जानें सन मोबिलिटी की अपकमिंग बैटरी स्वैपिंग फैसिलिटी की खासियत
बेंगलुरु की प्रसिद्ध कंपनी सन मोबिलिटी ने हाल ही में अपनी उन्नत मॉड्यूलर बैटरी स्वैपिंग तकनीक को हेवी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (HEVs) के लिए Prawaas 4.0 इवेंट में प्रस्तुत किया। यह तकनीक आने वाले समय में अब लाइट कमर्शियल व्हीकल्स (LCVs), मीडियम कमर्शियल व्हीकल्स (MCVs), और हेवी कमर्शियल व्हीकल्स (HCVs) तीनों प्रकार के वाहनों में लागू की जा सकेगी। अगले 18 से 24 महीनों में, सन मोबिलिटी का लक्ष्य विभिन्न उपयोग के मामलों के लिए इस तकनीक को रोल आउट करना है, जिससे यह साबित किया जा सके कि यह तकनीक बड़े पैमाने पर और विभिन्न प्रकार के वाहनों में सफलतापूर्वक काम कर सकती है।
सन मोबिलिटी के CEO ने क्या कहा, जानिए
सन मोबिलिटी के CEO, अशोक अग्रवाल ने बताया कि कंपनी का मुख्य फोकस इस तकनीक को अगले 18-24 महीनों में विभिन्न वाहनों में उपयोग किए जाने लायक बदलाव लाने पर रहेगा। योजना का उद्देश्य छोटे स्तर पर इस तकनीक की प्रभावशीलता को साबित करना, विभिन्न प्रकार के वाहनों में इसका परीक्षण करना और फिर इसे व्यापक रूप से अपनाने के लिए रेंटल मॉडल में स्थानांतरित करना है। इस कदम से कंपनी को अपने समाधान की प्रभावशीलता साबित करने, हितधारकों का विश्वास जीतने और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को अधिक सुलभ बनाने में मदद मिलेगी।
इलेक्ट्रिक कमर्शियल वाहनों के लिए होगी बेहद खास तकनीक
अग्रवाल ने यह भी बताया कि इस तकनीक का उद्देश्य न केवल पर्यावरणीय लाभ प्राप्त करना है, बल्कि कमर्शियल वाहनों के फ्लीट ऑपरेटरों के लिए इसे सस्ता और सुलभ बनाना भी है। उदाहरण के लिए, बैटरी स्वैपिंग तकनीक से बसों की लागत में 40% तक की कमी लाई सकती है, जिससे वे पारंपरिक आईसीई (Internal Combustion Engine) बसों की अपेक्षा ज्यादा मुनाफा प्रदान कर पाएगी। इसके साथ ही, यह तकनीक ऑपरेशनल लागत को 20% तक कम करने और फ्लीट की उपयोगिता को बढ़ाने में भी मददगार होगी। वहीं इस तकनीक के लागू होने पर बैटरी स्वैपिंग की प्रक्रिया सिर्फ तीन मिनट में पूरी की जा सकती है, जिससे वाहनों का डाउनटाइम कम होता है और उनका अधिकतम उपयोग संभव होगा।
पर्यावरण पर पड़ेगा विशेष प्रभाव
गौरतलब है कि आज भारत में बसों और ट्रकों की संख्या, भारत में कुल वाहन जनसंख्या का केवल 5% हिस्सा है, लेकिन यह लगभग 50% कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। इसी वजह से कमर्शियल वाहनों का विद्युतीकरण (Electrification) न केवल उत्सर्जन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वायु गुणवत्ता में सुधार और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर की समग्र दक्षता बढ़ाने के लिए भी आवश्यक है। सन मोबिलिटी का दावा है कि बैटरी स्वैपिंग तकनीक से कमर्शियल वाहनों के क्षेत्र में ईवी अपनाने की दर को 30% तक बढ़ाया जा सकता है। इससे भारत के हेवी कमर्शियल वाहनों में जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
देश भर में 630 बैटरी स्वैपिंग स्टेशन किए स्थापित
सन मोबिलिटी ने अपनी स्थापना के बाद से ही बड़े पैमाने पर बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित किए हैं। कंपनी ने अब तक 26,000 से अधिक वाहनों को बैटरी स्वैपिंग सिस्टम में शामिल किया है और देश भर में 630 बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित किए हैं। इसके अलावा, कंपनी ने हाल ही में इंडियन ऑयल के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत, इंडियन ऑयल के 37,000 से ज्यादा फ्यूल स्टेशनों को सन मोबिलिटी की बैटरी स्वैपिंग तकनीक से जोड़ा जाएगा। ताकि बैटरी स्वैपिंग की सुविधा भारत भर में पारंपरिक ईंधन स्टेशनों की तरह ही सुलभ हो सके, जिससे ईवी अपनाने की दर में भी बढ़ोतरी होगी।
निष्कर्ष
सन मोबिलिटी का यह प्रयास भारत में ईवी के भविष्य के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण कदम है। बैटरी स्वैपिंग की इस उन्नत तकनीक के माध्यम से, न केवल लागत में कमी आएगी, बल्कि यह तकनीक पर्यावरण को सुरक्षित रखने और देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस प्रकार, सन मोबिलिटी का लक्ष्य एक स्थायी और कुशल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम की दिशा में एक बड़ा कदम उठाना है।
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