वर्ल्ड बैंक के साथ भारत की चल रही डील
भारत में परिवहन क्षेत्र को डी-कार्बोनाइज करने के लिए चल रही ईवी क्रांति और तेज हो सकती है। आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिक वाहन सस्ते हों, इसके लिए भारत सरकार और विश्व बैंक के मध्य उच्च स्तर पर शुरू हुई है। भारत वर्ल्ड बैंक से एक रिस्क -शेयरिंग मैकेनिज्म यानि जोखिम साझेदारी सिस्टम शुरू करने की दिशा में बात कर रहा है। सरकार चाहती है कि वर्ल्ड बैंक भारत में ईवी खरीदने के लिए लोन देने वाली बैंकों को मुआवजा प्रदान करे ताकि इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वाले लोगों को आसानी से लोन मुहैया हो सकें। यदि भारत सरकार की यह डील पूरी हुई तो निकट भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहन सस्ते हो जाएंगे। वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में लागत अधिक होने के कारण ये वाहन परंपरागत ईंधन वाले वाहनों की तुलना में महंगे हैं। यहां ट्रक जंक्शन की इस पोस्ट में आपको इलेक्ट्रिक वाहनों के सस्ता होने की संभावनाओं को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है। इसे अधिक से अधिक शेयर करें।
नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा?
बता दें कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में कमी लाने के प्रयास के तहत नीति आयोग के पूर्व सीईओ और जी-20 के नये शेरपा अमिताभ कांत ने पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित इंडस्ट्रीज से जुड़े एक कार्यक्रम में कहा था कि जोखिम साधन बैंकों को लोन डिफॉल्ट के खिलाफ बचाव और इलेक्ट्रिक वाहनों की फाइनेंसिंग लागत में कटौती करने में सहायक होगा। इसी कड़ी में भारत सरकार की वर्ल्ड बैंक के साथ बातचीत शुरू हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगर यह वार्ता निर्णायक मोड़ तक पहुंची तो भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में गिरावट आना तय है। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की रफ्तार तेज होगी।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति धीमी क्यों?
बता दें कि भारत में अन्य विकसित देशों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों की अपनाने या इनकी बिक्री की गति धीमी है। अमेरिका और चीन इस दिशा में भारत से कई कदम आगे हैं। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत ज्यादा होने और ईवी बैटरी चार्जिंग की पर्याप्त सुविधाएं नहीं होना इसका बड़ा कारण बताया जा रहा है। ब्लूमबर्गएनईएफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2040 तक भारत में 53 प्रतिशत नई ऑटोमोबाइल बिक्री इलेक्ट्रिक वाहनों की होगी। इससे भारत चीन की 77 प्रतिशत ईवी बिक्री के बाद दूसरे स्थान पर आ सकता है। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत का यह भी मानना है कि भारतीय बैंक फिलहाल ईवी खरीद के लिए लोन देने में हिचक रहे हैं क्योंकि इन वाहनों की बीमा कराने की लागत भी अधिक है। इसके अलावा इनका रीसेल बाजार अभी विकसित नहीं हो पाया है।
यह है इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने का भारत का लक्ष्य
ग्रीन मोबिलिटी के तहत भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। सरकार का मकसद देश में सभी प्रकार के वाहनों को इलेक्ट्रिक सेगमेंट में तब्दील करने का है ताकि 2070 तक जीरो कार्बन का लक्ष्य हासिल किया जा सके। वहीं सरकार को यह भी उम्मीद है कि भारत के ईवी उद्योग में इंवेस्टमेंट तीन गुना हो जाएगा। यह निवेश 2021 के 6 अरब डॉलर से साल 2030 तक 20 अरब डॉलर हो जाने की संभावना है।
ईवी पर सब्सिडी देने में महाराष्ट्र सबसे आगे
बता दें कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की लोन के जरिए खरीद करने पर कई सरकारें सब्सिडी प्रदान कर रही हैं। इस प्रकार की सब्सिडी में आयकर एक्ट के अंतर्गत लोन के ब्याज पर, टैक्स में छूट देनेे से लेकर रजिस्ट्रेशन शुल्क, रोड टैक्स आदि में छूट शामिल हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों की ओर से दी जा रही इस तरह की छूट और सब्सिडी में महाराष्ट्र टॉप पर है। यहां पहले 10,000 खरीदारों को इलेक्ट्रिक फोरव्हीलर्स की खरीद पर 1.5 लाख रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। इसके बाद गुजरात, असम और पश्चिम बंगाल भी इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर 10,000 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच का इंसेंटिव प्रदान करते हैं। इन राज्यों में भी कुल सब्सिडी 1.50 लाख रुपये तक है। इसी तरह दिल्ली में की ईवी पॉलिसी के तहत भी अधिकतम सब्सिडी 1.50 लाख रुपये तक सीमित है। ओडिसा मेें यह सब्सिडी सीमा 1 लाख रुपये है। मेघालय में मात्र 4,000 रुपये इंसेंटिव के साथ कुल 60,000 रुपये की सब्सिडी यहां की सरकार दे रही है।
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