लंबी दूरी के भारी-भरकम वाहनों के बेड़े के एक तिहाई हिस्से को एलएनजी से चलाने की योजना
स्वच्छ ऊर्जा को उपयोग को बढ़ावा देने और परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए भारत सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। इसके तहत सरकार का लक्ष्य 2030 तक देश के लंबी दूरी के भारी-भरकम वाहनों (एच.डी.वी.) के बेड़े के 33 प्रतिशत हिस्से को एल.एन.जी (LNG) से चलाने का है। भारत सरकार को उम्मीद है यह लक्ष्य अगले 5-7 वर्षों में हासिल कर लिया जाएगा। इस बदलाव को संभव बनाने के लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा एक मसौदा प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें ट्रकों में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई व्यापक कदमों की रूपरेखा दी गई है।
एलएनजी वाहनों को बढ़ावा देने के लिए यह होंगे सरकारी प्रयास
मंत्रालय की योजना के अनुसार, ट्रकिंग बेडे़ के एक तिहाई हिस्से को एलएनजी से संचालित करने की सरकार की यह योजना सस्टेनेबल मोबिलिटी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्थिर और पूर्वानुमानित एलएनजी कीमतों को सुनिश्चित करने के लिए अगले तीन साल की अवधि के लिए 0.5 मिलियन मीट्रिक मानक क्यूबिक मीटर प्रतिदिन (एमएमएससीएमडी) घरेलू प्राकृतिक गैस आवंटित की जा सकती है। इस आवंटन से अगले 2-3 वर्षों में एलएनजी से चलने वाले 50,000 ट्रकों को पावर मिलने की उम्मीद है। मंत्रालय के विचाराधीन पायलट इनिशिएटिव में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को एलएनजी राजमार्ग के रूप में विकसित करना है। प्रस्ताव में इस मार्ग पर एलएनजी से चलने वाले ट्रकों को टोल टैक्स से छूट देने का सुझाव भी दिया गया है। इससे परिचालन लागत में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है और एलएनजी को तेजी से अपनाने को बढ़ावा मिल सकता है।
एलएनजी वितरण स्टेशन किए जाएंगे स्थापित
इस परिवर्तन को समर्थन देने के लिए, मंत्रालय ने बायोगैस को बायो-एलएनजी में बदलने के लिए ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में छोटे पैमाने के द्रवीकरण संयंत्रों की स्थापना का प्रस्ताव दिया है। इससे परिवहन के लिए बायो-एलएनजी की उपलब्धता बढ़ेगी। तेल मंत्रालय ने पहले ही तेल कंपनियों को देशभर में प्रमुख ट्रकिंग मार्गों पर 49 एलएनजी वितरण स्टेशन स्थापित करने का निर्देश दिया है। एल.एन.जी तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए यह बुनियादी ढांचा विकास महत्वपूर्ण है, जो इसके व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कारक है। इसके अतिरिक्त, तेल विपणन कंपनियां, बेड़े के मालिकों को डीजल ट्रकों को एलएनजी-संचालित ट्रकों में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं। इससे स्वच्छ ईंधन की ओर बदलाव करने में तेज़ी आएगी। यह कदम भारत के सतत ऊर्जा लक्ष्यों के साथ संरेखित करते हुए नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को भी बढ़ावा देगा।
एलएनजी में बदलाव से मिलेंगे कई लाभ
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस पहल के महत्व पर जोर देते हुए कहा, इस प्रयास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और सहायता प्रणालियों के निर्माण के लिए सरकारी निकायों, तेल कंपनियों और बेड़े संचालकों के बीच सहयोग की आवश्यकता है। भारी-भरकम वाहनों (HDV) के बेड़े में एलएनजी में बदलाव से कई लाभ होंगे। तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) ईंधन डीजल का एक स्वच्छ विकल्प है, जो डीजल की तुलना में 24 प्रतिशत कम उत्सर्जन कारक प्रदान करता है। यह बदलाव पर्यावरणीय स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा के प्रति भारत के लक्ष्यों के अनुरूप है। भारत का लक्ष्य ट्रकिंग क्षेत्र में एलएनजी अपनाने को बढ़ावा देकर, अपने कार्बन पदचिह्न को कम करना और अपने परिवहन क्षेत्र की दक्षता को बढ़ाना है। इसके अतिरिक्त, एलएनजी उत्पादन के लिए घरेलू गैस का उपयोग करने से आयात पर निर्भरता कम होती है, जिससे देश की ऊर्जा लचीलापन और मजबूत होता है।
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