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01 Oct 2021
Automobile

व्हीकल डॉक्यूमेंट : सरकार ने वाहन दस्तावेज की वैधता 31 अक्टूबर तक बढ़ाई 

By News Date 01 Oct 2021

व्हीकल डॉक्यूमेंट : सरकार ने वाहन दस्तावेज की वैधता 31 अक्टूबर तक बढ़ाई 

मोटर वाहन दस्तावेज : देश में लाखों वाहन मालिकों को मिलेगी राहत  

कोविड का खतरा अभी टला नहीं है हालांकि कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना कम है लेकिन इस जानलेवा महामारी के प्रति जितनी अधिक सावधानी बरती जाए उतना ही देश हित में होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है। 

मंत्रालय ने मोटर वाहन संबंधी सभी प्रकार के दस्तावेजों की वैधता अवधि 31 अक्टूबर 2021 तक बढ़ा दी है। इन दस्तावेजों में वाहन चालक लाइसेंस, पंजीकरण प्रमाण पत्र और परमिट जैसे मोटर वाहन दस्तावेज शामिल हैं। सरकार के इस फैसले से देश के लाखों नागरिकों को परिवहन संबंधी सेवाओं का लाभ उठाने में मदद मिलेगी। बता दें भारत के सभी केंद्र प्रशासित और अन्य राज्यों में केंद्र सरकार का यह परामर्श लागू करना अनिवार्य होगा। आइए, जानते हैं मोटर वाहन संबंधी दस्तावेजों की वैधता संबंधी नियमों और सरकारी आदेशों की पूरी जानकारी। 


वैध पंजीकरण के बिना बीमा क्लेम हो सकता निरस्त 

यदि आपने मोटर वाहन संबंधी दस्तावेज समय रहते वैध नहीं कराए तो आपको नुकसान हो सकता है। बिना वैधता के आप ट्रक, टिपर, पिकअप, कार या कोई भी वाहन चलाते पकड़े गए तो आपका बीमा क्लेम निरस्त हो सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक अन्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने अस्थायी पंजीकरण वाली कार की चोरी के दावे को खारिज करते हुए कहा कि अगर वाहन का वैध पंजीकरण नहीं है तो उसके बीमा दावे से इनकार किया जा सकता है। 

न्यायमूर्ति यू.यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर पॉलिसी के नियमों और शर्तों का मौखिक रूप से उल्लंघन होता है तो बीमा राशि का दावा खारिज करने योग्य है। इसके अलावा एस रविंद्र भट्ट और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने भी कहा कि कानून के बारे में इस अदालत का मानना है कि जब बीमा योग्य घटना जिसके परिणामस्वरूप  देयता हो सकती है उसमें बीमा अनुबंध में निहित शर्तों का कोई मौलिक उल्लंघन नहीं होना चाहिए। यही नहीं राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के एक आदेश को चुनौती देने वाली यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. द्वारा एक अपील पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की गईं। इसमें कंपनी की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया गया था। 


अस्थायी पंजीकरण का यह था मामला 

यहां बता दें कि अस्थायी पंजीकरण के एक मामले में राजस्थान निवासी सुशील गोदारा ने पंजाब में कहीं अपनी बोलेरो कार के लिए बीमाकर्ता से बीमा पॉलिसी प्राप्त की थी। इस वाहन की बीमा राशि 6.17 लाख रुपये थी। उसका अस्थायी पंजीकरण 19 जुलाई 2011 को समाप्त हो गया था। 28 जुलाई 2011 को शिकायतकर्ता अपने व्यवसाय के सिलसिले में जोधपुर गए हुए थे और रात्रि में एक गेस्ट हाउस में ठहरे हुए थे। वहां उसका वाहन गेस्ट हाउस परिसर में खड़ा हुआ था। सुबह देखा तो वाहन चोरी हो गया। 

इस घटना के बाद उन्होंने भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के तहत आरोप लगाते हुए जोधपुर एक रिपोर्ट दर्ज कराई। 30 नवंबर 2011 को पुलिस ने एक अंतिम रिपोर्ट दर्ज की थी जिसमें कहा गया था कि वाहन का पता नहीं चल पाया। इस प्रकरण में शीर्ष अदालत ने कहा कि चोरी के दिन वाहन को वैध पंजीकरण के बिना चलाया गया था जो मोटर वाहन अधिनियम की धारा 39 और 192 का सीधा उल्लंघन है।  इस टिप्पणी के बाद न्यायालय ने कहा कि इससे पॉलिसी के मौलिक नियमों और शर्तों का उल्लंघन होता है जिससे बीमाकर्ता पॉलिसी को अस्वीकार करने का अधिकार प्रदान करता है।

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