कमर्शियल व्हीकल्स की बिक्री में 18-23% वृद्धि की उम्मीद
भारत में वाणिज्यिक वाहनों की सबसे ज्यादा जरूरत ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में होती है लेकिन इस तरह के वाहनों की बिक्री में वृद्धि इस बात पर काफी हद तक निर्भर करती है कि बुनियादी ढांचे में लगातार विस्तार और सुधार होता रहे। बता दें रेटिंग ऐजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि बड़े पैमाने पर इंफ्रा पुश करने से इस वित्त वर्ष के दौरान वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री 18-23 प्रतिशत बढ़ सकती है। कोविड की तीसरी लहर के साथ वाणिज्यिक वाहनों की वसूली का अभियान भी प्रभावित होने की कोई उम्मीद नहीं है। हाल ही रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष में इंफ्रास्ट्रैक्चर में पुश से वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री दो अंकों में बढऩे की संभावना है। आइए, जानते हैं कमर्शियल वाहनों की बिक्री में कैसे होगा इजाफा और क्या है बुनियादी ढांच जिस पर हर कंपनी इन दिनों सबसे ज्यादा जोर दे रही है?
दोहरे अंकों की मात्रा को बनाए रखना चाहिए
ऑटोमोबाइल सेक्टर में वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री इस वित्त वर्ष के अलावा आगामी वित्त वर्ष में भी बढऩे की पूरी उम्मीद है। इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि अगले वित्त वर्ष में भी आर्थिक सुधार ओर बुनियादी ढांचे के खर्च पर दोहरे अंकों की मात्रा में वृद्धि को बनाए रखना चाहिए। यहीं नहीं ऑपरेटिंग मार्जिन जो कच्च माल की कीमतों में भौतिक वृद्धि के कारण वित्त वर्ष में पूरी तरह से सपाट रहने की संभावना है उसमें अगले साल से तेजी से विस्तार होगा।
कमर्शियल व्हीकल्स निर्माताओं की बैलेंस शीट हुई मजबूत
यहां बता दें कि इस वित्त वर्ष में भी वाणिज्यिक वाहनों के निर्माताओं को निराशा का सामना नहीं करना पड़ा। इनकी बैलेंस शीट पहले से कहीं मजबूत हुई है। क्रिसिल रिसर्च के एसोसिएट निदेशक पुषन शर्मा ने कहा है कि निर्माण, खनन, स्टील और सीमेंट जैसे बुनियादी ढांचे क्षेत्रों की मजबूत मांग के कारण मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री की मात्रा चालू वित्त वर्ष में 37-42 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है।
एमएचसीवी की हिस्सेदारी बढऩे की उम्मीद
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार ई कामर्स जैसे क्षेत्रों में अंतिम मील कनेक्टिविटी की उच्च मांग पर 9 से 14 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है लेकिन अर्धचालक की कमी के बीच आपूर्ति बाधाओं से आंशिक रूप से ऑफसेट होगा। उच्च मात्रा के अलावा मूल्य वृद्धि की प्रवृत्ति और उच्च मूल्य वाले एमएचसीवी की बढ़ती हिस्सेदारी अगले वित्त वर्ष में जारी रहने की संभावना है। यहां यह भी गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2019 में शिखर पर पहुंचने के बाद भी वित्त वर्ष 2021 में सीवी की मात्रा में क्रमश: 29 प्रतिशत और 21 प्रतिशत की तेजी से गिरावट आई थी। कोविड महामारी के चलते हालांकि ईंधनों की कीमतों में कुछ राहत प्रदान की गई थी। इससे भी कमर्शियल वाहनों की मांग में सुधार होता दिखाई दिया।
सीवी की मांग इस वित्त वर्ष में 28 प्रतिशत बढ़ी
यहां बता दें कि वित्त वर्ष का आरंभ कोरोना महामारी की दूसरी लहर के साथ हुआ लेकिन कमर्शियल वाहनों की मांग कम आधार पर ही सही, सुधरी थी। यह बढ़कर इस वित्त वर्ष के पहले दस महीनों में 28 प्रतिशत हो गई। मध्यम और भारी वाहनों के अलावा हल्के कमर्शियल व्हीकल की बिक्री बुनियादी ढांचे से संबंधित क्षेत्रों बढ़ी। वहीं और ई कॉमर्स की मांग के कारण अर्थ व्यवस्था के साथ यह फिर से शुरू हुई। बेड़े ऑपरेटरों की बेहतर लाभप्रदता की बात की जाए तो यह अप्रैल 2021 की तुलना में दिसंबर 2021 तक डीजल की कीमतों में वृद्धि के साथ कुछ प्रभावित हुई। इसके बावजूद माल के परिवहन की दरों में भी वृद्धि से लाभप्रदता हासिल करने में मदद मिली है।
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