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दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर 7 दिसंबर तक प्रतिबंध

News Date 30 Nov 2021

दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर 7 दिसंबर तक प्रतिबंध

पेट्रोल और डीजल से चलने वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध फिर से बढ़ाया

दिल्ली में वायु प्रदूषण अभी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसके नियंत्रण के लिए दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने कई सख्त कदम भी उठाए हैं। इनमें पेट्रोल और डीजल से चलने वाले ट्रकों के प्रवेश पर लगाया गया प्रतिबंध फिर से बढ़ा दिया गया है। बता दें कि अब दिल्ली में डीजल एवं पेट्रोल से संचालित ट्रकों के आवागमन पर लगाये गए प्रतिबंध की सीमा 3 दिसंबर से बढ़ाकर 7 दिसंबर कर दी गई है। यह प्रतिबंध इलेक्ट्रिक और सीएनजी से संचालित ट्रकों पर लागू नहीं रहेगा। आइए, जानते हैं दिल्ली में पर्यावरण संतुलन के लिए सरकारी स्तर पर क्या प्रयास किए जा रहे हैं और इनका क्या असर हो रहा है? 

अभी दिल्ली की आबोहवा में नहीं है सुधार 

दिल्ली की आबोहवा अभी तक बिगड़ी हुई है। डीजल-पेट्रोल से चलने वाले ट्रकों से दिल्ली में जबर्दस्त प्रदूषण फैलता है। करीब दो सप्ताह से ज्यादा समय से दिल्ली में वायु गुणवत्ता की स्थिति में खास सुधार नहीं हो पा रहा है, लिहाजा सरकार ने डीजल और पेट्रोल से चलने वाले ट्रकों एवं अन्य भारी वाहनों के दिल्ली में प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया है। ताजा हालातों में वायु गुणवत्ता बहुत खराब होने की स्थिति के कारण 7 दिसंबर 2021 तक दिल्ली में डीजल और पेट्रोल से संचालित होने वाले ट्रकों का प्रवेश निषेध कर दिया गया है। 

आवश्यक सेवा वाले वाहनों को छूट 

दिल्ली में प्रदूषण के कारण केजरीवाल सरकार द्वारा डीजल और पेट्रोल से चलने वाले ट्रकों पर लगाई गई रोक के तहत ऐसे ट्रक एवं अन्य भारी वाहनों पर यह नियम लागू नहीं होगा जो आवश्यक सेवाओं की सप्लाई से जुड़े हुए हैं। इधर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपालराय ने कहा है कि जब तक शहर में बारिश नहीं होती तब तक हवा की गुणवत्ता में सुधार की गुंजाइश नहीं है। अभी दिल्ली शहर में हवा की गुणवत्ता का मापदंड बहुत खराब श्रेणी से नीचे जाने की उम्मीद नहीं है। संभवतया दिसंबर के पहले सप्ताह तक ऐसी ही स्थिति रहेगी इसीलिए तीन दिसंबर तक प्रतिबंध बढ़ा दिया गया है। 

मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान पर है नजर 

दिल्ली में वायु गुणवत्ता में कब तक सुधार होगा? इसका पूर्वानुमान भारत के मौसम विज्ञान विभाग लगा सकता है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपालराय का कहना है कि यदि आईएमडी का पूर्वानुमान सही निकला तो दिसंबर के प्रथम सप्ताह में बारिश हो सकती है। इससे कुछ सुधार की उम्मीद है। वायु गुणवत्ता को और अधिक खराब होने से बचाने के लिए सरकार अभी ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले डीजल और पेट्रोल ट्रकों के आवागमन पर रोक जारी रखना चाहती है।

प्रभावित निर्माण श्रमिकों को मिलेगा मुआवजा

यहां बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण के संकट से जूझने के लिए जो प्रतिबंध लगाया गया है उससे काफी हद तक निर्माण श्रमिक भी प्रभावित हो रहे हैं। सरकार की ओर से इन निर्माण श्रमिकोंं को 5,000 रुपये बतौर मुआवजा प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा प्लंबर, आंतरिक साज-सज्जा गतिविधियां जारी रहेंगी। वहीं निजी वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध नहीं रहेगा। 

रेडलाइट ऑन, गाडी ऑफ अभियान जारी रहेगा 

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि शहर में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए रेड लाइट ऑन, गाडी ऑफ अभियान अभी जारी रहेगा। इसका तीसरा चरण जल्द शुरू होगा। दूसरा चरण 3 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। इसे हमने बढ़ाने का फैसला किया है। सरकार ने पिछले बुधवार को घोषणा की थी कि दिल्ली में डीजल और पेट्रोल से संचालित ट्रकों पर प्रतिबंध 3 दिसंबर तक रहेगा। इसके बाद एक बार फिर 7 दिसंबर तक प्रतिबंध की अवधि बढ़ाई गई है। वहीं इसके अगले दिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की पालना में विध्वंस गतिविधियों पर फिर से प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। 

