ACMA के कार्यक्रम में उत्पादन बढ़ाने की क्षमता विकसित करने पर जोर
भारत के ऑटोमोटिव उद्योग ने वित्त वर्ष 2024 में 20 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है। उद्योग जगत के दिग्गजों के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बदौलत 2047 तक देश के ऑटो उद्योग के 1.6 ट्रिलियन डॉलर (करीब 134 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंचने की संभावना है। फेम II योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की खरीद के लिए अग्रिम प्रोत्साहन, ईवी के लिए आवश्यक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना की सुविधा, घरेलू विनिर्माण और ईवी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के सरकार के प्रयासों के चलते वर्तमान में ऑटोमोटिव उद्योग तेजी से विस्तृत हो रहा है। जैसे-जैसे उद्योग विस्तृत हो रहा है, वैसे-वैसे यह मूल्य श्रृंखला के साथ-साथ महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है और विनिर्माण और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना के माध्यम से भी भारत की आयात निर्भरता को कम कर रहा है।
उद्योग CAGR की दर से कर रहा है वृद्धि
राजधानी नई दिल्ली में ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ACMA) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अंतरिक्ष विभाग में IN-SPACe के अध्यक्ष पवन गोयनका इस संभावित वृद्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने उद्योग की वित्तीय वृद्धि जोर दिया और कहा, देश में इलेक्ट्रिक वाहन की बढ़ती लोकप्रियता के कारण वित्त वर्ष 2024 तक, घरेलू ऑटो उद्योग का मूल्य पहले ही 20 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच चुका है। अनुमान है कि 2047 तक यह आंकड़ा 1.6 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 134 लाख करोड़ रुपये) तक बढ़ सकता है। गोयनका ने आगे कहा कि ऑटो सेक्टर वित्तीय प्रभाव के अलावा, देश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। वर्तमान में ऑटोमोटिव उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 6.8 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से अधिक का योगदान देता है। पिछले दो दशकों में, उद्योग ने 17 प्रतिशत CAGR की दर से वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि ऑटोमोटिव उद्योग 2047 तक 32 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी हासिल करने की क्षमता रखता है।
उत्पादन बढ़ाने की क्षमता विकसित करने पर दिया जोर
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने सभा को बताया कि भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग ने वित्त वर्ष 24 में 20 लाख करोड़ रुपये का ऐतिहासिक आंकड़ा पार कर लिया है और देश में एकत्र कुल जीएसटी (माल और सेवा कर) में करीब 14 से 15 फीसदी का योगदान दे रहा है। अग्रवाल ने कहा कि घरेलू ऑटो उद्योग ने आयात निर्भरता को कम करने के लिए स्थानीय उत्पादन के लिए 50 महत्वपूर्ण घटकों की पहचान की है। उन्होंने कहा इनमें से अधिकांश आइटम इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स हैं, भारत में ऐसी उच्च तकनीक वाली वस्तुओं के लिए उत्पादन बढ़ाने की क्षमता विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।
आत्मनिर्भर ऑटोमोटिव इकोसिस्टम
ACMA के साथ SIAM ने देश में ऑटो पोर्ट्स विनिर्माण के स्थानीयकरण बढ़ाने के लिए स्वैच्छिक रूप से लक्ष्य निर्धारित किए हैं। उद्योग निकाय 2019-20 के आधार स्तर से 2025 तक आयात घटकों को 60 फीसदी से कमकर 20 प्रतिशत तक लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जिससे अगले पांच वर्षों में 20,000 से 25,000 करोड़ रुपए तक की कमी करने का लक्ष्य रखा गया है। ये प्रयास आयात पर भारत की निर्भरता कम कर एक आत्मनिर्भर ऑटोमोटिव इकोसिस्टम बनाने में सहायक होगा।
इलेक्ट्रिक वाहन की लागत में कमी
भारत तीसरा सबसे बड़ा पेसेंजर व्हीकल मार्केट, सबसे बड़ा 2डब्ल्यूडी और 3डब्ल्यूडी मार्केट व तीसरा सबसे बड़ा कमर्शिल व्हीकल्स बाजार बन गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इससे पहले कार्यक्रम में कहा कि जैसे-जैसे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का उपयोग बढ़ रहा है, अगले 2 वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत लगभग पेट्रोल और डीजल वाहनों के बराबर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि लिथियम-आयन बैटरी की कीमतों में आई कमी से इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) की लागत में कमी हुई, जिससे उपभोक्ता अब इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) या सीएनजी वाहन चुन रहे हैं। उत्पादन की संख्या भी बढ़ रही है और भारत के आटोमोटिव मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि को मजबूती मिल रही है। देश का ऑटोमोटिव क्षेत्र भविष्य के लिए अच्छी स्थिति में है। उद्योग के विकास से देश की अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी, साथ ही वैश्विक स्तर पर ऑटोमोटिव बाजार की स्थिति मजबूत होगी।
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