जानें पॉल्यूशन कंट्रोल ( Pollution Control ) एयर क्वालिटी गाइड लाइन का करना होगा पालन
पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण की समस्या बढती जा रही है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो विश्व में हर साल 70 लाख लोगों की मौत हवा में फैले प्रदूषण के कारण समय से पहले ही हो जाती है। यहां आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रदूषण को रोकने के लिए 2005 के बाद पहली बार अपनी वायुगुणवत्ता दिशा-निर्देशों में सुधार किया है।
डब्ल्यूएचओ ( WHO ) का कहना है कि नए दिशा-निर्देशों को अपना कर हम स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढऩे के साथ वायु प्रदूषण ( air pollution ) से होने वाली मौतों और बीमारियों की रोकथाम कर सकते हैं। यदि वायु प्रदूषण के प्रभाव की बात करें तो प्रतिदिन सडक़ों पर चलने वाले ट्रक, पिकअप, थ्री व्हीलर, कार, बस अथवा दोपहिया वाहन आदि के ड्राइवरों पर वायु प्रदूषण का अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अनेक देश पहले से तय किए गए पर्यावरण के कड़े मानकों की पालना करने में विफल रहे हैं। जानते हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई एयर क्वालिटी गाइड लाइन में क्या-क्या निर्देश दिए गए हैं।
ऐसे बचाई जा सकेगी लाखों लोगों की जान
यह एक ऐसा कड़वा सच है जिसे विश्व के अनेक देशों को स्वीकार करना ही होगा। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अदनोम के अनुसार हर साल हवा में घुले भयंकर प्रदूषण के कारण 70 लाख से भी अधिक लोगों की जान चली जाती है। अनेक लोग बीमारी का दंश झेलते जिंदगी में कष्ट भोगते रहते हैं। इससे मुक्ति दिलाने के लिए डब्ल्यूएचओ ने एक बार फिर से सभी देशों से अपील की है कि वे एयर क्वालिटी गाइड लाइन का पालन करें। यहां बता दें कि डब्ल्यूएचओ की नई सिफारिशों के अनुसार जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन में पाए जाने वाले खास तत्व और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड सहित प्रदूषकों को कम करने का लक्ष्य रखा गया है। इस टारगेट पर यदि सही तरीके से काम किया जाए तो लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।
संयुक्त राष्ट्र का जलवायु सम्मेलन नवंबर 2021 में होगा
संयुक्त राष्ट्र की ओर से आगामी नवंबर 2021 में जलवायु सम्मलेन आयोजित किया जाएगा। बता दें कि यह सम्मेलन स्कॉटलैंड के ग्लासगो में होने वाला है जिसके पहले उत्सर्जन -कटौती योजनाओं की प्रतिज्ञा करने के लिए देशों पर दबाव है। वैज्ञानिकों ने नए दिशा-निर्देशों की सराहना की, लेकिन चिंता है कि कुछ देशों की को उन्हे लागू करने में दिक्कत आएगी।
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महामारी के बाद भी वायु प्रदूषण में सुधार नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में वैश्विक आबादी का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा 2005 के दिशा-निर्देशों के अनुसार अस्वस्थ मानी जाने वाली हवा में सांस ले रहा था। भारत पर भी यही लागू होता है। यहां भी डब्ल्यूएचओ के 2005 के प्रदूषण मानक सिफारिशों के अनुसार कम रहे। वहीं डब्ल्यूएचओ का मानना है कि यूरोपीय देशों ने प्रदूषण कम करने में कई कदम उठाए हैं। यहां बता दें कि कई देश कोरोना महामारी के कारण उद्योग और परिवहन बंद होने के बाद भी खास सुधार नहीं कर सके। विशेषज्ञों की मानें तो जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करके प्रदूषण को रोकने के प्रयासों से सार्वजनिक स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के साथ दोहरा लाभ मिलेगा।
वायु प्रदूषण कण सूक्ष्म होने से नुकसानदायक
डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों के अनुसार अब समय आ गया है जबकि पार्टिकुलेट मैटर के 2.5 के उत्सर्जन को कम करने पर ध्यान देना होगा। ये सूक्ष्म कण मानव बाल की चौड़ाई के तीसवें हिस्से से कम होते हैं। ये इतने सूक्ष्म होते हैं कि मानव फेफड़ों में गहराई तक जा सकते हैं और रक्त प्रवाह में भी प्रवेश कर घुल सकते हैं। इससे कई तरह की संक्रामक बीमारियां हो जाती हैं।
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