हाईवे पर स्पीड : केंद्र के नोटिफिकेशन को रद्द कर पूछे 12 सवाल
केंद्र सरकार की ओर से अप्रैल 2018 में जारी की गई उस अधिसूचना को मद्रास हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है जिसमें केंद्र ने राजमार्गों पर वाहनों की अधिकतम गति सीमा 120 किमी प्रति घंटा करने की अनुमति प्रदान की थी। मद्रास हाईकोर्ट ने इस नोटिफिकेशन को निरस्त कर दिया है। वहीं मद्रास हाईकोर्ट के जजों की एक बेंच ने 6 अप्रैल 2018 को जारी की गई इस अधिसूचना को खारिज करते हुए केंद्र सरकार से 12 सवाल पूछे हैं। यहीं नहीं मद्रास हाईकोर्ट ने हाइवे पर 120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार को अनुमति प्रदान करने संबंधी अधिसूचना पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए हैं। मद्रास हाईकोर्ट ने सबसे बड़ा सवाल किया है कि हाइवे पर बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए रफ्तार को बढ़ाने की अनुमति देना कितना सही है। आइए, जानतें हैं केंद्र के इस नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए मद्रास हाईकोर्ट की बेंच ने और क्या-क्या कहा।
सड़क दुर्घटनाओं में ओवरस्पीडिंग प्रमुख कारण
मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र की हाइवे पर 120 किमी प्रति घंटा की स्पीड बढ़ाने की अनुमति प्रदान करने संबंधी नोटिफिकेशन को लेकर कहा कि भले ही पिछले कुछ वर्षों में वाहन इंजन तकनीक और सड़क के बुनियादी ढांचे में हुए काफी सुधार हुआ है लेकिन इसके बावजूद सड़क सुरक्षा नियमों की ठीक तरह से पालना नहीं हो पा रही है। इसके चलते दुर्घटनाएं होती रहती हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में ओवरस्पीड एक प्रमुख कारण बताया गया है। बैंच ने यह भी कहा है कि यह जानते हुए कि सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण अधिक गति है ऐसे में हमें ऐसा कोई फैसला नहीं लेना चाहिए जिससे सड़कों पर लोगों की सुरक्षा पर सवाल उठें। यह कहते हुए बेंच ने केंद्र सरकार द्वारा 2018 को जारी की गई अधिसूचना को निरस्त कर दिया।
दुर्घटना मामले का दिया हवाला
यहां बता दें कि कोर्ट ने एक मामले की व्याख्या करते हुए कहा कि एक दंत चिकित्सक ओवरस्पीड के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में उसकी रीढ की हड्डी में गंभीर चोट लगी। अब वह महिला अपने दम पर कोई काम करने में असमर्थ है। वही जीवन भर दूसरों पर निर्भर रहेगी। मद्रास हाईकोर्ट ने जनहित में स्वत: संज्ञान लेते हुए अनुच्छेद 226 के तहत यह फैसला सुनाया।
तेज गति से होती है 71 प्रतिशत दुर्घटनाएं
आपको बता दें कि सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो देश में वर्ष 2019 में कुल 4 लाख 49 हजार 2 सड़क दुर्घटनाओं के मामले सामने आए। इनमें 3 लाख 19 हजार 28 सड़क दुर्घटनाएं तेज स्पीड के कारण वाहन चलाने से हुईं। भारत में हर साल करीब 1.5 लाख लोगों की मौत सड़क हादसों से होती है जो विश्व में सबसे अधिक है। अधिकांश दुर्घटनाएं नेशनल हाइवे और एक्सप्रेस वे पर ही होती हैं।
तमिलनाडु में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं
सड़क दुर्घटनाओं में यदि राज्यों के अनुसार बात की जाए तो तमिलनाडु में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं सामने आई हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेस वे पर अधिकांश सड़क दुर्घटना संभावित स्थान या ब्लैक स्पॉट पर होती हैं। उधर पश्चिमी बंगाल और कर्नाटक क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर हैं जहां अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। संशोधित मोटर वाहन अधिनियम में यातायात नियमों की अवहेलना के लिए कई दंडात्मक प्रावधान किए गए हैं। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय का दावा है कि इससे सड़क दुर्घटनाओं में हुई वृद्धि को कम किया जा सकता है।
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