इलेक्ट्रिक व्हीकल : झारखंड का पूर्वी भारत के सबसे बड़े इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण केंद्र बनने का है लक्ष्य
झारखंड एक खनिज संपदा और उद्योगों से भरपूर राज्य है, लेकिन झारखंड अभी भी एक विकासशील राज्य है। लेकिन प्रदेश में उद्योग को बढ़ावा एवं रोजगार पैदा करने हेतु झारखंड सरकार का इलेक्ट्रिक व्हीकल ( Electric vehicle ) के क्षेत्र में बहुआयामी लक्ष्य है। सरकार ने झारखंड को पूर्वी भारत का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माण केंद्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। राज्य सरकार टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी सहित कई अन्य कार निर्माता एवं ट्रक निर्माता कंपनियों से बात चीत कर रही है। ताकि प्रदेश में बड़े स्तर पर इवी का निर्माण हो सके, जिससे झारखंड के लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित किया जा सके और उनके लिए रोजगार के अवसर खुल सकें।
इलेक्ट्रिक वाहन नीति को झारखंड सरकार जल्द देने वाली है मंजूरी
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को टाटा मोटर्स जैसे कार और इलेक्ट्रिक ट्रक निर्माता कंपनियों से बातचीत की है। ताकि प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहन के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बड़े स्तर पर लगाए जाएं। वाहन निर्माता कंपनियों को सरकार ने कई प्रकार के छूट व सुविधाओं की भी पेशकश की है। निर्माता कंपनियों को कई प्रकार के छूट दिए जायेंगे। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार अपनी पहली इलेक्ट्रिक वाहन नीति/इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को अंतिम रूप देने की ओर अग्रसर हो चुकी है। राज्य के प्रतिनिधि मंडल ने ना सिर्फ टाटा मोटर्स और मारुति बल्कि अन्य वाहन निर्माता कंपनियां टोयोटा ( Toyota) , ह्युंडई मोटर्स ( Hyundai Motors) और होंडा एवं हीरो जैसी कंपनियों से भी बात की है।
झारखंड में 5 लाख नौकरियां पैदा करना है, सरकार का लक्ष्य
दो दिवसीय बैठक में इन्वेस्टरों से बातचीत में सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपए के फंड जुटाने की बात कही है। इसके अतिरिक्त राज्य में 5 लाख नौकरियां पैदा करने के लक्ष्य के बारे में भी बताया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक झारखंड के मुख्यमंत्री ने टाटा मोटर्स के अधिकारियों से काफी बात चीत की। लेकिन उनका पहला प्रश्न यही था कि टाटा मोटर्स झारखंड में अपना इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट क्यों नहीं खोल सकती? जिसके जवाब में अधिकारियों ने अपना पक्ष रखा था।
सरकार का ये है ऑफर
इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता कंपनियों को सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी के तहत कई तरह के छूट का प्रावधान किया है। इवी नीति के तहत सरकार कंपनियों को स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क में पूरी तरह छूट प्रदान करने के अतिरिक्त और भी कई तरह की सुविधाएं देने का वादा किया है। झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण के तहत सरकार ने 50 फीसदी पर जमीन उपलब्ध करवाने का वादा किया है। यदि कंपनियां इवी नीति के तहत 2 वर्ष के भीतर निवेश का वादा करे तो उन्हें उपरोक्त सभी लाभ झारखंड सरकार द्वारा दिए जायेंगे। इसके साथ साथ वाहन पंजीकरण शुल्क और रोड टैक्स से पूर्ण छूट का प्रस्ताव भी सरकार ने कंपनियों को दिया है।
इलेक्ट्रिक वाहन है भविष्य का वाहन : सीएम
कंपनियों के साथ बात चीत करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, इलेक्ट्रिक व्हीकल ही हमारा भविष्य है। आज के प्रदूषण के इस दौर में इलेक्ट्रिक व्हीकल की आवश्यकता काफी है। और इवी ही भविष्य का वाहन है। सरकार द्वारा प्रस्तावित इलेक्ट्रिक वाहन नीति को कंपनियों के अधिकारियों को दिखाया गया और नीति के तहत दिए जाने वाले सभी लाभों की चर्चा भी की गई।
इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के साथ साथ वाहन निर्माण भी झारखंड में लगे
हेमंत सोरेन ने कंपनियों के सामने अपनी इच्छा प्रकट की, वे झारखंड में बैटरी निर्माण के अतिरिक्त वाहन का निर्माण भी व्यापक पैमाने पर करें। कुछ दिन पहले ही ओडिशा ने इलेक्ट्रिक वाहन नीति पेश कर देश का दसवां राज्य बन चुका है। कई राज्य सरकारें कंपनियों को अपनी ओर खींचने हेतु व्यापक प्रयास कर रही है। ताकि उनके प्रदेश के लोगों को व्यापक पैमाने पर रोजगार उपलब्ध हों।
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