सरकार ने रखा सडक़ों पर 30 प्रतिशत ईवी चलाने का लक्ष्य
डीजल-पेट्रोल की लगातार बढ़ती कीमतों एवं पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि भारत में बहुत तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन बढ रहा है। केंद्र और राज्य सरकारें अपनी ईवी नीति घोषित कर कई तरह की योजनाएं चला रही हैं ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल कर सकें।
यहां बता दें कि भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत देश में पहले से चल रहे करीब 60 लाख तिपहिया वाहनों के एक विशेष हिस्से को इलेक्ट्रिक वाहन के रूप में बदलने के काम को अंजाम दे दिया जाएगा। वहीं सभी पहियों के 30 प्रतिशत हिस्से को भी इलेक्ट्रिक में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखा गया है। आइए, जानते हैं इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन कैसे अन्य बड़े कमर्शियल वाहनों के मुकाबले ज्यादा उपयोगी साबित हो रहे हैं।
तिपहिया वाहनों की बैटरी कम समय में होती है चार्ज
यहां बता दें कि थ्री व्हीलर की डिस्चार्ज हुई बैटरी को चार्ज करने के लिए कई आसान विकल्प दिए गए हैं। इससे चार्ज करने के समय में भी बचत होती है। वहीं बिजली जाने से तिपहिया वाहनों को को चलने की लागत से बचत करने में मदद मिलती है। इसके अलावा माल की ढुलाई से लेकर कचरा निस्तारण इत्यादि कई प्रकार के इस्तेमाल के लिए थ्री व्हीलर बेहद उपयुक्त वाहन साबित हो रहे हैं। कोविड काल में यह वाहन टीकों की सप्लाई के लिए बहुत उपयोगी रहा। हर प्रकार की डिलीवरी के लिए ई ऑटो रिक्शा यानि तिपहिया वाहन सबसे सस्ती लागत वाला होता है। देश की ज्यादातर नगरपालिकाओं में कचरा निस्तारण में भी अब इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर ही काम लिए जा रहे हैं। ये छोटी गलियों में भी आसानी से जा सकते हैं।
सरकारी कंपनी सीईएसएल खरीदेगी 1 लाख ई थ्री व्हीलर
यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें कि तिपहिया वाहनों की बढ़ती उपयोगिता के कारण सरकार अब इन वाहनों का एक नया बेड़ा तैयार करने जा रही है। इसके लिए सरकारी कंपनी सीईएसएल ने अलग-अलग इस्तेमाल के लिए एक लाख इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर्स खरीदने का टेंडर निकाला है।
कंपनी के सीईओ महुआ आचार्य का कहना है कि इतनी बड़े पैमाने पर खरीदारी करने से बेहतर कीमत प्राप्त करने में मदद मिलती है। वहीं प्रतिबद्धताओं को अब फर्म खरीद ऑर्डर में परिवर्तित किया जा रहा है। केरल में सरकारी कर्मचारियों को ई-2 डब्ल्यू की बिक्री के लिए एक योजना शुरू की गई है। यहां राज्य सरकार ने सभी विभागों को नए ईंधन आधारित वाहनों को खरीदने के बजाया इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करने का निर्देश दिया है।
अभी चार्जिंग इंफ्रास्टैक्चर एक समस्या
यह सच है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अभी देश में क्षमतावान ट्रांसफार्मर विकसित नहीं हो पाए हैं। इसकी कमी के कारण मौजूदा चार्जिंग स्टेशनों की क्षमता का उपयोग केवल 15 प्रतिशत तक ही हो पा रहा है। इसके अलावा चार्जिंग स्टेशन ईवी वाहन संचालकों की आसान पहुंंच में नहीं होते हैं। इस पर भी सीईएसएल कंपनी ध्यान दे रही है।
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