केंद्र सरकार ने ऑटो सेक्टर के लिए 26,058 करोड़ रुपये और ड्रोन इंडस्ट्री के लिए रखा 120 करोड़ का बजट
ऑटो सेक्टर के लिए केंद्र सरकार ने पीएलआई योजना में बहुत बड़ा पैकेज दिया है। यहां बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले दिनों हुई बैठक के दौरान ऑटो पार्ट्स और ड्रोन इंडस्ट्री के लिए 26,058 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसमें 120 करोड़ रुपये की राशि ड्रोन इंडस्ट्री के लिए निर्धारित की गई है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस योजना की पर फोकस करते हुए कहा कि, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का भारत के विनिर्माण सकल घरेलू उत्पाद में 35 प्रतिशत योगदान है। भारत सरकार द्वारा पीएलआई योजना में ऑटो सेक्टर को विश्व स्तर पर व्यापार में भागीदारी निभाने के लिए सीधा प्रोत्साहन दिया गया है। आइए, जानते हैं केंद्र सरकार की ओर से ऑटो सेक्टर को पीएलआई स्कीम में 26,058 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत करने और ड्रोन उद्योग को विकसित करने के लिए इस राशि से 120 करोड़ खर्च करने की योजना का भारत के ऑटो व्यापार पर क्या असर पडऩे जा रहा है? वहीं क्या है ड्रोन संचालित करने की प्रस्तावित योजना?
पीएलआई योजना से ऑटो सेक्टर को जोडऩे के ये होंगे लाभ
केंद्र सरकार द्वारा पीएलआई योजना से ऑटो सेक्टर को सीधे तौर पर जोडऩे के कई लाभ ऑटोमोबाइल कंपनियों को मिलेंगे। ये लाभ इस प्रकार होंगे-
- इससे भारत के ऑटो उद्योगों की विनिर्माण क्षमता में वृद्धि होगी।
- उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के जरिए ऑटो क्षेत्र को 7,00, 000 से अधिक लोगों के लिए रोजगार पैदा करेगा।
- इस योजना से कुल 50 ऑटो कंपोनेंट/ पार्ट्स निर्माता, 10 वाहन निर्माता और 5 नए गैर ऑटोमोटिव निवेशक लाभाविंत होंगे।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ऑटो क्षेत्र के लिए अनुमोदित यह पीएलआई योजना भारत में उन्नत ऑटोमोटिव प्रोद्योगिकी की वैश्विक आपूर्ति की शुरूआत को प्रोत्साहित करेगी।
ऑटो क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना की अहमियत
यहां बता दें कि भारत सरकार द्वारा घोषित प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम की ऑटो जगत के लिए बहुत ज्यादा अहमियत है। इससे ऑटो सेक्टर में नये निवेश करने का अवसर मिलेगा वहीं ऑटो व्यवसायी अपने व्यापार का विस्तार कर सकते हैं। ऑटो सेक्टर के लिए
पीएलआई की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
- ऑटो क्षेत्र के लिए पीएलआई स्कीम वित्तीय वर्ष 2023 से पांच वर्षों की अवधि के लिए प्रभावी भूमिका अदा करेगी। इसमें पात्रता मानदंड के लिए आधार वर्ष 2019-20 रहेगा।
- ऑटो कंपोनेंट के अंतर्गत कुल 22 घटक हैं, इनमें कंपोनेंट को भी कवर किया जाएगा।
- इसके अलावा हाइड्रोजन फ्यूल सेल, फ्लैक्स-फ्यूल किट, हाईब्रिड एनर्जी स्टोरेज सिस्टम और इलेक्ट्रिक व्हीकल पार्ट जिसमें ड्राइव ट्रेन, चार्जिंग पोर्ट, इलेक्ट्रिक कंप्रैशर, इलेक्ट्रिक वैक्यूम पंप सहित अन्य शामिल होते है।
- ऑटो सेक्टर के लिए पीएलआई योजना समग्र पीएलआई प्रात्साहन का एक हिस्सा है, इसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2021-22 में कुल 13 क्षेत्रों के लिए की गई थी।
ऐसे होगा पीएलआई योजना से नया निवेश
ऑटो सेक्टर और ड्रोन इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने आगामी 5 वर्षों में पीएलआई योजना के जरिए 42,500 करोड़ रुपये से अधिक का नया निवेश लाने और 2.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वृद्धिशील उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि ऑटो कंपनियों को 5 वर्षों में 2,000 करोड़ रुपये का नया निवेश करना होगा। इसके अलावा पीएलआई योजना में पांच साल की अवधि में कंपोनेंट निर्माताओं को 500 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। केंद्र सरकार को भारतीय ड्रोन उद्योग में 5,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की उम्मीद बनी हुई है।
केंद्र सरकार ने ड्रोन उड़ाने के बनाए नए नियम
