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28 Feb 2022
Automobile

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में थ्री-व्हीलर का सबसे बड़ा योगदान

By News Date 28 Feb 2022

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में थ्री-व्हीलर का सबसे बड़ा योगदान

इलेक्ट्रिक वाहनों की सेल में 3 साल में दो गुना से ज्यादा की वृद्धि

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और डिमांड को बढ़ाने में ऑटो रिक्शा वाहन की दिलचस्प कहानी रही है। यह सर्वव्यापी वाहन आसानी से रेट्रोफिट किया जा सकता है। बता दें कि देश में अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री शैशवकाल में चल रही है वहीं इसे बढ़ाने में काफी हद तक दोपहिया और तिपहिया वाहनों की भूमिका है। इसमेें कोई दो राय नहीं है कि तिपहिया वाहनों के इलेक्ट्रिक सेगमेंट ने ईवी को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाई है। बैटरी स्वैप के लिए भी ऑटोरिक्शा नये ईवी खरीदारों को टैप करता है। रेसनेर्जी आज एक संभावित उपयोगकर्ता के रूप में सडक़ पर नियमित ऑटोरिक्शा पर नजर गड़ाए हुए हैं। इसके आंतरिक दहन इंजन को हटाने और इसे पूरी तरह से इलेक्ट्रिक ऑटो में परिवर्तित करने के बाद ईवी निर्माताओं के लिए अन्य कमर्शियल वाहनों में भी यह संभव कर पाना आसान हो गया है। आइए जानते हैं ऑटो रिक्शा से किस तरह इलेक्ट्रिक क्रांति सफल होती दिखाई दे रही है? 

ऑटो रिक्शा से समग्र ईवी समाधान में मिली मदद 

यह सच है कि ऑटो रिक्शा से ही इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए पूरा समाधान मिला है। इस संबंध में इंजीनियर अरुण श्रेयस और गौतम महेश्वरन कहते हैं कि रेसिंग ईवेंट के लिए फार्मूला स्टाइल वाली कारों का निर्माण किया था। श्रेयस ने कहा कि जब हम 21 साल के हुए तब तक हम अपने बीच छह कारें बना चुके थे। अब तीन पहिया ऑटोरिक्शा है जिसने उन्हे विद्युतीकृत किया है। इसके लिए हैदराबाद स्थिट स्टार्ट अपरेस एनर्जी ने लिथियम-आयन बैटरी स्वैपिंग नेटवर्क शुरू कर दिया है। श्रेयस और महेश्वरन ने कहा है कि ऑटो रिक्शा का एक ऐसा बाजार है जिसका उपयोग लगभग दो दशकों से रेट्रो फिटिंग के लिए किया जाता रहा है। इसलिए अब इसी पर आधारित पूरे समाधान की नकल की जा रही है। यह एक चुनौतीपूर्ण तकनीकी समाधान है। रेसनेर्जी के सह संस्थापक श्रेयस ने यह भी कहा है कि उस तकनीकी हिस्से को हल करने में तीन का समय लगा लेकिन अब इसके विस्तार का समय आ गया है। 

बैटरी स्वैपिंग में भी तिपहिया वाहनों पर लगा रहे दांव 

यहां बता दें कि बैटरी स्वैपिंग एवं इनकी अदला-बदली में भी इलेक्ट्रिक बैटरी के बाजार को विकसित करने के लिए अधिकांश बैटरी निर्माता तिपहिया वाहनों पर ही अपने दांव-पेंच अपना रहे हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि कैसे सभी जगह उपलब्ध होने वाला थ्री व्हीलर देश की विद्युत गतिशीलता की क्रांति में इतनी प्रमुखता से उभरा है। यह वाहन भारतीय सडक़ों पर अब इलेक्ट्रिक गति से कार्गो और यात्रियों को ले जाने में पूरी तरह से सक्षम और सुगम वाहन के रूप में जाना जाता है। 

