Posted On : 25 September, 2021
आजकल ट्रैफिक रूल्स काफी सख्त होते जा रहे हैं। केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्रालय की ओर से आए दिन नए-नए आदेश ट्रक और अन्य वाहन चालकों के लिए जारी किए जाते हैं। हाल ही ट्रक ड्राइवरों के लिए स्लिप डिवाइस लगाने की योजना को लेकर परिवहन मंत्री ने केंद्रीय सडक़ सुरक्षा परिषद की बैठक में महत्वपूर्ण सुझाव दिया।
इसके अलावा लाइसेंस, आरसी और बीमा संबंधी दस्तावेजों को भी पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी समय-समय पर जांचते-परखते हैं। इन दस्तावेजों के अलावा एक और आवश्यक डाक्यूमेंट ट्रक, पिकअप, मिनी ट्रक, कार्गों, टिपर के अलावा सभी प्रकार के वाहन चालकों के लिए जरूरी हो गया है। यह है पॉल्यूशन सर्टिफिकेट। जी हां, यदि आपके पास यह सर्टिफिकेट नहीं है तो कहीं भी कभी भी आपका चालान हो सकता है अथवा आपके ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी जब्त होने की कार्रवाई भी अमल में लाई जा सकती है।
दिल्ली सहित कई महानगरों मेंं पॉल्यूशन सर्टिफिकेट (pollution certificate) अनिवार्य कर दिया गया है। यदि आप कमर्शियल वाहन चलाते हैं तो यह और भी ज्यादा जरूरी है। यहां बता दें कि पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाने के लिए क्या प्रक्रिया होती है और इसे कहां-कहां से आसानी से बनवाया जा सकता है।
अंडर पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको अधिक दूर जाने की जरूरत नहीं होती। अक्सर हर सिटी में यह सुविधा ज्यादातर पेट्रोल पंपों पर भी मिलती है। यहां अपने वाहन के प्रदूषण की जांच कराई जा सकती है। इसके बाद यदि पॉल्यूशन निर्धारित मापदंड के तहत कम हुआ तो आपको सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाएगा। यह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और परिवहन विभाग से मान्य होता है। पेट्रोल पंप के अलावा कई जगह पीले रंग से रंगा हुआ प्रदूषण जांच केंद्र या पॉल्यूशन कंट्रोल घर बना होता है जहां भी आप अपने वाहन की प्रदूषण जांच करवा सकते हैं।
यहां यह बता दें कि पॉल्यूशन सर्टिफिकेट की मान्यता कब तक रहती है? यदि ट्रक, पिकअप , थ्री व्हीलर आदि कोई भी गाडी नई खरीदी है तो उसमें कम से कम एक साल तक पॉल्यूशन जांच कराने की जरूरत नहीं पड़ती। चेकिंग के दौरान किसी पुलिस या परिवहन अधिकारी ने गलती से पीयूसी के अभाव में आपका चालान काट दिया है तो इस कार्रवाई के खिलाफ संबंधित विभाग में की जा सकती है। बीएस-4 गाडियों के लिए पॉल्यूशन जांच की समय सीमा एक साल होती है जबकि अन्य सभी श्रेणी के वाहनों के पीयूसी की अवधि तीन महीने तक की मान्य रहती है। गौरतलब है कि यदि पीयूसी नहीं है तो वाहन मालिक को दस हजार रुपये तक जुर्माना राशि भरनी पड़ती है।
पीयूसी की कितनी अधिक उपयोगिता और महत्व है, इस संबंध में आपको बताते हैं कि यदि आप अपने ट्रक, पिकअप, थ्री व्हीलर, कार आदि वाहन के पीयूसी को लेकर लापरवाह बने हुए हैं तो जल्द से जल्द पीयूसी बनवाएं। बता दें कि सरकार के नये नियमों के तहत बिना पीयूसी के आपके वाहन का थर्ड पार्टी का इंश्योरेंस भी नहीं कराया जा सकेगा। मोटर व्हीकल एक्ट 1989 के अनुसार इलेक्ट्रिक वाहनों को छोड कर बाकी सभी प्रकार के वाहनों के लिए पीयूसी सटिफिकेट अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अभाव में आपको धन और समय दोनों की ही बर्बादी होती है।
प्रदूषण की जांच करने के लिए बाकायदा एक प्रक्रिया अपनाई जाती है इसलिए यह प्रक्रिया ऑनलाइन संभव नहीं है। प्रदूषण जांच करते समय गैस एनेलाइजर वाहन के साइलेंसर के लगाया जाता है। यह कम्प्यूटर से जुड़ा होता है। गैस एनेलाइजर गाडी से निकलने वाले प्रदूषण के आंकड़ों को कम्प्यूटर में फीड करता है। वहीं कैमरा गाडी के नंबर प्लेट की फोटो लेता है। इसके बाद ही पीयूसी जारी किया जाता है।
यदि आप प्रदूषण जांच केंद्र खोलने के इच्छुक हैं तो इसके लिए बहुत अधिक पूंजी की जरूरत नहीं होती। आजकल सरकार ने प्रदूषण की जांच अनिवार्य कर दी है। इसलिए यह धंधा खासे मुनाफे का हो सकता है। जगह भी ज्यादा नहीं चाहिए। सबसे जरूरी है आपकी शैक्षणिक योग्यता विभागीय नियमों के तहत विज्ञान विषय से 12वीं उत्तीर्ण होना। इसके लिए आरटीओ में आवेदन करना होता है। आवेदन ऑनलाइन और आफलाइन दोनो तरह से होता है।
आप कमाई के लिए पोल्यूशन जांच के लिए केंद्र खोलना चाहते हैं तो इसके लिए आवेदन के साथ कई आवश्यक दस्तावेजों की जरूरत होगी। ये दस्तावेज इस प्रकार हैं-:
प्रदूषण जांच केंद्र खोलने के लिए केंद्र के कक्ष की लंबाई 2.5 मीटर, चौड़ाई 2 मीटर और ऊ ंचाई 2 मीटर होनी चाहिए। यह जांच केंद्र पीले रंग से केबिन में रंगा होना जरूरी है। इसके अलावा परिवहन विभाग की ओर से जारी लाइसेंस का नंबर भी केंद्र पर अंकित किया जाना चाहिए।
प्रदूषण जांच केंद्र के लिए जो जरूरी उपकरण होते हैं उनके नाम इस प्रकार हैं-:
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