वॉलेंटरी व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी : जानिएं कमर्शियल व्हीकल्स मालिकों को फायदे और नुकसान का गणित
देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी 2021 को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट 2021-21 पेश कर ऑटो सेक्टर को गति देने के लिए स्क्रैप पॉलिसी लागू करने की घोषणा कर चुकी है। इसके तहत अब 20 साल पुराने निजी वाहनों और 15 साल पुराने व्यावसायिक वाहनों का उपयोग बंद किया जाएगा। स्क्रैप पॉलिसी के क्या नियम होंगे और वाहन मालिकों को क्या फायदा और नुकसान होगा, इसको लेकर संशय बना हुआ है। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार इसी वित्तीय वर्ष के भीतर स्क्रैप पॉलिसी की गाइडलाइन आने की संभावना है। उसके बाद नियम तय होंगे और पुराने वाहनों के भविष्य में संचालन को लेकर रूपरेखा बनेगी।
जानिएं क्या है स्क्रैप पॉलिसी का उद्देश्य
देश में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सडक़ों पर पुराने वाहन चलने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है और पेट्रोल और डीजल की भी ज्यादा खपत होती है। गाडिय़ों के प्रदूषण को कम करने और पुराने वाहनों को नष्ट करने के लिए स्क्रैप पॉलिसी की लंबे समय से मांग बनी हुई थी। इस पॉलिसी का मकसद 20 साल पुराने निजी वाहनों और 15 साल पुराने व्यावसायिक वाहनों को उपयोग से बाहर करना है। इस पॉलिसी के दयरे में सबसे पहले सरकारी विभागों में खड़ी 15 साल पुरानी गाडिय़ां आएंगी। इसका मतलब है कि इतने पुराने वाहनों का उपयोग नहीं हो सकेगा। सडक़ परिवहन मंत्रालय भी पुराने वाहनों को नष्ट करने की नीति को मंजूरी दे चुका है। वित्त मंत्री का कहना है कि इससे न सिर्फ प्रदूषण कम करने बल्कि भारत के ईंधन आयात के खर्च को भी कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने ये भी कहा कि इस पॉलिसी के लिए जल्द ही केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय विवरण जारी करेगा।
जानें, स्क्रैप पालिसी के फायदे
- स्क्रैप पॉलिसी आने के बाद 5 से 10 साल पुराने वाहनों की एक अच्छी कीमत मिल सकेगी। क्योंकि इनकी री-सेल वैल्यू बढ़ जाएगी। जिनके पास 10 साल से ज्यादा पुराने वाहन हैं वे 5 से 10 पुरानी गाडिय़ां खरीदना पसंद करेंगे।
- पुराने वाहन स्क्रैप में जाने के बाद वाहन मालिक नए वाहन खरीदेंगे, इससे केंद्र और राज्यों को जीएसटी से लाभ होगा।
- नई स्क्रैप पॉलिसी से प्रदूषण घटाने और सडक़ सुरक्षा बेहतर करने में मदद मिलेगी। सरकार सीएनजी, इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देना चाहती है।
- नई गाडिय़ों की मांग बढऩे से देश के ऑटो इंडस्ट्री की सेहत सुधरेगी। ईंधन की कम खपत से ऑयल इंपोर्ट बिल घटाने में भी मदद मिलेगी।
- स्क्रैप पॉलिसी के तहत पुरानी कार स्क्रैप सेंटर को बेचनी होगी। इसके बाद एक प्रणाम पत्र मिलेगा। इससे दिखाकर नई कार खरीदने वालों का रजिस्ट्रेशन मुफ्त में किया जाएगा। अनुमान है कि नई स्क्रैपेज पॉलिसी पॉलिसी से करीब 2.80 करोड़ वाहन सडक़ों से हटेंगे।
- इस बहुप्रतिक्षित वाहन कबाड़ नीति के लागू हो जाने के बाद से देश की अर्थव्यवस्था को एक नई ताकत मिलेगी और साथ ही सुस्ती से देश की अर्थव्यवस्था निजात मिलेगी। नई गाडिय़ों की मांग बढऩे से ऑटोमोबाइल सेक्टर रफ्तार पकड़ेगा।
- पुराने वाहनों के सडक़ से हटने पर वायु प्रदूषण में 25 फीसदी तक की कमी आएगी।
- स्क्रैप सेंटरों पर बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होंगे।
- यह नई पॉलिसी लागू होने से नष्ट किए जाने वाले वाहनों का मैटेरियल ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए उपयोगी होगी क्योंकि यह कारों, बसों और ट्रकों की लागत को कम करेगी। इससे देश को भी फायदा होगा।
स्क्रैप पॉलिसी की खामियां
हालांकि नई स्क्रैप पॉलिसी की गाइडलाइन आने के बाद ही सभी नियम स्पष्ट रूप से पता चल सकेंगे। लेकिन कुछ खामियों को लेकर आशंकाएं जन्म ले रही हैं। नई स्क्रैप पॉलिसी से जहां 15 से 20 साल पुराने वाहनों का फिटनेस टेस्ट अनिवार्य होगा। ऐसे सेंटर्स का संचालन प्राइवेट पार्टी करेगी जो कि उपभोक्ताओं का शोषण कर सकती है। इस नई स्क्रैप पॉलिसी का सीधा असर मिडिल और लॉअर क्लास पर पड़ेगा। क्योंकि ये वर्ग ही पुरानी गाडिय़ों का सबसे अधिक इस्तेमाल करता है। अगर आपकी गाड़ी पुरानी हो जाएगी तो उसे कबाड़ मानकर उसे स्क्रैप कर दिया जाएगा। ट्रक मालिकों का कहना है कि वे पुराना ट्रक तो आसानी से खरीद सकते हैं लेकिन नया ट्रक खरीदने के लिए उन्हें फाइनेंस संबंधी समस्या आती है। नई नीति के लागू होने पर सरकार को उन्हें सस्ती कीमत पर फाइनेंस उपलब्ध करना चाहिए।
जानिएं, कब से लागू होगी स्क्रैप पॉलिसी
देश में नई स्क्रैप पॉलिसी 1 अप्रैल 2022 से लागू होने की संभावना है। सबसे पहले सरकारी वाहनों के लिए स्क्रैपेज पॉलिसी को लागू किया जाएगा। आपको बता दें कि हाल ही में केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब 15 साल से ज्यादा पुरानी उन कारों को अनरजिस्टर्ड और नष्ट कर दिया जाएगा, जो विभिन्न सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में उपयोग हो रही हैं।
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