दिल्ली के जनकपुरी का स्वैप स्टेशन ई- रिक्शा का केंद्र 

बता दें कि दिल्ली में जून 2020 में पश्चिमी इलाके में जनकपुरी में एक स्वैप स्टेशन शुरू किया गया था। यह आज ई-रिक्शा का केंद्र बन चुका है। यहां कम पावर वाले तिपहिया वाहन हैं जो लेड-एसिड बैटरी से चलते हैं। ये उस हद तक इलेक्ट्रिक हैं जो करीब एक दशक से चल रहे हैं। इनके अलावा ली-ऑयन बैटरी पर चलने वाले नये उच्च शक्ति वाले ई ऑटोरिक्शा से ये सस्ते और बहुत कुछ  अलग हैं। ई- रिक्शा अधिकांश उत्तरी और पूर्वी राज्यों में लोकप्रिय हैं, पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक इनका बोलबाला है। इन पर करीब 1. 3 लाख रुपये खर्च होते हैं लेकिन यह कीमत दिल्ली में इसलिए कम है क्योंकि यहां की सरकार सब्सिडी ज्यादा देती है। 

अकेले दिल्ली एनसीआर में 2 लाख ई -रिक्शा चलते हैं 

इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में यदि किसी वाहन का सबसे ज्यादा योगदान है तो वह है ई- रिक्शा। बैटरी स्मार्ट के सह संस्थापक पुलकित खुराना ने कहा है कि दिल्ली एनसीआर में करीब 2 लाख ई- रिक्शा हैं। ये पूरे क्षेत्र में कई छोटे शहरों और कस्बों में मौजूद हैं। वहीं जयपुर में 25,000 ई रिक्शा संचालित हो रहे हैं। आपको जयपुर में कोई ऑटो रिक्शा नहीं दिखाई देगा, यहां केवल ई-रिक्शा ही चलते हैं। यहां बता दें कि लेड-एसिड बैटरियों को हर छह महीने में बदलने की आवश्यकता होती है और ड्राइवरों को हर बार एक अच्छी रकम खर्च करनी पड़ती है, अब स्टेशनों को ली ऑयन पर जीतने के लिए स्वैपिंग करना एक व्यावसायिक मॉडल होता जा रहा है। 

ई- रिक्शा स्वैपिंग ईंधन के लिए अनुकूल 

इलेक्ट्रिक वाहनों में ई- रिक्शा में बैटरी स्वैपिंग करना सबसे सरल और किफायती है। महज एक या दो मिनट में स्वैपिंग होती है। वाणिज्यिक उपयोगकर्ताओं के लिए इससे बेहतर समय रहता होगा। यही कारण है कि पिछले कई सालों से भारत में इलेक्ट्रिक टू व्हीलर भी लेड एसिड बैटरी वाले ही आ रहे हैं। वहीं कार्गो वाहन में सबसे ज्यादा ई-रिक्शा बैटरी स्वैपिंग के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त हैं। 

ई- रिक्शा संचालन में वृृद्धि से खुल रहे चार्जिंग और स्वैप स्टेशन 

ई- रिक्शा अप्रत्यक्ष रूप इलेक्ट्रिक क्रांति को तेज कर रहे हैं। इनके लगातार बढ़ते इस्तेमाल और चलन के कारण आए दिन देश में कहीं ना कहीं चार्जिंग और स्वैपिंग स्टेशन खुल रहे हैं। उत्तर भारत के कई शहरों में तो इलेक्ट्रिक रिक्शा यात्री और कार्गो इन दोनों ही उपयोग के लिए सडक़ों पर चलते हैं। ये सभी लीड एसिड बैटरी से चलने वाले हैं। वहीं ऑटो रिक्शा ली ऑयन बैटरी से संचालित होते हैं। सन मोबिलिटी के अनुसार अब तक भारत में 1 मिलियन से अधिक स्वैप तिपहिया वाहनों में देखे गए हैं। सन मोबिलिटी के देश के 14 शहरों में 70  स्वैपिंग स्टेशन हैं। मार्च 2022 तक 100 से अधिक स्टेशन हो जाएंगे। उन्होंने विदेशों में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लेने के अवसर की ओर भी संकेत किए हैं। इनका मानना है कि यदि अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिणी अमेरिका को देखें तो वहां भी तेजी से इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों का उपयोग होता दिख रहा है। 

