जानें, फेम इंडिया योजना के दूसरे चरण में इलेक्ट्रिक वाहन सब्सिडी का लाभ
केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इंडिया योजना के अंतर्गत दूसरा चरण शुरू हो चुका है। इसमें 1.65 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों का समर्थन किया गया। वहीं देश के 9 एक्सप्रैस वे और 16 नेशनल हाइवे पर कुल 1576 चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। बता दें कि संसद में भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने यह जानकारी दी। आइए, जानते हैं फेम इंडिया योजना के तहत अब तक क्या उपलब्धियां रहीं वहीं चालू दूसरे चरण के क्या लक्ष्य हैं?
फेम इंडिया का 5 साल का बजट 10,000 करोड़
बता दें कि फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इंडिया के दूसरे चरण को 1 अप्रैल 2019 से 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया था। इसमें कुल बजट 10,000 करोड़ रुपये का रखा गया। फेम इंडिया योजना वर्ष 2015 में तैयार की गई थी जिसमें भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से देश में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देना सबसे बड़ा लक्ष्य था। यहां आपको दूसरे चरण के बारे में बता दें कि यह चरण सार्वजनिक और संयुक्त परिवहन के लिए विद्युतीकरण का समर्थन करने पर आधारित है। इसमें 5 साल के दौरान अनुदान के माध्यम से करीब 7,000 ई बसों, 5 लाख ई थ्री व्हीलर, 55,000 इलेक्ट्रिक चौपहिया वाहनों जैसे पैसेंजर कार और 10 लाख इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स को सब्सिडी देना है। वहीं दूसरे चरण में 25 नवंबर तक लगभग 1.65 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों को अनुमानित 564 करोड़ रुपये की मांग के साथ प्रोत्साहन राशि के रूप में समर्थन दिया गया है। संसद में भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में लिखित में यह जानकारी दी।
68 शहरों में ईवी इंफ्रास्टै्रक्चर पर 500 करोड़ रुपये होंगे खर्च
यहां बता दें कि फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इंडिया योजना के अंतर्गत भारी उद्योग मंत्रालय ने देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 68 शहरों में 500 करोड़ की राशि से नौ एक्सप्रैस वे पर कुल 2,877 इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों को मंजूरी दी है। इसके अलावा देश के 9 एक्सप्रैस वे और 16 राजमार्गों पर 108 करोड़ रुपये के 1,576 चार्जिंग स्टेशनों को भी मंजूरी दी है।
मंत्री ने कहा कि देश में कोविड-19 के प्रसार के कारण पिछले दो वर्षों में ऑटोमोबाइल की बिक्री प्रभावित हुई। कोविड-19 के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा लगाए गए लोकडउन के कारण ऑटोमोबाइल का उत्पादन और बिक्री दोनो प्रभावित हुईं। वहीं भारी उद्योग राज्य मंत्री गुर्जर ने कहा कि सरकारने घाटे में चल रहे 8 केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को बंद करने की पहचान की। अंतत: इन्हे बंद करने की मंजूरी दे दी गई।
फेम सेकंड में ईवी को बढ़ावे के लिए दिया ज्यादा बजट
यहां बता दें कि फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इंडिया योजना के दूसरे चरण में 9 अक्टूबर 2021 तक इलेक्ट्रिक टू और थ्री व्हीलर एवं चार पहिये वाले वाहनों के लिए 509 करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में दिए गए थे जबकि बसों के लिए 310 करोड़ की सब्सिडी दी गई थी। यह जानकारी सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त की गई। वहीं भारत सरकार की प्रमुख इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के प्रमोशन की स्कीम फेम द्वितीय ने अब तक खरीदे गए वाहनों की सब्सिडी के रूप में दिए जाने वाली कुल राशि 8,593 करोड़ रुपये में से
केवल 10 प्रतिशत के तहत ही वितरण किया है।
ईवी और हाईब्रिड वाहनों की वृद्धि के लिए 2 साल बढाई अवधि
यहां बता दें कि इलेक्ट्रिक एवं हाइब्रिड वाहनों के तेजी से इस्तेमाल करने और इन्हे अपनाने के लिए सरकार ने निर्माण का दूसरा चरण करीब 2 साल और बढ़ा दिया है। पहले इसकी अवधि 31 मार्च 2022 को समाप्त हो रही थी। अब इस 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया गया है। इस चालू वित्तीय वर्ष के दौरान जून 2021 से योजना के लक्ष्य अर्जित करने की गति में वृद्धि हुई है। इसका कारण दोपहिया वाहनों पर सब्सिडी को प्रभावी ढंग से दोगुना करना रहा है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग देरी से बढ़ी
इधर ईवी निर्माताओं की लॉबी सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के महानिदेशक सोहिंदर गिल ने कहा कि आज इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग को देखते हुए दो साल का विस्तार समाप्त होने से पहले सब्सिडी के पैसे की कमी हो सकती है। इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग भी तब बढ़ी जब पिछले दिनों ईंधन की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई थी।
2022 में तीन लाख इलेक्ट्रिक व्हीकल्स विक्रय का अनुमान
लॉबी सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के महानिदेशक सोहिंदर गिल का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021 में भारत में लगभग 3 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री हो सकती है। इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं ने कहा कि स्न्ररूश्व-ढ्ढढ्ढ के लिए सीमित वितरण होना भी इसके लक्ष्यों को अर्जित करने में एक बड़ा कारण है। हालांकि भारत में ईवी की कम मात्रा को देखते हुए आपूर्तिकर्ता अक्सर स्थानीय रूप से घटकों का निर्माण करने के इच्छुक नहीं थे।
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