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महिंद्रा एंड महिंद्रा जल्द ही बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन पोर्टफोलियो पेश करेगी

Posted On : 20 May, 2024

कंपनी अगले तीन सालों में ऑटोमोटिव व्यवसाय के लिए खर्च करेगी 27,000 करोड़ रुपए

देश और दुनिया की प्रसिद्ध कंपनियों में शुमार महिंद्रा एंड महिंद्रा जल्द ही बैटरी इलेक्टिक वाहन पेश करने जा रही है। इसके लिए कंपनी द्वारा अगले तीन सालों में ओटोमोटिव व्यवसाय हेतु 27,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। कंपनी चालू वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में अपने बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) पोर्टफोलियो (Battery Electric Vehicle (BEV) Portfolio) को पेश करने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में महिंद्रा एंड महिंद्रा के प्रबंध निदेशक व सीईओ अनीश शाह ने कहा कि वह आंतरिक दहन इंजन को नजरअंदाज नहीं करेगी। इसी के साथ ही कंपनी ने हाइब्रिड तकनीक को अपनाने की अपनी योजना को भी साझा किया। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि आईसीई पोर्टफोलियो का एक महत्वपूर्ण भाग बना हुआ है और अगले 5 से 7 सालों में उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण बना रहेगा।

ऑटोमोटिव व्यवसाय पर खर्च किए जाएंगे 27,000 करोड़ रुपए

उन्होंने बताया कि कंपनी अगले तीन सालों के दौरान ऑटोमोटिव व्यवसाय पर 27,000 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसमें आईसीई के लिए 14,000 करोड़ रुपए और ईवी के लिए 12,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा सब सेगमेंट पर करीब 1,000 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। वहीं आईसीई के लिए 14,000 करोड़ रुपए में से करीब 8,500 करोड़ रुपए एसयूवी के लिए निवेश किया गया है। वहीं वाणिज्यिक वाहनों (सीवी) के लिए 4,000 करोड़ रुपए और जीविका के लिए 1,500 करोड़ रुपए निवेश किए गए हैं।

हालांकि FY27 से आईसीई पर इसका खर्च इस बात पर निर्भर करेगा कि EVs कितनी तेजी से बढ़ते हैं। उस बिंदु पर हम यह आकलन करेंगे कि अगले तीन सालों में क्या होगा उसके आधार पर आईसीई (ICE) समझ में आता है या नहीं। वर्तमान में महिंद्रा ईवी पोर्टफोलियो में केवल एक्सयूवी 400 (xuv 400) नामक एक उत्पाद का विक्रय करता है।

ईवी की तुलना में आईसीई के लिए अधिक राशि आवंटित

ईवी की तुलना में आईसीई के लिए अधिक राशि आवंटित करने के संबंध में महिंद्रा एंड महिंद्रा के कार्यकारी निदेशक और सीईओ (ऑटो और फार्म सेक्टर) राजेश जेजुरिकर ने कहा कि आईसीई सेगमेंट स्वस्थ दर से बढ़ रहा है और हम वर्तमान में बहुत अच्छा वित्तीय रिटर्न कमा रहे हैं। पोर्टफोलियो जो हम बेचते हैं। इसलिए ऐसे व्यवसाय में निवेशित रहना समझदारी है जहां हमारे ब्रांड मजबूत हो।

वैश्विक स्तर पर ईवी की मांग धीमी

वैश्विक स्तर पर ईवी की मांग धीमी हो रही है, लेकिन महिंद्रा को अपने दीर्घकालिक अनुमानों में कोई बदलाव नहीं दिखाई दे रहा है और उसे यहां तक विश्वास है कि कंपनी इलेक्ट्रिक पावरट्रेन के लिए देश में एसयूवी वॉल्यूम में प्रीमियम स्थान ले सकती है। महिंद्रा ने इससे पहले कहा था कि उसका लक्ष्य 2027 तक अपने एसयूवी पोर्टफोलियो में इलेक्ट्रिक व्हीकल को 20 से 30 प्रतिशत शामिल करना है। हमने वास्तव में भारत में अभी तक इलेक्ट्रिक गति नहीं देखी है। एक बार यह आ जाएगा तो आप देखेंगे कि यह पूरे ईवी खेल को कैसे परिभाषित करता है।

जनवरी-मार्च 2025 की अवधि के दौरान बीईवी पोर्टफोलियो लॉन्च का लक्ष्य

शाह ने कहा कि कंपनी अपने बोर्न-इलेक्ट्रिक इंग्लो प्लेटफॉर्म पर काम कर रही है और वर्तमान में सत्यापन और उत्पादन शुरू करने के उन्नत चरण में है। यह जनवरी-मार्च 2025 की अवधि के दौरान अपने बीईवी पोर्टफोलियो के लिए बाजार में लांन्च करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि 2 प्रतिशत से करीब 20 प्रतिशत ईवी  प्रवेश तक जाना कोई बड़ी समस्या नहीं है। जैसे ही हम 15 से 20 प्रतिशत के आंकड़े तक पहुंचे ईवी पारिस्थितिकी तंत्र का विकास इसे वहां से आगे ले जाने में सहायता करेगा।

हाइब्रिड तकनीक रहेगी नजर

उन्होंने कहा कि हम हाइब्रिड तकनीक पर भी नजर रखे हुए हैं और जैसे-जैसे यह आगे बढ़ेगी, हम इसे अपनाना जारी रखेंगे। हम हाइब्रिड को आईसीई के विस्तार के रूप में देखते हैं। इस समय हम ईवी पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। लेकिन उपभोक्ता की मांग के कारण यदि हाइब्रिड एक बड़ा कारक बन जाता है तो हम हाइब्रिड के लिए भी तैयार होंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि हाइब्रिड वाहनों को ईंधन दक्षता के दृष्टिकोण से कुछ लाभ हो सकता है लेकिन यह अभी भी बहुत मामूली है।

हाइब्रिड वाहन बनाना अधिक महंगा

हाइब्रिड वाहन बनाना अधिक महंगा है क्योंकि एक वाहन में दो पावर ट्रेन होते हैं। पिछले महीने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री से हाइब्रिड वाहनों पर वस्तु एवं सेवा कर को घटाकर 12 प्रतिशत करने का आग्रह किया था। भारत में वर्तमान में हाइब्रिड सहित आईसीई की ओर से संचालित वाहनों पर 28 प्रतिशत और ईवीएस पर 5 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर लगाता है। हालांकि उपकर शामिल करने के साथ ही मॉडल के आधार पर हाइब्रिड वाहनों पर कर 43 प्रतिशत अधिक है।

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