बैटरी का आकार छोटा होने से गर्माया बाजार 

यहां बता दें कि बड़े वाहनों के आकार की तुलना में थ्री व्हीलर छोटे होते हैं और इनकी बैटरी का आकार भी छोटा होने से कीमत सहित कई पहलुओं से बाजार गर्म बना हुआ है। ये बैटरियां तेजी से रिचार्जिंग लेती हैं। वैसे ली आयन बैटरी की कीमत एक ईवी की कीमत की 40 प्रतिशत होती है। ऐसे में ई रिक्शा की बैटरी सस्ती पड़ती है। भारत के इलेक्ट्रिक कार अग्रणी चेतन मैनी का कहना है कि जो अब तक ईवीए के लिए बंगलुरू स्थित एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी सन मोबिलिटी चलाते हैं उनके लिए तिपहिया वाहनों की बैटरी स्वैप करना बहुत आसान है। वहीं उन बैटरियों का जीवन लंबा खिंचता है जिनका स्वैप स्टेशनों पर ठीक से प्रबंधन होता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने भी एक नई बैटरी स्वैपिंग नीति की घोषणा की  है। नीति आयोग ने इस पर अमल भी शुरू कर दिया है। 

तिपहिया वाहनों की बैटरियां इसलिए होती हैं अधिक कारगर 

यहां यह भी बता दें कि दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बैटरियों मेंं बिजली की आवश्यकता के आधार पर बैटरी की संख्या में वृद्धि की जा सकती है। सन मोबिलिटी के चेतन मैनी ने कहा है कि स्न्ररूश्व के अंतर्गत दी जाने वाली सब्सिडी में बैटरी  के खरीदे गए वाहनों को कवर नहीं किया जाता। वहीं तिपहिया वाहन में एक ही बैटरी का उपयोग वाहन की बिजली की आवश्यकता के अनुसार बैटरी की संख्या में वृद्धि करके किया जा सकता है। 

बैटरी स्वैपिंग के कारोबार में आई तेजी 

इलेक्ट्रिक वाहनों मेंं जिस गति से ई रिक्शा एवं मिनी कार्गो वाहनों का चलन होता जा रहा है उसी गति से बैटरी स्वैपिंग का भी कारोबार  फैल रहा है। रेननेर्जी के श्रेयस का कहना है कि इस क्षेत्र में पहले से ही 50 कंपनियां काम कर रही हैं और इसमें वाहन निर्माता इंडियन ऑयल कार्पोरेशन और एचपीसीएल जैसे एनर्जी कंपनियां हैं। इन सभी कंपनियों ने उनके प्लेटफार्मों में एक पारिस्थितिकी संतुलन बनाना शुरू कर दिया है। 

तिपहिया वाहनों की बढ़ती संख्या पर स्वैपिंग कंपनियों की नजर 

यह सच है कि देश में ई-थ्री व्हीलर्स की संख्या तेजी से बढ रही है। देश में 70 लाख लोग रोजाना इनका उपयोग आवागमन के लिए करते हैं। वहीं कार्गों के लिए भी इनका उपयोग खूब होने लगा है। बैटरी स्माट के अनुसार उन्होंने 4,000 ई रिक्शा को सूचीबद्ध किया है जो 215 स्टेशनों पर प्रतिदिन बैटरी बदलते हैं। औसतन नेटवर्क रोजाना 11,000 स्वैप करता है। देश की सडक़ों पर 25 लाख ई- रिक्शा हैं। इस तरह से देखा जाए तो भारत में ई- रिक्शा के जरिए इलेक्ट्रिक क्रांति आ रही है। 

भारत में नये इलेक्ट्रिक वाहनों का रजिस्टे्रशन एक नजर मेें 

वर्ष                                      रजिस्ट्रेशन संख्या 
2018                                   1,32,072 
2019                                   1,61,311 
2020                                   1,19,653
2021                                    3,11,354 
 

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