सार्वजनिक रूप से कूड़ा जलाने पर होगा जुर्माना 

दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए उठाए जा रहे कई सख्त कदमों में यह भी शामिल है कि यदि कोई व्यक्ति खुले में कचरा या अन्य अनुपयोगी सामान जलाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी और नियमानुसार जुर्माना राशि वसूल की जाएगी। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के अनुसार अभी तक इस अभियान में 8,480 स्थलों का निरीक्षण किया गया है। वहीं करीब 1,000 नियम उल्लंघनों का पता चला है। ऐसे लोगों से 28.73 लाख रुपये जुर्माना राशि वसूली गई है। इसके अलावा अक्टूबर से नबंवर के बीच 28 लाख प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। राय ने कहा है कि वैध प्रमाण पत्र जारी नहीं होने पर लगभग 14,000 लोगों पर जुर्माना किया गया। 

कर्मचारियों के लिए विशेष बसों की व्यवस्था 

बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण के चलते सरकार ने अपने कर्मचारियों को सरकारी विशेष बसों से ही लाने-ले जाने की व्यवस्था की है। इसके लिए दिल्ली की 14 कॉलोनियों में बसें लगाई गई हैं जहां बड़ी संख्या में लोग रहते हैं। ये बसें सुबह 8 बजे के आसपास कर्मचारियों को ले जाती हैं और शाम को वापस उन्हें शाम पांच बजे घर छोड़ती हैं।

प्रदूषण नियंत्रण के लिए साझा प्रयासों की जरूरत 

यहां बता दें कि सीपीसीबी के पूर्व वायु प्रयोगशाला प्रमुख दीपांकर साहा ने कहा कि गैर जरूरी स्त्रोतो पर प्रतिबंध प्रदूषण को कंट्रोल करने का एक सक्रिय तरीका है। उन्होंन कहा कि निर्माण गतिविधियां सर्दियों में अधिक प्रदूषण फैलाती हैं। इससे वातावरण में विषाक्ता बढ़ती है। इसे भी रोका जाना चाहिए। कुल मिलाकर प्रदूषण नियंत्रण केवल सरकारी प्रयासों तक ही सीमित नहीं हो इसके लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। 

क्या हैं वायु प्रदूषण बढऩे के मुख्य कारण

यहां बता दें कि किन कारणों से वायु प्रदूषण ज्यादा फैलता है। वाहनों के धुंए के अलावा और भी कई ऐसे कारण हैं जो वायु प्रदूषण फैलाने में सबसे ज्यादा सहायक हैं। ये कारण इस प्रकार हैं- 

1. बढ़ती आबादी 

भारत की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। दिल्ली सहित अन्य महानगरों में आवासीय समस्या होने लगी है। ऐसे में प्राकृतिक संसाधनों को बुरी तरह से दोहन हो रहा है। हर घर में वाहन होने से प्रदूषण बढ़ता है। पहले एक ही वाहन से काम चल जाता था। 

2. औद्योगिक विस्तार

भारत के हर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के लिए लघु एवं विशाल कारखाने लगे हुए हैं। उद्योगों को तेजी से विस्तार होने से  प्रदूषण फैल रहा है। लोगोंं को सांस लेना भी दूभर हो चला है। 
इनके अलावा बता दें कि आजकल संचार के साधन तीव्र गति से बढ़ रहे हैं। वनों की कटाई हो रही है। वहीं विश्व स्तर पर देखें तो सभी देशों के बीच परमाणु शक्ति को बढ़ाने की होड़ लगी हुई है। 

ऐसे बचें, वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव से 

वायु प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य पर काफी विपरीत असर पड़ता है। इससे बचने के लिए कई उपाय हैं जो इस प्रकार हैं-: 

  • वनों की अंधाधुुंंध कटाई से पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है। वायु प्रदूषण को रोकने में पेड़-पौधे सबसे अधिक कारगर हैं। इसलिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण कार्यक्रम होने चाहिएं। 
  • शहरों में औद्योगिकीकरण सीमित हो, इसके लिए गांवों और कस्बों में कुटीर उद्योग संचालित होने चाहिएं। 
  • वाहनों की समय-समय पर प्रदूषण जांच करानी चाहिए। 
  • निर्धूम या सौर ऊर्जा से चलने वाले चूल्हे काम लेने चाहिएं, वहीं सौर ऊर्जा योजनाओं को सरकार प्रोत्साहित करे। 
  • अपशिष्ट पदार्थों के निष्कासन के लिए सीवरेज सिस्टम अनिवार्य रूप से लागू किया जाए।

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