यहां आपको बता दें कि पीएलआई योजना में केंद्र सरकार ने ड्रोन उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए 120 करोड़ रुपये की राशि पीएलआई की कुल 26,058 रुपये की राशि से देने की घोषणा की है। वहीं केंद्र सरकार ने ड्रोन उड़ाने को लेकर नए नियम भी बना दिए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नए ड्रोन नियम 2021 के प्रस्ताव को पारित कर दिया है। इससे मौजूदा मानव रहित विमाम प्रणाली नियम की जगह ये ड्रोन लेंगे। इस आशय की अधिसूचना भी सरकार ने जारी कर दी है। वहीं इस पॉलिसी के तहत ड्रोन उडाने को लेकर कई तरह के नए नियम बनाए गए हैं। पहले के नियमों में बदलाव कर दिया गया है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नए ड्रोन नियम इस क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्ट-अप और हमारे युवाओं की जबर्दस्त मदद करेंगे। यह नवाचार और व्यापार के लिए नई संभावनाएं खोलेगा। इससे ड्रोन हब बनाने के लिए नवाचार, प्रोद्योगिकी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नवीन संभावनाए बनेंगी।
ड्रोन संचालित करने के नए नियमों को सराहा
केंद्र सरकार की ओर से पीएलआई योजना में ड्रोन इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए जो नए नियम बनाए हैं उनकी भारत के ऑटो सेक्टर और ड्रोन इंडस्ट्री में सराहना की जा रही है। हितकारकों का कहना है कि ड्रोन संचालित करने के लिए सरकार ने प्रक्रिया को सरल कर दिया है। अनुपालन बोझ कम कर दिया है। इससे ड्रोन संचालन के लिए किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस जारी करने से पहले किसी सुरक्षा मंजूरी की जरूरत नहीं होगी वहीं ड्रोन संचालित करने के नए नियमों के तहत समाप्त किए गए कुछ अनुमोदनों में यूनिक अधिकृत नंबर, यूनिक प्रोटोटाइप पहचान संख्या, अनुरूपता का प्रमाण पत्र, रखरखाव का प्रमाण पत्र, ऑपरेटर परमिट, दूरस्थ पायलट प्रशिक्षक प्राधिकरण आदि शामिल हैं।
सभी प्रकार के ड्रोन का पंजीकरण ऑनलाइन होगा
केंद्र सरकार की ओर से ड्रोन उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए सभी प्रकार के ड्रोन का ऑनलाइन पंजीकरण करने की व्यवस्था की गई है। वहीं हवाई अड्डे की परिधि से 8 से 12 किमी के बीच के क्षेत्र मेंं ग्रीन जोन रहेगा जबकि 200 फीट तक के एरिये में ड्रोन उड़ाने के लिए किसी तरह की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। बता दें कि ड्रोन का ऑनलाइन पंजीकरण डिजीटल स्काई प्लेटफार्म के माध्यम से होगा।
ड्रोन के आयात की नीति
आपको बता दें कि भारत सरकार की ओर से ड्रोन के आयात करने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय को अधिकृत किया गया है। डीजीएफटी द्वारा ड्रोन आयात को नियंत्रित किया जा सकेगा। व्यापार के अनुकूल नियामक व्यवस्था की सुविधा के लिए मानव रहित विमान प्रणाली संवर्धन परिषद की स्थापना की जाएगी।
पांच क्विंटल तक के ड्रोन उड़ाए जा सकेंगे
सरकार के नए ड्रोन नियमों के तहत अब ड्रोन के वजन को भी निर्धारित कर दिया गया है। नए नियमों में 300 से 500 किलोग्राम तक के ड्रोन उडाने की अनुमति होगी। इनमें ड्रोन टैक्सियां भी शामिल होंगी। नए नियमों में अपने ड्रोन लाइसेंस को ट्रांसफर करना या निरस्त करने की प्रक्रिया को भी सरल कर दिया गया है।
ड्रोन उड़ाने के तीन जोन बनाए
केंद्र सरकार ने ड्रोन इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई स्कीम में 120 करोड़ की राशि मंजूर कर जो प्रावधान रखें हैं इनमें ड्रोन उडाने के जोन तैयार किए जाएंगे। तीन जोन में ड्रोन उड़ाए जा सकेंगे। इनमें रेड जोन, येलो जोन और ग्रीन जोन रिजर्व होंगे। वहीं रेड और येलो जोन में ड्रोन उडाने के लिए अनुमति लेनी होगी। किसी को नुकसान पहुंचाने की नियत से ड्रोन को उडाने की बिल्कुल इजाजत नहीं दी जा सकेगी। इसके अलावा किसी भी प्रकार के हथियार एक्सप्लोसिव या खतरनाक वस्तुओं को ड्रोन में रखना प्रतिबंधित होगा। यही नहीं ड्रोन के इस्तेमाल से पहले उसकी टेस्टिंग करानी होगी। साथ ही उसके मालिक को एक वैध लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होगा। आपको बता दें कि सरकार ने एक विशेष फार्म भी जारी किया है जिसके आधार पर ड्रोन व्यापार से जुड़े लोग आवेदन कर सकते हैं।
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