प्रयास कर रही है कि भारत को इलेक्ट्रिक व्हीकल का मैन्युफैक्चरिंग सेंटर बनाया जाए। वर्तमान में बजाज और हीरो जैसी भारतीय दोपहिया वाहन कंपनियों के बनाए 50 प्रतिशत ई वाहनों का निर्यात किया जाता है। अगले दो साल में देश में हजारों चार्जिंग प्वाइंट बनाए जाएंगे। सडक़ के साथ-साथ बाजार क्षेत्रों में 350 चार्जिंग प्वाइंट लगाने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है। पेट्रोल पंपों को भी अपने कैंपस में ई वाहन चार्जिंग सुविधाएं लगाने की इजाजत दी गई है।
यहां बता दें कि इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल और इनकी बिक्री को बढ़ाने के साथ ही चार्जिंग इंफ्रास्ट्रैक्चर का विस्तार भी बहुत जरूरी है। भारत सरकार की ईवी पॉलिसी के अंतर्गत चार्जिंग नेटवर्क को तीन भागों में विभाजित किया गया है। इनमें पहला है सार्वजनिक, दूसरा है निजी और तीसरा है प्रतिबंधित सार्वजनिक उपयोग। इनके बारे में यहां जानकारी दी जा रही है।
सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन की स्थापना एक लाइसेंस रहित गतिविधि है। यह सरकार द्वारा एक सेवा के तहत उपलब्ध कराई जाती है। एक व्यक्तिगत इकाई या कंपनी भी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन खोल सकती है। इसे व्यापक रूप से वर्गीकृत किया गया है। लंबी दूरी या भारी शुल्क वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए फास्ट चार्जिंग सर्विस स्टेशन। इसके बाद मध्यम या धीमें चार्जर आते हैं। सीआई के दिशा निर्देशों ने सरकार की ईवी पॉलिसी के तहत एक राज्य नोडल एजेंसी स्थापित करने का सुझाव भी दिया हुआ है। निर्धारित चार्जर के प्रकारों में से किसी एक को स्थापित करने के लिए सरकार ने लचीले नियम बनाए हैं। अलग से किसी भी उत्पादनर कंपनी से ओपन एक्सेस के माध्यम से बिजली प्राप्त करके चार्जिंग स्टेशन भी स्थापित किए जा सकते हैं।
सरकार की ईवी पॉलिसी के अंतर्गत निजी स्तर पर भी चार्जिंग स्टेशन खोले जा सकते हैं। इसके लिए निजी आवासों, कार्यालयों में निजी चार्जिंग प्वाइंट स्थापित करने की अनुमति लेनी होती है। ये चार्जिंग प्वाइंट स्वयं के उपयोग के लिए होंगे। कोई भी व्यक्ति निजी चार्जिंग प्वाइंट स्थापित करने के लिए राज्य की नोडल एजेंसी से संपर्क कर अनुमति ले सकता है।
चार्जिंग स्टेशन नेटवर्क के तीसरे प्रकार में प्रतिबंधित सार्वजनिक उपयोग का बिंदु आता है। इसमें हाउसिंग सोसायटी, मॉल, कार्यालय, रेस्तरां, होटल या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा सकते हैं लेकिन इसके लिए स्थानीय निकाय या सरकारी एजेंसी की अनुमति अनिवार्य होगी।
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