केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने दी बडी राहत, पीयूसी सर्टिफिकेट को डेटाबेस से जोडऩे की तैयारी
केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पीयूसी नियमों में शिथिलता प्रदान करते हुए नया फेरबदल किया है। अब एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर ट्रक चालकों सहित सभी प्रकार के वाहन चालकों को नया पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने वन नेशन वन लाइसेंस की नीति को लागू करते हुए देश भर में चलने वाले सभी प्रकार के वाहनों के लिए एक ही पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट के उपयोग को मंजूरी दे दी है। इससे वाहन चालकों को बडी राहत मिलेगी। अभी तक एक राज्य से दूसरे राज्यों में जाने पर वाहन चालकों को अलग-अलग सर्टिफिकेट बनवाने की जरूरत होती थी लेकिन अब पीयूसी के नए नियमों के लागू होने से इस झंझट से मुक्ति मिलेगी।
पीयूसी फार्म पर होगा क्यूआर कोड
केंद्रीय सडक़ एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से अब पीयूसी सर्टिफिकेट को नेशनल रजिस्टर के साथ पीयूसी डेटाबेस से भी जोडऩे की तैयारी की जा रही है। सरकार केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 में संशोधन के बाद अब पीयूसी फार्म पर एक क्यूआर कोड भी देगी। इसके जरिए संबंधित वाहन, उसके मालिक और गाडी के उत्सर्जन की सही स्थिति के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इसके अलावा नए पीयूसी में वाहन के मालिक का नाम, उसका पता, फोन नंबर, गाडी का इंजन और चेचिस नंबर भी दिया गया होगा। इसके जरिए कोई भी किसी भी वाहन के बारे में पूरी डिटेल हासिल कर सकेगा।
वाहन मालिकों के फोन नंबर पर आएगा एसएमएस
केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के तहत देश भर में जारी किए जाने वाले पीयूसी सर्टिफिकेट के एक सामान्य फोर्मेट के लिए 14 जून 2021 को नोटिफिकेशन जारी किया गया है। इसमें गाडी मालिक का मोबाइल नंबर मेंडेटरी कर दिया गया है। इस पर वेरिफिकेशन और फीस के लिए एसएमएस अलर्ट सेंड कर दिया जाएगा।
क्या है पीयूसी, कैसे मिलता है सर्टिफिकेट
आपको यहां बता दें कि वाहन प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने पीयूसी लागू किया हुआ है। प्रदूषण की जांच के बाद ही किसी वाहन मालिक को पीयूसी सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। अब तक यह सर्टिफिकेट एक निश्चित अवधि के लिए ही मान्य होता रहा है। बीएस-4 गाडियों के लिए यह समय सीमा एक साल की होती है जबकि अन्य वाहनों के लिए एक बार की गई प्रदूषण जांच तीन महीनों तक मान्य रहती है। अब केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से पीयूसी नियमों में परिवर्तन के कारण एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर अलग से सर्टिफिकेट बनवाने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन अब तक पीयूसी सर्टिफिकेट की समय सीमा खत्म होने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भरना पड़ता था। आपको बता दें कि वाहन की प्रदूषण जांच कराने के लिए जांच केंद्र पर सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए 60 से 100 रुपये देने होते हैं। भारत में वाहनों के प्रदषण जांच की प्रक्रिया सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स द्वारा विकसित की गई है।
वाहन प्रदूषण जांच की प्रक्रिया
अपने वाहन की प्रदूषण जांच कराने के लिए आपको किसी पेट्रोल पंप पर स्थित प्रदूषण जांच केंद्र पर जाना होगा। प्रदूषण जांच कैसे की जाती है इसकी प्रक्रिया के बारे में आपको यहां जानकारी दी जा रही है। दरअसल प्रदूषण के लिए एक गैस एनालाइजर को एक कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है। इसमें कैमरा और प्रिंटर जुड़े होते हैं। यह गैस एनालाइजर वाहन से निकलने वाले वाले आंकड़ों की जांच करता है और इसे कम्प्यूटर पर भेजता है। परिवहन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो दिल्ली में प्रतिदिन 217. 7 टन कार्बन मोनोऑक्साइड 84.1 टन नाइट्रोजन ऑक्साइड और 66.7 टन हाइड्रोकार्बन्स का उत्सर्जन सिर्फ वाहनों से होता है।
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