Posted On : 15 September, 2024
भारत सरकार ने हाल ही में नेशनल हाईवे के नियमों में संशोधन किया है। जिसमें वाहन चालकों को अब 20 किलोमीटर तक हाइवे या एक्सप्रेस वे पर चलने के लिए किसी तरह का टोल टैक्स नहीं देना होगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने टोल टैक्स वसूली की प्रणाली ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम के लिए अपने नियमों में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत अब ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) से लैस वाहनों के लिए नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर प्रत्येक दिशा में प्रतिदिन 20 किमी तक की मुफ्त यात्रा की अनुमति दी गई है। टोल वसूली नियमों में संशोधन से उन लोगों को राहत मिलेगी, जिनका घर टोल प्लाजा के आसपास है और रोजाना काम के चलते हाईवे या एक्सप्रेस वे से गुजरते हैं।
अधिसूचना के अनुसार, सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2028 में संशोधन किया है। इसके साथ ही देश में सेटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को मंजूरी मिल गई है। टोल शुल्क कनेक्शन के लिए अब ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइलाइट सिस्टम (GNSS), ग्लोबन पोजीशनिंग सिस्टम (GPS) और ऑन बोर्ड यूनिट्स (OBU) का प्रयोग किया जाएगा। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्ग टोल प्लाजा पर भीड़ को कम करना है और की गई यात्रा की वास्तविक दूरी के लिए टोल टैक्स वसूल करना है।
मंत्रालय ने अब नेशनल हाईवे टोल कलेक्शन के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GNSS) आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह से संबंधित प्रावधानों को शामिल किया है। इसके अनुसार, अब ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) से लैस गाड़ियाें से नेशनल हाईवे पर रोज 20 किलोमीटर की दूरी तक कोई टोल टैक्स नहीं लिया जाएगा, वे 20 किमी से अधिक जितनी दूरी तय करेंगे, उतनी ही दूरी का टोल शुल्क वसूला जाएगा। फिलहाल, फास्टैंग का इस्तेमाल भी जारी रहेगा।
मंत्रालय के ऑफिशियल नोटिफिकेशन के अनुसार, जीएनएसएस से लैस वाहनों को टोल भुगतान या फास्टैग स्कैनिंग के लिए रूके बिना टोल प्लाजा से गुजरने की अनुमति दी जाएगी। वे अब निर्धारित लेन का प्रयोग करेंगे जिनमें टोल पर बूम बैरियर नहीं होंगे। नेशनल परमिट रखने वाले वाहनों को छोड़कर किसी निजी वाहन चालक, मालिक या प्रभारी, जो नेशनल हाईवे, स्थायी पुल, बाईपास या सुरंग रूट का इस्तेमाल करता है, जैसा भी मामला हो, उनसे एक दिन में हर तरफ बीस किलोमीटर तक की यात्रा के लिए कोई टोल टैक्स नहीं लिया जाएगा।
बता दें कि ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) रोजमर्रा की तकनीक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गूगल मैप्स और संचार प्रणालियों जैसे- मोबाइल नेविगेशन एप्लिकेशन में काम आते हैं। अब, देश में टोल कलेक्शन के लिए इस तकनीकी प्रणाली को टोल प्लाजा पर लागू किया जा रहा है। इस प्रणाली के लागू होने पर यात्रियों को वर्तमान व्यवस्था में वसूली जा रही एकमुश्त रकम के स्थान पर उतनी ही राशि चुकानी होगी, जितनी उसने यात्रा की है, जबकि शुरुआती 20 किलोमीटर की यात्रा पर वाहनों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। यह विकसित टेक्नोलॉजी के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल संग्रहण को आधुनिक बनाने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा हैं।
यहां आपको बता दें कि वाहनों पर टोल टैक्स किस प्रकार और कितना वसूला जाता है, इसकी गणना कई वाहनों के लिए उनके आकार और दूरी के आधार पर की जाती है। यानी ट्रक और बस जैसे हैवी वाहनों को कारों की तुलना में अधिक टोल देना होता है। वहीं टू- व्हीलर जैसे छोटे वाहन पर पूरे देश में टोल टैक्स नहीं लिया जाता। वहीं, कुछ स्पेशल श्रेणियों के वाहनों से किसी भी परिस्थिति में टोल टैक्स नहीं वसूला जाता है। इनमें आपातकालीन वाहन, सैन्य और सार्वजनिक वाहन शामिल हैं।
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