जानें, मोटर एक्सीडेंट क्लेम में कितना मुआवजा दिए जाने का है प्रावधान
देशभर में आए दिन रोड एक्सीडेंट की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही है। प्रतिदिन अखबार व टी.वी, मोबाइल पर सड़क दुर्घटनाओं की खबर देखने और सुनने को मिलती है। भारत में सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों या घायल होने वालों को इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत क्लेम दिए जाने का प्रावधान है। इसमें पीड़ित के परिवार को बीमा दावा क्लेम के तहत सहायता राशि दी जाती है। जिस तरह भारत में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा हर साल बढ़ता जा रहा है उसी तरह मोटर एक्सीडेंट क्लेम पेंडेंसी की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है।
आईआरडीएआई से आरटीआई के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में जो जानकारी मिली उसके अनुसार में सड़क दुर्घटनाओें से जुड़े 80,455 करोड़ रुपए के करीब 10,46,163 दावे पेंडिंग पड़े हुए हैं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुर्घटना में व्यक्ति की मौत के बाद पीड़ित परिवार को क्लेम दावा राशि पाने के लिए कितना इंतजार करना पड़ रहा है।
पिछले पांच सालों में प्रति वित्त वर्ष पेंडिंग एक्सीडेंट क्लेम की संख्या
आईआरडीएआई की जानकारी के मुताबिक पिछले पांच साल का जो आंकड़ा मिला है उसमें प्रति वित्त वर्ष एक्सीडेंट क्लेम पेंडेंसी संख्या में बढ़ोतरी देखी जा सकती है। बीते पांच सालों का आंकड़ा इस प्रकार से है-
- वित्त वर्ष 2018-19 में 52,713 करोड़ रुपए के 9,09,166 क्लेम पेंडिंग
- वित्त वर्ष 2019-20 में 61,051 करोड़ रुपए के 9,39,160 क्लेम पेंडिंग
- वित्त वर्ष 2020-21 में 70,722 करोड़ रुपए के 10,08,332 क्लेम पेंडिंग
- वित्त वर्ष 2021-22 में 74,718 करोड़ रुपए के 10,39,323 क्लेम पेंडिंग
- वित्त वर्ष 2022-23 में 80,455 करोड़ रुपए के 10,46,163 क्लेम पेंडिंग
कहां से मिला एक्सीडेंट क्लेम पेंडेंसी का विवरण -
बता दे कि अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट के वकील केसी जैन के आवेदन के जवाब में भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने यह विवरण दिया है। केसी जैन ने राज्य और जिलेवार विवरण के साथ ही देश में पेंडिंग मोटर एक्सीडेंट क्लेम की कुल संख्या बताने को कहा था। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से पूछे गए सवाल में यह जानकारी मांगी गई थी।
दुर्घटना क्लेम दावा निपटान की कछुआ चाल पर चिंता जताई
आंकड़ों का हवाला देते हुए आगरा स्थित वकील ने कहा कि लंबित दुर्घटना बीमा दावों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है और सड़क दुर्घटनाओं में मृतक और घायल व्यक्तियों के आश्रितों के दावों के निपटान में भी देरी हो रही है। वहीं आईटीआई के जवाब के आधार पर एक सड़क सुरक्षा कार्यकर्ता ने दावा निपटान की कछुआ चाल पर चिंता जताई और अनुमान लगाया कि सड़क दुर्घटना से पीड़ित को आर्थिक सहायता पाने में औसतन चार साल का समय लग जाता है।
वकील ने निपटान के बाद बाकी बचे क्लेम की डिटेल्स मांगी
उन्होंने पिछले पांच सालों के दौरान शुरू किए गए और निपटाए गए और बाकी बचे क्लेम की सालाना डिटेल्स के बारे में पूछा था। इसके अलावा वकील ने मोटर दुर्घटना दावों के जल्दी निपटान के लिए केंद्र सरकार की कोई पहल हो तो इसके बारे में भी जानकारी मांगी थी। क्षेत्रीय स्तर की जानकारी के बारे में आईआरडीएआई ने कहा कि मोटर थर्ड पार्टी दावों का जिलावार और राज्यवार विवरण आईआरडीएआई के पास उपलब्ध नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि आईआरडीएआई ऐसी विस्तृत जानकारी बरकरार नहीं रखता है।
वर्तमान में कितना मिलता है सड़क दुर्घटना में पीड़ित या परिवार को बीमा क्लेम-
सड़क यातायात और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से 25 फरवरी 2022 को एक अधिसूचना जारी की थी। इसमें हिट-एंड रन वाहन दुर्घटना के पीड़ितों के मुआवजे के लिए एक नई योजना को अधिसूचित किया था। इस योजना के तहत सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने पर मुआवजा की राशि 50,000 रुपए तथा मृत्यु होने पर दो लाख का मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है।
क्लेम की राशि बढ़ाने का सुझाव-
जैन ने कहा कि यह सुझाव दिया गया है कि एमवी अधिनियम की धारा 164 के तहत नो-फॉल्ट देनदारी के अनुसार यह राशि घातक मामलों में कम से कम 5 लाख रुपए होनी चाहिए। वहीं चोट के मामलों के लिए 2,50,000 रुपए होना चाहिए।
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