हरियाली को बढ़ावा देने के लिए अशोक लेलैंड के प्रयास जारी
हिंदुजा समूह की भारत में प्रमुख वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनी अशोक लेलैंड ने 21 मार्च को बड़े उत्साह और समर्पण के साथ विश्व वानिकी दिवस मनाया और हरियाली को जीवन से जोडऩे का संदेश दिया। कंपनी ने 'जंगल के अंदर फैक्ट्री' बनाने के लक्ष्य के साथ हरित आवरण बढ़ाने के लिए वर्षों से विभिन्न पहल की है। हर साल 21 मार्च को वनों के बचाने व लोगों को पेड़ों का महत्व समझाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
अशोक लेलैंड ने अब तक 7.35 लाख पेड़ लगाए
अशोक लेलैंड ने वनों के मूल्य को पहचानते हुए मौजूदा झीलों और अन्य वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण और पुनर्वास के साथ-साथ वन कवर बढ़ाने के लिए काम किया है। अशोक लेलैंड (Ashok leyland) ने अब तक कुल 7.35 लाख पेड़ लगाए हैं, और 2.54 लाख किलोलीटर की क्षमता वाले 17 कृत्रिम वर्षा जल संचयन तालाब बनाए हैं ताकि हरित आवरण बनाए रखा जा सके और उन्हें निरंतर पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। साथ ही, वन विभाग के सहयोग से वनों और पेड़ों के जीवित रहने की दर की निरंतर निगरानी की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हरित आवरण उचित रूप से लगाया और संरक्षित किया गया है।
हरियाली को बढ़ावा देने के लिए चलाया पौधरोपण अभियान
प्रमुख वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनी अशोक लेलैंड ने हमेशा हरियाली को बढ़ावा दिया है। कंपनी ने अपने सभी प्लांटों में 'जंगल के अंदर फैक्ट्री' के तहत वनों को विकसित किया है और वनों को नियमित रूप से पानी मिलता रहे, इसके लिए तालाब भी बनाए हैं। वानिकिी दिवस के अवसर पर बोलते हुए, एन वी बालचंदर, चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर और प्रेसिडेंट- कम्युनिकेशंस, सीएसआर एंड कॉरपोरेट अफेयर्स ने कहा कि कंपनी हरित स्थान की मात्रा बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण अभियान चलाती है। बालचंदर ने आगे कहा कि वन पृथ्वी पर जीवन का एक महत्वपूर्ण घटक हैं और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
अशोक लेलैंड के 4 संयंत्रों में झील और नदी के जीर्णोद्धार के लिए पहल
अशोक लेलैंड ने देश में स्थित चार संयंत्रों होसुर, पंतनगर, अलवर और भंडारा में झील और नदी के जीर्णोद्धार के लिए भी पहल की है। बालचंदर ने कहा, "अशोक लेलैंड में हमने 'जंगल के अंदर एक कारखाना' बनाने के लक्ष्य के साथ अपने हरित आवरण को बढ़ाने के लिए कई पहलें की हैं," उन्होंने कहा कि कंपनी ने वनीकरण की मियावाकी तकनीक को सफलतापूर्वक अपनाया है, जिससे एक संचयी निर्माण होता है। हमारे प्रतिष्ठानों में 20 बहुपरत घने जंगल हैं जो एक हरे और स्वच्छ भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं। उन्होंने कहा कि हर साल, अशोक लेलैंड प्रकृति से ली गई चीजों को वापस लौटाने के लिए कुछ पहल करता है। कंपनी की पर्यावरण संरक्षण और संरक्षण के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता है। उन्होंने आगे कहा कि अशोक लेलैंड का उद्देश्य न केवल आर्थिक दक्षता प्राप्त करना है, बल्कि पारिस्थितिक और सामाजिक स्थिरता पर भी ध्यान केंद्रित करना है। इस प्रकार, पर्यावरण संरक्षण अशोक लीलैंड के संचालन का एक अभिन्न अंग बना रहेगा।
जानें, अशोक लेलैंड कंपनी के बारे में
अशोक लेलैंड भारत की दूसरी सबसे बड़ी वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनी है जिसकी स्थापना 1948 में हुई थी। अशोक लेलैंड कमर्शियल वाहनों के निर्माण में कई अभिनव प्रयोग करती रहती है। यही कारण है कि इस कंपनी के उत्पाद ग्राहकों को लुभाते हैं। कंपनी पर्यावरण के अनुकूल तकनीक को अपनाने में सदा आगे रहती है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हूए कंपनी ने सन् 2020 से बीएस-6 उत्सर्जन मानकों का अनुपालन करने वाले वाहनों का निर्माण शुरू कर दिया है। यहां यह भी बता दें कि अशोक लेलैंड के कमर्शियल वाहन कम रखरखाव वाले और अधिक विश्वसनीय होते हैं। यह कंपनी ट्रकों का विनिर्माण मानकों के अनुरूप करती है। इसके वाहनों की गुणवत्ता कई कठोर जांच से गुजरती है।
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